संपादकीय

इंजीनियर बन कर भी स्वप्निल कुमारी ने आवाज़ की दुनिया में बनाई पहचान

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

आज के अर्थ प्रधान और भौतिकवादी समाज में हर लड़के- लड़की का सपना होता है की वह इंजीनियर या डॉक्टर बने और इस दिशा में ही उनका सारा प्रयास रहता है। इसके विपरित कोटा की स्वप्निल कुमारी ने इंजीनियरिंग की डिग्री ले कर भी अपने अंदर के कलाकार को जिंदा रखना उचित समझा और आज मुंबई में वॉइस आर्टिस्ट के रूप में हाड़ोती का नाम रोशन कर रही है। बाल्यावस्था से ही ये पढ़ाई में कुशाग्र होने के साथ-साथ अंतर्मुखी प्रतिभा की धनी थी और ड्राइंग, पेंटिंग, नृत्य, बागवानी, क्राफ्ट, कूकिंग, संगीत आदि कलाओं में प्रवीण थी। अपनी शिक्षा के साथ – साथ अपनी कलात्मक अभिरुचियों को भी परवान चढ़ाती रही। न अध्ययन में पीछे, न अभिरुचियों में।
बाल्यावस्था से ही विभिन्न कलात्मक गतिविधियों में सैंकड़ों पुरस्कार और सम्मान पाने वाली स्वप्निल कला के क्षेत्र में ही आगे बढ़ना चाहती थी। माता -पिता ने भी इसकी भावनाओं को समझा और प्रोत्साहित किया। उसी का परिणाम है की कोटा की कलाकार स्वप्निल आज आवाज़ की दुनिया में अपना स्थान बनाने में कामयाब हुई और वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
मेरे लिए तो यह अत्यंत ही हर्ष का विषय है कि मेरे जन संपर्क अधिकारी के समय में सूचना केंद्र कोटा के मंच से नृत्य और चित्रकला में बाल प्रतिभा के रूप में स्वप्निल उभर कर सामने आई। माता-पिता भी कहते हैं इसे आगे बढ़ाने में आपको और सूचना केंद्र के मंच को यह और हम कभी नहीं भूल सकते हैं।
हाल ही में जब यह कोटा आई तो इनसे साक्षात्कार लेने से अपने को नहीं रोक सका। इन्होंने वॉइस ओवर आर्टिस्ट बनने के अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए कहा कि “इनकी आवाज़ में शुरू से ही विशेष आकर्षण, खनक रही है, उच्चारण एक दम विशुद्ध, अंदाज़ खूबसूरत…. ! जब ये लेंड लाइन फोन अटेंड करती तो सामने जो भी अंकल आंटी होते वे कहते बेटी कुछ देर तुम्हीं से बात करते हैं, तुम्हारी आवाज़ बहुत खूबसूरत है, एक कशिश है , बस सुनते ही जाओ, पापा से बाद में बात करवा देना, यह आलम था इनकी आवाज़ का। इसी वजह से इन्होंने आवाज़ की दुनिया में कदम रखने का निश्चय किया।” कहते हैं न ‘जहाँ चाह वहाँ राह’, साइबर कैफे पर इन्होंने ने कई दिनों तक खोजबीन की और अनंत इन्हें मुंबई में आवाज़ की दुनिया के चर्चित दर्पण मेहता वॉयस आर्टिस्ट के बारे में जानकारी मिली जो वाइस्ओवर , डबिंग की ट्रेनिंग देते थे । फिर क्या था, इसके पिता ने फोन पर बात की और हर सप्ताह मुंबई ट्रेनिंग लेने पिताजी के साथ जाती थी। ट्रेनिंग पूरी हुई, वो दिन भी आया जब स्वप्निल अपने परिवार को छोड़ कर बॉम्बे गई, जो इनके लिए बहुत कठिन परीक्षा थी। कहावत है कि कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है। वहाँ फ्लैट लिया, कुछ दिन माता- पिता साथ रहे और इन्हें वहां छोड़ कर आ गए।
इन्होंने बताया कि महीनों तक खूब संघर्ष किया, आप समझ सकते हैं मुंबई में एक लड़की को काम मिलना कितना मुश्किल होता है, एक समय ऐसा भी आया तब थक हार कर स्वप्निल ने वापस लौटना चाहा । माता-पिता के हिम्मत देने पर कुछ महीने और प्रयास किया, आखिरकार मेहनत रंग लाई, एक स्टूडियो में डबिंग का अवसर मिला,किन्तु पैसे ही नहीं मिले…! फिर भी निराश नहीं हुई , कुछ दिन बाद एक स्टूडियों में फिर काम मिला और प्रथम बार 500 रुपए मिले। इसे इन्होंने इसे पहली कमाई नहीं अपितु सफलता की प्रथम सीढ़ी का उपहार मान कर संभाल कर रखा हुआ है। यहीं से आशा का दीप प्रज्वलित हुआ और समय ने करवट ली धीरे- धीरे काम मिलने लगा। अंतत: सबको इसकी आवाज़, अंदाज़ प्रस्तुतीकरण इतना पसंद आया की काम की कतार लगा गई, सभी कार्टून चैनल एवं अन्य कई चैनल पर इनकी आवाज़ का जादू छाने लगा और मुख्य पात्र के रोल में गूंजने लगी इस आर्टिस्ट की करिश्माई आवाज़।

डिमांडिंग आर्टिस्ट :

आवाज़ और डबिंग की दुनिया में आज स्वप्निल कुमारी एक प्रसिद्द कलाकार ही नहीं है अपितु मोस्ट डिमांडिंग आर्टिस्ट भी हैं । ये डिस्कवरी,कार्टून नेटवर्क, पोगो,डिस्कवरी किड्स, निक,हंगामा,डिज्नी,हिस्ट्री टीवी 18, एनजीसी,सोनी बीबीसी अर्थ,स्टार प्लस,कलर्स,यूट्यूब,नेटफ्लिक्स,अमेजन इंडिया,क्रंचीरोल जैसे चैनल में अपनी आवाज़ का जादू बिखेर चुकी हैं।
लिटल सिंघम,रोल नंबर 21 में क्रिस, अताशिंची में मिकान, क्रैग ऑफ द क्रीक में क्रैग, सैली बॉलीवुड में सैली, बार्बी बोबोईबाई में बोबोईबाई, टीटू में टीटू, चाचा भतीजा में भतीजा, द मैड आई हार्ड रिसेंटली इज मिस्टीरियस में यूरी, पावरफुल गर्ल्स जेड में ब्लॉसम, फटमांगुल में सहर, मारुको चान में टामा चान, सिंदबाद, द जेनी फैमिली, किम्बा द लाइन में लारा, तमरो हॉल में जैनेट हाइस, नरूतो में साकुरा, गोल्डी एंड बीयर में गोल्डी, द वाइल्ड क्राट्स में अविवाहित में इनकी आवाज़ लोकप्रियता की सीढ़ी चढ़ती गई। इनके साथ – साथ मरुदे डेमो में मरुदे, द शाइनी शो में मुक्का द मंकी, स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक में स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन बाल जेड में बुल्मा और तुंबले लीफ में फाइट आदि में भी इनकी आवाज़ का जादू छाया है। न जाने कितनी कार्टून फिल्मों में इनकी आवाज़ की डबिंग की जा चुकी है।
इनकी आवाज़ और अंदाज से चैनल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी इतने प्रभावित हैं की आगे से आगे इनकी डबिंग के लिए तैयार रहते हैं। उनके कॉम्प्लीमेंट्स से निरंतर इनका उत्साहवर्धन होता रहा ।
तुर्किश सीरियल फाटमाहुल, कुजे गुने, हिंदी सीरियल जय श्री कृष्ण और फिलहाल स्टार प्लस पर छू कर मेरे मन को में दीपा (हीरोइन) का किरदार, इंग्लिश फिल्म जैसे स्क्रीन 1 और स्क्रीन 2 में हीरोइन का किरदार, नेटफ्लिक्स की फिल्म गुड सम में हीरोइन के पात्र में भी आपकी आवाज़ की डबिंग की गई है।

बहुमुखी प्रतिभा :

कार्टून फिल्मों और सीरियल में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरने वाली स्वप्निल बाल्यकाल से ही बहुमुखी प्रतिभा की धनी रही हैं। चार वर्ष की आयु से ही कोटा आकाशवाणी केंद्र के ‘बाल जगत’ कार्यक्रम में बाल कविताओं के द्वारा अपनी खूबसूरत प्रस्तुतियाँ देती रही हैं, और ये सिलसिला कई सालों तक निरंतर चलता रहा। राज्य, मंडल, संभाग, जिला, नगर स्तर पर नृत्य, संगीत और ड्राइंग आदि प्रतियोगिताओं में निरंतर भाग लेती रही। प्रमुखत: राजस्थान सरकार, शिक्षा विभाग, कला भारती संस्थान, बालोत्सव विश्व खाद्य दिवस, पर्यावरण विभाग राजस्थान सरकार, विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग, फेविक्रिल पेंटिंग कोंटेस्ट, वन्य जीव विभाग, बालहंस, अणुव्रत अमृत महोत्सव , सूचना केंद्र, रोटरी क्लब, लाइंस क्लब सहित अन्य कई संस्थाओं की प्रतियोगिताओं में अधिकांश में प्रथम स्थान प्राप्त किया। साथ ही बाल पत्रिकाओं एवं अन्य समाचार पत्रों-राष्ट्रदूत, बालहंस, राजस्थान पत्रिका, दैनिक नवज्योति सहित अन्य बाल पत्रिकाओं में अधूरा चित्र पूरा करो प्रतियोगिताओं में भाग लेती रही वहाँ भी प्रथम, द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इनके बनाये चित्र भी प्रकाशित भी खूब हुए जो इनकी विशिष्ट प्रतिभा को रेखांकित करते हैं। इन्होंने ‘रंगभरो’ प्रतियोगिओं के लिए स्केच भी बहुत भेजे जिनमें बच्चे रंग भर कर भेजते थे। इन्होंने कत्थक नृत्य की गुरू श्रीमती शशि सक्सेना से विधिवत शिक्षा प्राप्त की, जिन्होंने स्वप्निल को कई बड़े -बड़े मंचो पर प्रस्तुति दिलवाई। राष्ट्रीय पर्व- स्वाधीनता दिवस, 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर आयोजित सांस्कृतिक संध्याएँ, डी.सी.एम.के श्रीराम रंग मंच पर , लाइनेस क्लब, सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय द्वारा आयोजित मल्हारोत्सव, दशहरा मंच, लाइंस क्लब अंता द्वारा आयोजित बाल प्रतिभाओं का कार्यक्रम आदि मंचों ने इन्हें निरंतर प्रेरित और प्रोत्साहित किया। जयपुर दूरदर्शन पर ‘नन्हीं दुनिया’ कार्यक्रम में भी इनका नृत्य प्रस्तुत किया गया। इनको जिला प्रशासन कोटा सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा 150 से अधिक पुरस्कार, प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कोटा के लेखकों ने उस समय इनकी प्रतिभा पर खूब लिखा।

परिचय :

बहुमुखी प्रतिभा की घनी और आज की प्रसिद्ध वॉयस ओवर आर्टिस्ट स्वप्निल का जन्म कोटा में हुआ। इनके पिता श्री कृष्ण प्रकाश,बी.एस.एन.एल. में अधिकारी रहे और माता डॉ. कृष्णा कुमारी सरकारी शिक्षिका के साथ- साथ देश की जानी मानी कवयित्री और साहित्यकार हैं, भाई डॉ. नवनीत कुमार एलोपैथिक डॉक्टर हैं । इन्होंने कोटा से ही इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। आप वर्तमान में मुंबई में वॉइस कलाकार के रुप में नाम कमा रही हैं।

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