संपादकीय

साहित्य सृजन से दिनेश विजयवर्गीय ने बनाई देशव्यापी पहचान

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा

साहित्य के क्षेत्र में उम्र के 80 बसंतों की बहार देख चुके दिनेश विजयवर्गीय ने कहानी, कविता, बाल रचना ,व्यंग्य सृजन से राजस्थान में ही नहीं देशभर में अपना खास मुकाम बनाया है ।आपने अब तक सामाजिक परिवेश ,प्रकृति और विभिन्न विषयों पर करीब 80 से अधिक कहानियां लिखी हैं।
साहित्य सृजन की अपनी इंद्रधनुषी यात्रा के बारे में दिनेश विजयवर्गीय रोचक और दिलचस्प गाथा बताते हुए कहते हैं नवम्बर माह की रात्रि की सुहानी सर्दी थी। पार्क के पास झील के किनारे घूमने गए हुए थे। शुक्ल पक्ष के चन्द्रमा का प्रतिबिंब झील के जल में बहुत आकर्षक लग रहा था। उस दृश्य को देर तक देखते रहे,घर लौटे और पिताजी को पत्र लिखने बैठ गए। पत्र लिखने से पहले ही लगा जैसे मन से शब्द निकल कर बाहर आने के लिये अलार्म बजा रहे हों। उन्होंने पत्र लिखना छोड़ कर पहले कागज में उन शब्दों को उतार उनका स्वागत किया। लगा जैसे शब्द स्वयं ही जानते हो कि हमें कहां कैसे प्रस्तुत होना है। कुछ पक्तियां लिखने और पढ़ने के बाद लगा अरे! यह तो कविता बन गई। बस यही से शुरू हुआ कविता लेखन का सिलसिला आज तक भी जब तब बना हुआ है। वे इसे मां सरस्वती की कृपा मानता हैं। जनवरी 1968 का वाकिया सुनाते हुए कहते हैं मकर सक्रांति के दिन राजस्थान पत्रिका में कविता प्रकाशित हुई। फिर तो क्रमिक सुधार एवं जागरूकता के चलते कई पत्र पत्रिकाओं में कविता प्रकाशित होती चली आ रही हैं।
कहनी लेखन से जुड़ने के बारे में बताते हैं की कविता सृजन के कुछ समय बाद साहित्य जगत में कहानी विद्या से जुड़े। काॅलेज में चित्रकला के व्याख्याता रमेश सत्यार्थी जी से मिलना – जुलना हुआ। वह इनके लेखन से परिचित होने लगे थे। उन्होंने भी इनकी शब्दों/विचारों की अभिव्यक्ति को देख कहानी लेखन के लिए प्रेरित किया। मन की शक्ति और प्रेरणा से इन्होंने समाज में घटित विभिन्न घटनाओं पर जागरूक रह ध्यान रखा कि किस बात को अपनी शब्द शैली में ढाल कर कहानी के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है और वह पाठक का मनोरंजन भी करे। कहानी लेखन कई पत्र पत्रिकाओं में स्थान पाने लगा और जो आज भी बना हुआ है। ये बताते हैं कुछ काल – खण्ड में व्यस्तता के चलते जैसे विराम सा लग गया, लेकिन पिछले चार वर्षो से कहानी लेखन में फिर से गतिशीलता आई और नई ऊर्जा के साथ लेखन को पंख लगे और अब तक लगभग अस्सी कहानियां लिखने से खासे उत्साहित हैं।
समय जीवन में इन्द्रधनुषी रंगों की तरह चलता रहता है। बताते हैं कि बून्दी काॅलेज में हिन्दी के व्याख्याता डॅा. भैरूलाल गर्ग से मिलना हुआ। वह बाल साहित्य कविता/कहानी लिखा करते थे। उनकी रचनाएं छपती रहती थी। उनके सम्पर्क में आने से वह इन्हें भी बाल साहित्य के लेखन के लिये प्रेरित करते रहे। ये स्कूल टीचर थे अतः बच्चों से भी जुड़ाव बना रहा। बचपन से जिला पुस्तकालय में बाल पत्रिकाओं में कहानी पढ़ा करता थे। लेखन में इनकी विचारधारा भी सहज ही बाल साहित्य सृजन की ओर मुड़ गई । फिर तो जब भी बाल कहानी/कविता लिखते उस पर डाॅ.गर्ग से विचार – विमर्श कर और उसे अंतिम रूप देने के बाद पत्र – पत्रिका में प्रकाशन हेतु भेज देते थे। इनकी बाल कहानी-कविता कई पत्र पत्रिकाओं में स्थान पाने लगी। वर्ष 1992-93 ’राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा इनके बालकथा संग्रह ’साहस का सम्मान’ को शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह दिन इनके लिए अपार खुशी का दिन बन गया। आपने कला और पुरातत्व विषयों पर भी लेखन किया है।

सृजन – प्रकाशन

आपकी दो पुस्तकें ” साहस का सम्मान-बाल कथा संग्रह” भाग एक और दो तथा कविता संग्रह “शब्दों की सृजन यात्रा” प्रकाशित हुई हैं।
आपकी रचनाएं मुख्य रूप से वागर्थ ( ऑन लाइन), मधुमती, हरिगंधा, गृहलक्ष्मी, मेरी सहेली (ऑन लाइन), शतरंज,हिमप्रस्थ उजाला, योजना, साहित्य भारती, साक्षात्कार राजसमक्ष बालहंस, नवनीत, कादम्बिनी, शिविरा, सुजस आदि पत्रिकाओं और राजस्थान पत्रिका, दैनिक नवज्योति, नेशनल एक्सप्रेस, दैनिक ट्रिव्यून, नवभारत टाइम्स, जबलपुर दर्पण, सुबह सवेरे, जनवाणी, अंगद जनसत्ता, हम हिन्दुस्तानी, नवोदय प्रवाह, दैनिक हिन्दुस्तान, मधुरिमा, पंजाब केसरी, दैनिक जागरण में प्रकाशित होती हैं। आकाशवाणी केंद्र जयपुर-कोटा से भी इनकी रचनाओं का प्रसारण किया जाता है।

सम्मान

साहित्य सृजन से आपने जहां हाड़ोती के साहित्य को समृद्ध बनाया वहीं आपको लेखन के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित भी किया गया। आपको 1990 में शिक्षक दिवस पर राज्य स्तरीय सम्मान, 1992-93 में राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा बाल साहित्य पर शंभू दयाल सक्सेना पुरस्कार, 2009 में श्री भारतेंदु समिति कोटा द्वारा साहित्य श्री सम्मान, 2022 में, राजस्थान पत्रिका का सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार, 26 जनवरी 2023 को बूंदी जिला प्रशासन द्वारा साहित्य सृजन हेतु सम्मान, बालवाटिका एवं बच्चों का देश पत्रिका द्वारा सम्मान एवं 2016 में अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित किया गया।

परिचय

कर्मयोगी की तरह साहित्य सृजन में रत दिनेश विजयवर्गीय का जन्म 14 सितंबर 1943 को पिता कुंज बिहारी लाल और माता सूरज देवी के आनंद में कोटा में हुआ। आपने राजनीति शास्त्र से स्नातकोत्तर और शिक्षा में बी.एड.तक शिक्षा प्राप्त की। आपने शिक्षा विभाग में 17 अगस्त 1963 को प्रवेशनकीय और 30 सितंबर 2001 को व्याख्याता पद से सेवा निवृत हुए। आप सहज और सरल स्वभाव वाले व्यक्तित्व के धनी है। सेवा निवृति के पश्चात बूंदी में निवास कर निरंतर साहित्य साधना में लगे हुए हैं।

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