संपादकीय

अच्छे प्रसंगों में इतनी ताकत होती है कि लोगों की सोच बदलकर अच्छी सोच की ओर ले जाती है : डा राजेन्द्र पटोरिया

-उमेश कुमार सिंह
प्रसंग शब्द के आसक्ति़, भक्ति़, संलग्नता, अवसर घटना काण्ड आदि अनेक अर्थ होते हैं। प्रस्तुत संदर्भ में प्रसंग का अर्थ है किसी अवसर पर घटित किसी विशेष घटना के वार्तालाप को बताना या लिखना प्रसंग है। ये प्रसंग विशिष्ट होने से ही सुनाए या लिये जाते हैं।
प्रसंगों की दुनिया भी अलग होती है। एक से बढ़कर एक प्रसंग लिये जाते हैं, जिन्हें लोग बड़े चाव, बड़ी लगन बड़ी एकाग्रता एवं उत्सुकता से पढ़ते हैं एवं दूसरों को पढ़ाते व सुनाते हैं। कुछ प्रसंग तो ऐसे होते हैं जो जीवन में आमूल परिवर्तन ला देते हैं, जीवन की सोच तथा जीवन को बदल देते हैं, मन में, दिल में गहरे उतरते हैं। इन प्रसंगों में बहुत कुछ सीख मिलती है जो सोचने पर मजबूर कर देती है। कुछ प्रसंग पढ़कर मन में मंथन शुरू हो जाता है, कुछ प्रसंग तो ऐसे होते हैं जिनमें व्यक्ति़ डूब जाता है। वैसे ही डायमंड बुक्स डायमंड द्वारा प्रकाशित बुक अनमोल प्रेरक प्रसंग है जिसके लेखक डॉ. राजेन्द्र पटोरिया है।
डा. राजेन्द्र पटोरिया की प्रकाशित पुस्तकें व्यंग्य लेख, व्यंग्य क्षणिकाएं, कविता संग्रह, क्रांतिकारियों, आजादी के तराने, आजादी के बीत, जीवने एवं अन्य विविध विषयों पर 25 पुस्तकें प्रकाशित 5 पुस्तकों का संपादन। लगभग 50 शोध निबंध, 50 लेख, 200 व्यंग्य लेख, 200 कविताएं, 2000 व्यंग्य क्षणिकाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। बीस वर्ष से अधिक तक विभिन्न विषयों पर नियमित कॉलम। डा. राजेन्द्र पटोरिया जी को कविता, व्यंग्य संग्रह एवं जीवनी की पुस्तकों पर महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा पुरस्कृत। देश-विदेश के साहित्य पत्रकारिता आदि हेतु लगभग 100 से अधिक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया गया है।
डा. राजेन्द्र पटोरिया का कहना है कि अच्छे प्रसंगों में इतनी ताकत होती है कि लोगों की सोच बदलकर अच्छी सोच की ओर ले जाती है। कुछ प्रसंग मन में उथल-पुथल मचा देती है, कुछ शिक्षाप्रद होती हैं। प्रसंगों का भी एक अनमोल खजाना होता है कई लोग इस खजाने की खोज में रहते हैं, कुछ ऐसे प्रसंग होते हैं जो जीवन से जुड़े होते हैं। पिछले कुछ दशकों से मेरा विचार अच्छे प्रसंगों को एकत्रित करने का रहा, मेरे पास अनेकों पत्र, पत्रिकाएं आती हैं, जहाँ भी प्रेरक प्रसंगों की पुस्तक दिखाई खरीद कर ले आता। इन प्रसंगों को मनोयोग से पढ़ने के उपरांत मुझे जो प्रसंग अच्छा व मन को छूने वाला व पठनीय लगता है उसकी कटिंग काट कर रख लेता कई वर्षों के इन प्रयासों के कारण मेरी बैली में हजारों प्रसंगों की कतरनें एकत्रित हो गई। मैंने इन कतरनों को फिर से दो-तीन बार पढ़ा इनमें से जो प्रसंग ठीक नहीं लगे उन्हें अलग करता गया यह भी एक बड़ी कसरत का काम था। मेरी अपनी समझ में जो अच्छे प्रसंग हो उन्हें प्रकाशन की योजना बनाई। अन्य विषयों पर मेरी 25 पुस्तकें प्रकाशित हैं यह मेरे संकलन को छपाने का नया कार्य था मेरी बहुत इच्छा थी कि पाठकों को कुछ अच्छा रोचक कार्य परोसूं।
मेरी कुछ पुस्तकें डायमंड बुक्स प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित हुई हैं, जब मैं पहली बार उनके कार्यालय गया व प्रबंधक श्री नरेन्द्र वर्मा जी से प्रसंगों की पुस्तकों के बाबत चर्चा की तो उन्होंने कहा मैटर भेज दो 2-3 पुस्तकें प्रकाशित कर सकते हैं। वर्मा जी पॉजिटिव सोच वाले, व्यक्ति़ के तथा तुरंत निर्णय लेने वाले व्यक्ति़ लगे उनसे घंटों तक अनेक विषयों पर चर्चा हुई उनसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा। अनमोल प्रेरक प्रसंग पुस्तक आपके हाथों में हैं आप भी इसका सदुपयोग जहाँ चाहे जैसा चाहें कर सकते हैं, मेरी तो यही इच्छा है कि अच्छे प्रसंग लोगों तक पहुँचते रहें, एक बहुत बड़ा वर्ग इसका लाभ उठा सके।

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