संपादकीय

इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ !

-सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार (उत्तराखंड)

किसी ने क्या खूब लिखा है -‘ नारी माता, बहन है, नारी जग का मूल। नारी चंडी रूप है, नारी कोमल फूल।।’ आज नारी दुनिया के हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रही है और नारी ने आज यह साबित कर दिखाया है कि वह किसी भी स्थिति में पुरूषों से कमतर नहीं है। आज नारी लगातार सशक्त हो रही है, समाज की दिशा व दशा दोनों बदल रही है और पुरूषों के समान हर कार्य कर रही है। हम यह बात कह सकते हैं कि -‘अबला से सबला हुई, देखो नारी आज।नारी के सहयोग से, उन्नत बने समाज।।’ बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज महिलाएं अपने जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं ले रहीं हैं, महिलाएं आज परिवार और समाज के बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता बन रहीं हैं।महिलाओं को सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता जैसे विकारों से छुटकारा पाना है, तो इसके लिए महिला सशक्तिकरण की बहुत जरुरत है और इसी क्रम में आज महिलाएं लगातार आगे आ रहीं हैं। हाल ही में सिविल सेवा परीक्षा परिणामों में लड़कियों का बेहतरीन प्रदर्शन यह साबित करता है कि महिलाएं आज के समय में स्वयं को लगातार सशक्त कर रहीं हैं और देश और समाज के लिए नित नये प्रतिमानों को गढ़ रहीं हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि लगभग 2 दशक पहले तक यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की चयन सूची में महिलाओं की भागीदारी महज 20 फीसदी ही थी जबकि वर्ष 2019 में ये भागीदारी 29 फीसदी तक पहुंच गई और इस साल ये 34 प्रतिशत रही है, जो बहुत ही अच्छी बात है। बताया जा रहा है और इस बार 933 में से 320 महिलाएं हैं, जो करीब पिछले साल की तुलना में 9 फीसदी ज्यादा है। यहां पाठकों को यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि हमारे देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने कुछ समय पहले यह बात कही थी कि महिलाओं द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में की गई तरक्की भारत में हो रहे बदलाव की झलक पेश करती है। इस साल सिविल सेवा परीक्षा में महिलाओं के शीर्ष चार स्थान हासिल करने का खासतौर पर जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि समान अवसर दिए जाने पर बेटियां लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं। वास्तव में,यू.पी.एस.सी. यानी कि संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा का अपने आप में बहुत बड़ा महत्व इसलिए है क्योंकि हमारे देश के प्रशासन को इस परीक्षा में चयनित अभ्यर्थी ही सक्षम नेतृत्व देते हैं। नारी शक्ति ने सिविल सेवा परीक्षा में उच्च स्थानों को प्राप्त कर यह साबित कर दिखाया है कि वे देश की बागडोर को अपने उज्ज्वल कदमों से एक नयी प्रगति, उन्नयन प्रदान कर सकतीं हैं और देश निर्माण में अपना अहम व महत्वपूर्ण योगदान देकर देश को ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमताएं रखतीं हैं। गौरतलब है कि इस परीक्षा के परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही है कि इस अमृत महोत्सव के वर्ष में जब देश की आजादी, विकास और प्रगतिशीलता खुलकर सांस ले रही है, उसमें लड़कियों का आगे बढ़कर पहले तीन चार स्थानों पर सफल होना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है।यह वो नया भारत है जहां लड़कियां कंधे से कंधा मिलाकर लड़कों के साथ चल रही हैं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा-2022 में महिलाओं ने शीर्ष चार रैंक हासिल कीं। इसमें भी सबसे बड़ी बात यह है कि शीर्ष 20 रैंकों में से 12 महिलाओं ने हासिल कीं। पाठकों को यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि सिविल सेवा परीक्षा यानी कि सी एस ई 2021 के दौरान भी 685 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है और इसमें भी टॉप तीन रैंकों पर लड़कियों का कब्जा रहा था। उल्लेखनीय है कि सिविल सेवा परीक्षा वर्ष 2021 में पहली रैंक श्रुति शर्मा ने दूसरी रैंक अंकिता अग्रवाल ने और तीसरी रैंक गामिनी सिंगला ने हासिल की थी। इस परीक्षा में उतीर्ण होने वाले 685 अभ्यर्थियों में सामान्य वर्ग के 244, ईडब्ल्यूएस वर्ग के 73, ओसीबी वर्ग के 203, एससी वर्ग के 105 और एसटी वर्ग के 60 अभ्यर्थी शामिल थे। जानकारी देना चाहूंगा कि इस बार परीक्षा में इशिता किशोर ने पहला स्थान हासिल किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अर्थशास्त्र (ऑनर्स) में स्नातक, उन्होंने अपने वैकल्पिक विषय के रूप में राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध को चुना।गरिमा लोहिया ने सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोरीमल कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक हैं तथा, उन्होंने अपने वैकल्पिक विषय के रूप में वाणिज्य और अकाउंटेंसी को चुना और तीसरे स्थान पर उमा हरथी एन रहीं हैं, जिन्होंने बी.टेक से स्नातक किया है। वे सिविल इंजीनियरिंग में आईआईटी (हैदराबाद) हैं। इस परीक्षा में स्मृति मिश्रा चौथे स्थान पर रहीं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक की पढ़ाई की और परीक्षा के लिए जूलॉजी को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। वास्तव में सिविल सेवा परीक्षा में महिलाओं का उच्च स्थानों को प्राप्त करना सिविल सेवाओं के भीतर लिंग प्रतिनिधित्व में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है। वास्तव में भारत वास्तव में तभी सफल होगा जब महिलाओं को हमारे समाज में समान स्थान मिलेगा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी का यह मानना ​​था कि महिलाएं भारत को सभी स्तरों पर बदलने के लिए बहुत कुछ कर सकती हैं। यह एक कड़वा सच है कि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं हमेशा से उत्पीड़ित रही हैं, लेकिन आज महिलाएं लगातार आगे आ रहीं हैं और स्वयं को सशक्त कर रहीं हैं।आज ट्रेन से लेकर प्लेन चलाने में महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं और राजनीति में भी उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। बैंकिंग का क्षेत्र हो, शिक्षा का क्षेत्र हो, सेना हो, खेल हो, कृषि क्षेत्र हो, अंतरिक्ष का क्षेत्र हो, कंप्यूटर , इंटरनेट, फिल्म, इंजीनियरिंग, मेडिकल, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक कोई भी क्षेत्र हो,दरअसल, महिलाओं ने देश की आजादी से लेकर सरकार तक चलाने तक में अपनी अहम और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर रही हैं और कोई भी क्षेत्र उनसे अछूता नहीं है। सच तो यह है कि हमारे देश के समाज की पुरुष-प्रधान मान्यताओं को बीते कई दशकों से महिलाओं ने चुनौती देते हुए हर क्षेत्र में स्वयं को स्थापित किया है। अंत में फ़रहत ज़ाहिद के शब्दों में यही कहूंगा कि -‘औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ। इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ।’

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

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