संपादकीय

प्रगाढ़ होते भारत-अमेरिका के संबंध !

सुनील कुमार महला
फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा की है। यह यात्रा दर्शाती है कि अमेरिका और भारत के रिश्ते लगातार मजबूत व अत्यंत सुदृढ़ होते चले जा रहे हैं और यह विश्व के लिए संकेत है कि आज भारत एक अत्यंत शक्तिशाली, मजबूत और अत्यंत सुदृढ़ विकासशील से विकसित राष्ट्र के रूप में लगातार उभर रहा है‌ और न केवल अमेरिका बल्कि चीन जैसा बड़ा व शक्तिशाली राष्ट्र भी भारत की क्षमताओं को लगातार पहचान रहा है। आज दुनिया भारत और अमेरिका जैसे दो महान लोकतंत्रों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत होता देख रही है‌।जानकारी देना चाहूंगा कि व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में हाल ही में हुई पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक में एक के बाद एक कई समझौतों पर मुहर लगाई गई, जिनमें भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट, रेलवे, तकनीक, ड्रोन, जेट इंजन और स्पेस सेक्टर में करार किए गए हैं। बहुत अच्छी बात है कि आज भारत और अमेरिका एक साथ मिलकर न सिर्फ नीतियां और समझौते तैयार कर रहे हैं, बल्कि जीवन, सपनों और नियति को आकार भी दे रहे हैं। आज अमेरिका और भारत वाणिज्यिक और व्यापारिक समझौतों में लगातार आगे बढ़ रहे हैं, यह दोनों ही देशों के साथ संपूर्ण विश्व के लिए भी एक अच्छा संकेत है। हाल ही में अमेरिका यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की है कि अब भारतीय मूल के लोगों को एच-1बी वीजा के नवीनीकरण के लिए अमेरिका नहीं छोड़ना पड़ेगा। हाल की यात्रा के दौरान मोदी ने यह बात कही है कि प्रवासी भारतीयों के लिए सेवाओं को सुगम बनाना भारत की प्राथमिकता है और अब देश सिएटल में एक तथा दो अन्य अमेरिकी शहरों में दो नये वाणिज्य दूतावास खोलेगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका भी अहमदाबाद और बेंगलुरु में नये वाणिज्य दूतावास खोल रहा है। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में यह बात कही है कि भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंध तेज़ी से बढ़ रहे हैं और पिछले एक दशक में ही दोनों देशों के बीच व्यापार दोगुना होकर 191 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। वास्तव में, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और निवेश साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि संपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में यात्रा के दौरान ही जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भारत में एफ़ 414 जेट इंजन(जिसका इस्तेमाल लड़ाकू विमानों में किया जाता है) का निर्माण मिलकर करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जानकारी मिलती है कि भारत ने एमक्यू-9 बी प्रिडेटर ड्रोन हासिल करने के लिए भी जनरल एटॉमिक्स के साथ एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर किया जा सकेगा और निश्चित ही इससे भारत की चीन से लगने वाली सीमाओं व अन्य सीमाओं पर निगरानी क्षमताओं को मज़बूत किया जा सकेगा क्यों कि ये ड्रोन मिसाइल तक ले जाने में सक्षम हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि करीब 29 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे से भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिल सकेंगे। इतना ही नहीं भारत में अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च सेंटर के माध्यम से, गूगल 100 से अधिक भारतीय भाषाओं का समर्थन करने के लिए मॉडल बना रहा है। इतना ही नहीं भारत में एक नई सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधा बनाने के लिए 825 मिलियन डॉलर तक निवेश करने की माइक्रॉन टेक्नोलॉजी की घोषणा का भी एक संयुक्त बयान जारी कर स्वागत किया गया है। बताता चलूं कि अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनी माइक्रॉन गुजरात में अपना प्लांट लगाएगी। भारतीय रेलवे ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट/इंडिया (यूएसएआईडी/इंडिया) के साथ एम ओ यू पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के बीच अर्टेमिस एकॉर्ड्स समझौता बहुत ही महत्वपूर्ण है। जानकारी देना चाहूंगा कि नासा और इसरो 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा देना होगा। इससे भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के सहयोगी हैं। इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच इंडस-एक्स की शुरुआत भी हुई है। इस समझौते के जरिए संयुक्त रूप से रक्षा टेक्नोलॉजी संबंधी इनोवेशन देखने को मिलेंगे। भारत और अमेरिका दोनों के बीच जटिल तकनीकों को सुरक्षित रखने और आपस में बांटने का समझौता (इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी) (आईसैट) की शुरुआत भी हुई है। बहरहाल, इसमें कोई संदेह या दोराय नहीं है कि मोदी जी की अमेरिका यात्रा से दोनों मुल्कों के रक्षा और तकनीक संबंध गहरे हुए हैं, इससे देश को रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में नवीन ऊंचाईयां मिल सकेंगी। जानकारी देना चाहूंगा कि पिछले कुछ समय पहले ही अमेरिका के व्हाइट हाउस की ओर से यह टिप्पणी आई थी कि भारत का लोकतंत्र जीवंत है और यदि आपको कोई संदेह है तो आप स्वयं जाकर देख लीजिए। व्हाइट हाउस की यह टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि अमेरिका की तरफ से यह भारत को एक बड़ा समर्थन और स्वीकृति है। बहरहाल, जानकारी देना चाहूंगा कि भारत के लिए अमेरिका बड़ा व्यापारिक सहयोगी रहा है , दोनों देशों की निवेश में साझेदारी है और तकनीक के क्षेत्र में अमेरिका भारत के लिए एक बड़ा सहयोगी साबित हो रहा है। आज दोनों ही देश दुनिया के महान लोकतंत्र हैं और दो बड़े लोकतांत्रिक देशों का एक साथ आना विशेषकर चीन के लिए एक संकेत भी है। आज के समय में दोनों ही देशों के संबंध 21वीं सदी में दुनिया को फिर से बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं, यह बहुत ही अच्छी बात है ‌। आज विभिन्न वैश्विक मुद्दों यथा आतंकवाद, ग्लोबल वार्मिंग पर दोनों देशों के रूख में समानता देखने को मिल रही है। वास्तव में अमेरिका और भारत के बढ़ते संबंध मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड से जुड़े प्रयासों को बढ़ावा देंगे। बहरहाल, यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से चीन बुरी तरह च‍िढ़ा हुआ है। चीन कभी भी यह नहीं चाहता है कि भारत और अमेरिका के संबंध सुदृढ़ और आपस में प्रगाढ़ हों, क्यों कि उसकी नीति हमेशा हमेशा से ही विस्तारवादी नीति रही है और वह कभी भी भारत और अमेरिका को आगे बढ़ता नहीं देख सकता है। वास्तव में,अमेरिका और भारत के बीच तेजी से बढ़ती साझेदारी का मुख्य उद्देश्य चीन को एशिया में एकमात्र प्रमुख शक्ति बनने से रोकना है। आज चीन बात बात पर विश्व के सभी देशों को आंख दिखाता है। भारत के साथ वह भारतीय चीनी भाई भाई का राग जरूर अलापता है लेकिन सीमा पर वह भारत को आंख दिखाने में गुरेज नहीं करता। यह बात सभी जानते हैं कि भारत और चीन के बीच संबंध पिछले काफी समय से निचले स्तर या पायदान पर हैं, खासकर तब से जब जून वर्ष 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प में 20 भारतीय सैनिक और अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक मारे गए थे। हालांकि वाशिंगटन ने यह बात कही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा का मकसद भारत को चीन के मुकाबले पेश करना नहीं था, लेकिन दोनों देशों के बढ़ते आपसी संबंधों से इतना तो जरूर तय है कि इससे भारत को विश्व पटल पर एक नयी पहचान अवश्य मिलेगी और भारत विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के सोपानों को छूकर उन्नति, प्रगति व विकास की राह पर सफलता के झंडे गाड़ेगा।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

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