संपादकीयसैर सपाटा

करिश्में से कम नहीं है मामल्लपुरम नृत्य महोत्सव

डॉ.प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
मामल्लपुरम नृत्य महोत्सव विशुद्ध रूप से भारत के शास्त्रीय नृत्यों पर आधारित महोत्सव है। महाबलीपुरम के स्मारकों की गोद में महाभारत, राडे कृष्ण, वल्ली मुरुगा, शिव शक्ति और कई प्राचीन विद्याओं की कहानियों को नृत्यों के माध्यम से दर्शाने वाला मामल्लपुरम नृत्य महोत्सव का आयोजन तमिलनाडु सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा हर साल दिसंबर – जनवरी माह में जिस भव्य स्वरूप के साथ किया जाता है वह किसी करिश्में से कम नहीं है।
भारतीय शास्त्रीय नृत्यों में सिरमौर कथक नृत्य के साथ – साथ भारत के विभिन्न राज्यों के शास्त्रीय नृत्यों कथकली, कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम, ओडिसी और भांगड़ा जैसे कई नृत्यों की खुशबू से महकता यह सांस्कृतिक आयोजन पर्यटकों, कला और नृत्य प्रेमियों के दिल की धड़कन बन चुका है। नृत्यों की इस महान परंपरा को देख पर्यटक जहां भावविभोर हो जाते हैं वहीं भारत की नृत्य कला उन्हें आश्चर्यचकित कर देती है।
समुद्र के सुंदर तट, लहरों की रुपहली आभा और सुंदर क्षितिज सब कुछ मिल कर उत्सव को संस्कृति और प्रकृति का अनूठा संगम बना देता है। जो लोग कला, संगीत, नृत्य और प्रकृति से प्यार करते हैं और इसकी समृद्ध विरासत को देखना , समझना और नजदीक से महसूस करना चाहते हैं उन्हें इस महोत्सव को जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहिए। महोत्सव के दौरान ममल्लापुरम तट मंदिर एक प्रमुख आकर्षण बन जाता है।
पर्यटक जो नृत्य उत्सव में भाग लेते हैं वे पल्लव युगीन स्थापत्य कला के महान मंदिर स्मारकों के दर्शन अवश्य करते हैं और भारतीय स्थापत्य के सौंदर्य का जी भर कर रसास्वादन करते हैं। यहां के कारीगरी में बेजोड़ मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान गणपति सहित हिंदू देवताओं को समर्पित हैं। गर्भगृह स्वयंभू लिंगम से चमकता है और मंदिरों की आंतरिक और बाहरी दीवारों की वास्तुकला अत्यंत जटिल और विस्तृत है।
मामल्लपुरम, महाबलीपुरम शहर का ही लोकप्रिय उप नाम है। चार सप्ताह का नृत्य उत्सव भारत के दक्षिणी राज्य के प्रमुख सांस्कृतिक आकर्षणों में से एक है। यह उत्सव विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित लोक नृत्यों और भारत की समृद्ध संस्कृति को सामने लाने वाली अनूठी कलाओं का उत्सव है। इसका आयोजन एक खुले रंगमंच पर किया जाता है जो एक विशाल रॉक-कट राहत, अर्जुन की तपस्या को ‘गंगा के अवतरण’ के रूप में भी जाना जाता है के समीप स्थापित किया जाता है। इस समय के दौरान मौसम सुहावना होता है । मामल्लपुरम नृत्य महोत्सव प्रथम बार आयोजन 1992 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से तमिलनाडु पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया गया था जो वर्तमान समय तक निरंतर जारी है और इसका स्वरूप भव्य हो गया हैं। इस नृत्योत्सव का शुल्क प्रति व्यक्ति 100-200 रुपये के मध्य रहता है।
मामल्लपुरम या महाबलीपुरम यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल गौरवमय स्थान है। यह तमिल राज्य की राजधानी चेन्नई से 53 किमी दूरी पर स्थित है ।
महाबलीपुरम का निकटतम रेलवे स्टेशन चेंगलपट्टू जंक्शन 30 किमी की दूरी पर स्थित है । प्रमुख रेलवे जंक्शन चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन है जो लगभग 56 किमी दूरी पर है। निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो महाबलीपुरम से लगभग 60 किमी दूर है। यहां आने वाले पर्यटकों को हर बजट की ठहरने और भोजन की उत्तम व्यवस्थाएं हैं। यहां पहुंच कर सैलानी राज्य के अन्य पर्यटक स्थलों को भी देखने जा सकते है और सुंदर समुद्र तटों का लुत्फ उठा सकते हैं।

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