संपादकीय

बागियों के भंवर में फंसी राजस्थान भाजपा

-रमेश सर्राफ धमोरा
मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार (झुंझुनू, राजस्थान)

राजस्थान में आगामी 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव के वोट डाले जाएंगे। प्रदेश में राज बदलने के प्रयास में लगी भाजपा में बड़ी संख्या में बागी प्रत्याशियों के मैदान में उतरने से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के सामने संकट पैदा हो रहा है। राजस्थान में भाजपा ने इस बार बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों, पूर्व विधायकों व पिछले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रह चुके लोगों के टिकट काटकर उनके स्थान पर नए चेहरों को मैदान में उतारा है। भाजपा ने दूसरे दलों से आये दलबदलुओं को भी बड़ी संख्या में टिकट देकर उपकृत किया है। जिससे पार्टी में बगावत तेज हो गई है।
अपनी टिकट कटने से नाराज भाजपा सरकार में मंत्री रहे तीन बडे़ नेताओं ने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिए हैं। इससे भाजपा प्रत्याशियों के समक्ष संकट व्याप्त हो गया है। वसुंधरा राजे के खासमखास रहे पूर्व मंत्री यूनुस खान ने डीडवाना, बंशीधर बाजिया ने खंडेला व कैलाश मेघवाल ने शाहपुरा से निर्दलिय ताल ठोक दी है। हालांकि कैलाश मेघवाल को कुछ दिनों पूर्व ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। इसके अलावा भाजपा में डग विधानसभा से पूर्व विधायक रामचंद्र सुनारीवाल, सांचौर सीट पर जालौर के सांसद देवजी पटेल के सामने पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी, चित्तौड़गढ़ सीट पर विद्याधर नगर से मौजूदा विधायक व पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी के सामने चित्तौड़गढ़ के मौजूदा विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने नामांकन दाखिल कर दिया है।
बाड़मेर से पूर्व मंत्री गंगाराम चौधरी की पोती प्रियंका चौधरी ने बगावत कर दी है। प्रियंका चौधरी पिछली बार पार्टी की प्रत्याशी रही थी। मगर पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नजदीकी होने के चलते हैं उनकी टिकट काट दी गई है। सूरतगढ़ सीट से पूर्व विधायक राजेंद्र भादू, बयाना से पूर्व प्रत्याशी रितु बनावत ने ताल ठोक दी है। रितु बनावत के पति ऋषि बंसल को भरतपुर के जिला अध्यक्ष पद से हटा दिया गया हैं। बंसल पूर्व में युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
कोटा जिले की लाडपुरा सीट पर तीन बार विधायक रह चुके भवानी सिंह राजावत ने दूसरी बार टिकट नहीं मिलने पर मैदान में ताल ठोक दी हैं। 2018 में भवानी सिंह राजावत का टिकट काटकर कोटा राजघराने की कल्पना देवी को भाजपा प्रत्याशी बनाया था। इस बार फिर लाडपुरा विधायक कल्पना देवी को ही प्रत्याशी बनाया गया है। इससे नाराज होकर भवानी सिंह राजावत ने निर्दलिय फॉर्म भर दिया है। झुंझुनू विधानसभा सीट पर पिछली बार भाजपा के प्रत्याशी रहे राजेंद्र भाम्भू के स्थान पर 2018 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े निषित कुमार को टिकट देने से नाराज होकर राजेंद्र भाम्भू निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गए हैं।
पिलानी विधानसभा सीट पर सात बार विधायक व मंत्री रहे सुंदरलाल के पुत्र कैलाश मेघवाल का टिकट काट देने से उन्होंने भी पार्टी से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में फॉर्म भर दिया है। कैलाश मेघवाल पिछले विधानसभा चुनाव में पिलानी से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव हार गए थे। सीकर सीट पर भाजपा के मौजूदा उप जिला प्रमुख ताराचंद घायल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में फॉर्म भर दिया है। फतेहपुर सीट पर नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके मधुसूदन भिंडा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन फॉर्म भरा है।
कोटपूतली सीट पर पिछली बार के प्रत्याशी मुकेश गोयल, लूणकरणसर से प्रभूदयाल सारस्वत, सुजानगढ़ से राजेंदर नायक, मकराना से हिम्मत सिंह राजपुरोहित, सवाई माधोपुर से आशा मीणा, संगरिया से गुलाब सींवर, मसूदा से जसवीर सिंह खरवा, बस्सी सीट पर भाजपा सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त जितेंद्र मीणा ने निर्दलिय फॉर्म भरा है।
वहीं कपासन सीट पर राशमी पंचायत समिति प्रधान दिनेश बुनकर, गढ़ी सीट पर पूर्व प्रधान लक्ष्मण डिंडोर ने नामांकन फॉर्म भरकर भाजपा की धड़कनें बढ़ा दी है। मावली सीट पर भाजपा के कुलदीप सिंह चुंडावत ने पार्टी से बगावत कर आरएलपी से नामांकन भर दिया है। कुंभलगढ़ सीट पर भाजपा के नीरज सिंह राणावत, अनोप सिंह ने भी निर्दलीय नामांकन भरा है।
भाजपा ने चुनाव से पहले दूसरे दलों से दल-बदल कर आए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया को लक्ष्मणगढ़ से प्रत्याशी बनाया है जहां उनका मुकाबला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से होगा। कांग्रेस से सांसद रही ज्योति मिर्धा को भाजपा ने नागौर सीट पर मौजूदा विधायक सोहनलाल चौधरी का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया है। जहां उनका मुकाबला अपने ही चाचा व कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा से होगा। ज्योति मिर्धा मारवाड़ के दिग्गज जाट नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पोती है। कोटपूतली से हंसराज पटेल, धौलपुर से डॉक्टर शिवचरण कुशवाहा, खंडेला से सुभाष मील, वल्लभनगर से उदयलाल डांगी, करौली से दर्शन सिंह गुर्जर बाड़ी से गिरिराज सिंह मलिंगा, सादुलपुर से सुमित्रा पूनिया को टिकट दिया गया है। सुमित्रा पूनिया कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व विधायक नंदलाल पूनिया के पुत्रवधू है।
टोडाभीम सीट से रामनिवास मीणा को टिकट दिया गया है। पूर्वी नहर परियोजना को लेकर रामनिवास मीणा लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं और क्षेत्र में पानी वाले बाबा के नाम से जाने जाते हैं। शाहपुरा से उपेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। उपेन यादव राजस्थान बेरोजगार महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष है व पिछले लंबे समय से युवा बेरोजगारों की राजनीति कर रहे हैं।
भाजपा ने इस बार आदर्श नगर से अशोक परणामी, सिविल लाइन से अरुण चतुर्वेदी का भी टिकट काट दिया है। यह दोनों ही नेता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं तथा वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं। कहने को तो भाजपा में कई वसुंधरा समर्थकों को टिकट मिलने की बात की जा रही है। मगर जिस तरह से प्रहलाद गुंजल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के समक्ष घुटने टेक कर टिकट प्राप्त किया है उससे तो यही लगता है कि अब नाम को ही वसुंधरा समर्थक रह गए हैं। बाकी जिनको भी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है उन सब से पार्टी के नाम पर वादे करवाए गए हैं। हालांकि वसुंधरा राजे स्वयं झालरापाटन से चुनाव लड़ रही है। मगर उनके बहुत से कट्टर समर्थकों को चुनावी मैदान से दूर कर भाजपा ने उन को उनकी औकात दिखा दी है।
अनुशासन के लिए विख्यात भाजपा में इस बार जिस तरह से टिकटों की बंदरबांट हुई है तथा दलबदलुओं को हाथों हाथ टिकट दी गई है। उससे पार्टी का चाल, चरित्र व चेहरा बेनकाब हो गया है। भाजपा में जो लोग वर्षों से काम कर रहे थे उनको भी इससे बहुत निराशा हुई है। जिस तरह से पार्टी ने टिकट बांटे हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि भाजपा को चुनावी मैदान में कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।

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