संपादकीय

अभिनय और नाट्य लेखन से राम शर्मा ने बनाई पहचान…

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

रंगमंच की भी अपनी अलग और मनोरंजक दुनिया है। इसमें कलाकार अपने जानदार अभिनय से पात्र को जीवंत बनाता है और नाटक को सफलता के सोपान तक ले जाता है। जिसको मौका मिल जाता है वह फिल्मों की रंगीन और हसीन दुनिया में चला जाता है। राजस्थान के रंगमंच जगत में हाड़ोती के ही ऐसे अनेक कलाकार हैं जिन्होंने गायन, वादन , आवाज और अभिनय के क्षेत्र में राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाई है। बूंदी जिले के कापरेन में जन्में राम शर्मा एक ऐसे ही मझे हुए कलाकार हैं जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय से रंगमंच की दुनिया में और लघु फिल्मों में खास मुकाम बनया। अभिनय के साथ – साथ आपने नाट्य लेखन से भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इसके साथ वे एक निपुण कवि भी हैं । नाटकों में मदारी, बुजुर्ग और पिता आदि कई भूमिका अदा करने वाले राम शर्मा ने नाट्य कला के अपने शोक के बारे में बताया कि नर्सिंग प्रशिक्षण के दौरान यह रुचि विकसित हुई। उनके द्वारा लिखे गए नाटक ‘घोड़ा उपचार क्लिनिक’ का मंचन जवाहर कला केंद्र’ में किया गया। जिसमें उन्होंने अपने साथियों के साथ अभिनय किया। जब वह कोटा आ गए तब उन्होंने यहां के वरिष्ठ रंगकर्मियों के साथ कई नाटकों में अभिनय की छाप छोड़ी । नाटकों में ‘अपहरण भाईचारे का’ महत्वपूर्ण नाटक था।

इन्होंने पहला नाटक ‘कुकर फट सकता है’

लिखा जिसका सफ़ल मंचन कोटा की कला दीर्घा में हुआ। इस नाटक के कोटा में तीन शो हुए। इसके बाद उनके द्वारा लिखा गया बाल नाटक ‘सॉरी बेटा’ बाल कलाकारों के द्वारा ही मंचित किया गया। वह बताते हैं इसी क्रम में हाडोती भाषा की एक लोककथा को हाडोती भाषा में ‘पतासा की बरखा’ नाम से रूपांतरित किया। इसको बाल कलाकारों के द्वारा ही संभागीय पुस्तकालय में मंचित करवाया गया। यह सिलसिला लगभग 2 साल तक चला। उस दौरान इन्होने प्रेमचंद के जीवन का नाट्य रूपांतरण लिखना आरंभ किया जो कि बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था। उस महान लेखक को संपूर्ण रूप से नाटक में लेना निश्चित रूप से बेहद श्रम साध्य था । एक तो कोविड के दौरान पुस्तकालय नहीं खुल रहे थे दूसरे हर तथ्य को बेहद सत्य को सटीकता की कसौटी पर खरे उतरने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और चुनौती थी। करीब 2 वर्ष में पूर्ण हुए इस नाटक का नाम ‘धनपति नवाब से प्रेम’ दिया गया।
वह बताते हैं की साहित्य कला परिषद, नई दिल्ली के द्वारा जब मोहन राकेश नाट्य लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया तब इस नाटक को राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ और 60,000 रुपए पुरस्कार राशि के तौर पर दिए गए। इस पुरस्कार राशि की बड़ी उपलब्धि यह रही कि इस नाटक का मंचन कमानी ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली से उत्तीर्ण कलाकारों के द्वारा किया। इस नाटक पर जब ‘मोहन राकेश के नाट्य पुरस्कार’ मिलने से अधिक त्वरित रूप से नाट्य लेखन की प्रेरणा मिली।
इनके प्रमुख नाटकों में ‘जरगा और जलन’ से जलतरंग आदि प्रमुख हैं। आपके लिखित नाटकों की एक पुस्तक ” जलन से जल तरंग ” साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा प्रकाशित हुई है जिसमें 3 नाटक ‘कुकर फट सकता है’, ‘जलन से जल तरंग’ और ‘धनपति नवाब से प्रेम’ शामिल हैं । आपने कई लघु फिल्मों में भी अभिनय किया जिनमें’ टिटहरी के अंडे” और ‘लव’ प्रमुख हैं।

परिचय :

नाट्य कलाकार राम शर्मा जिनका पूरा नाम राम शंकर शर्मा है का जन्म 4 जून 1979 को पिता केदार लाल और माता गीता के परिवार में बूंदी जिले की तहसील केशोरायपाटन में हुआ। आपकी विद्यालयी शिक्षा कापरेन और केशोरायपाटन में हुई। विज्ञान में स्नातक करने के बाद में नर्सिंग के प्रशिक्षण के लिए जयपुर गए। आपने शिक्षा में बीएड, एम,ए,और नेट हिन्दी में किया। वर्ष 2006 में राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षा से चयनित हो कर शिक्षक के तौर पर प्रथम नियुक्ति राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय अरनेठा में हुई। यहां ये 18 जनवरी 2008 से सेवा करते रहे। इसके पश्चात पुनः राजस्थान लोक सेवा आयोग से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की परीक्षा उत्तीर्ण कर नर्सिंग ऑफिसर के तौर पर पंडित ब्रजसुंदर सामान्य चिकित्सालय बूंदी में नियुक्त हुए। यहां साल भर सेवा करने के उपरांत मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में सेवारत हैं। आप नाट्य कला से निरंतर जुड़े हुए हैं।

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