संपादकीय

मानवीय सदर्भों के कथाशिल्पी श्याम कुमार पोकरा

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
कहानी, नाटक, उपन्यास, टेलीफिल्म लेखन शिल्पी कथाकार श्याम कुमार पोकरा की सर्वाधिक चर्तित कहनी संग्रह “मजदूर मंडी” का एक अंश देखिए “यह चौराहा एक मजदूर मंडी है, रोज़ सुबह यहाँ श्रम की ख़रीद-फ़रोख्त होती है। खरीददार मजदूर की उम्र देखता है, उसके शरीर की शक्ति देखता है, फिर उसके भाव लगाता है। यहाँ का मजदूर सिर्फ़ अपने वर्तमान पर जीता है, उसका कोई अतीत नहीं, उसका न कोई भविष्य है और न भविष्य निधि। इस शहर के सृजन में लोगों ने अपना पूरा जीवन गुजार दिया है और आज बूढ़े होकर रोटी के मोहताज़ हो गए हैं।” मजदूर मंडी की इस कहानी का यह अंश बताता है कि मजदूरों की स्थिति-परिस्थिति और उनकी जिजीविषा को प्रस्तुत कर उनके जीवन संघर्ष को किस प्रकार प्रभावी रूप से उभारा गया हैं। दर असल यह दस कहानियों का एक संग्रह है जिसमें आठवी इस कहानी के नाम पर संग्रह का शीर्षक दिया गया है। सर्वाधिक चर्चा में रही इस कहानी पर कथाकार श्याम कुमार पोकरा को सम्मानित किया जाना उनकी कथा लेखन की सृजनशीलता की गहराई का स्वयं साक्ष्य है।

** इनका रचित उपन्यास ” बेलदार” भी मात्र व्यक्तित्व-कृतित्व का ब्यौरा नहीं है,वरन् एक सम्पूर्ण मानव के भीतर चलने वाली सृजित शक्ति का पुंज है वहीँ आत्मविश्वास की चिंगारी से यज्ञ की ज्वाला को अखंडता प्रदान करने की अनवरत साधना का साधक-पथ भी है। इनके उपन्यास पर कथाकार विजय जोशी यह टिपण्णी करते हुए कहते हैं यही नहीं बेलदारों की जीवनानुभूतियों को शिद्दत से उभारती यह कृति कर्मशील व्यक्तित्व का वह जीवन्त दस्तावेज़ है जिसमें मानवीय संवेदना के स्वर यत्र-तत्र अपनी तरंगों को गुंजायमान किये हैं।
** रचनाधर्मी का आतंक का आक्रमण तीसरा नाट्य संग्रह था। इसकी भूमिका में विजय जोशी कथाकार ने लिखते हुए कहा कि यह कृति मानवीय संवेदनाओं का सूक्ष्म विवेचना है। पोकरा अपने आसपास का कथानक ही नहीं चुनते वरन उनकी संवेदनशीलता और सूक्ष्म दृष्टि मानवीय संदर्भों के त्रिआयामी फलक को विस्तार प्रदान कर मानव जीवन के विविध पहलुओं को सृजन में ढाल देते हैं। अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रेरणात्मक संदर्भ भी उजागर करते हैं।
** उपन्यास बेलदार ” और कहानी संग्रह ” मजदूर मंडी ” उनका ऐसा ही सृजन है जो स्पस्ट करता है कि कथाकार श्यामकुमार पोकरा ऐसे सृजनधर्मी हैं जो अपने परिवेश की व्यापकता को उजागर कर उसे विस्तृत कैनवास प्रदान करतें हैं। यही नहीं इनकी 10 कहानियों का मराठी,मलयालम, तेलगू और गुजराती में अनुवाद भी किया गया है और इन्होंने रिश्ता नाता एवम दाढ़देवी माता पर बनने वाली टेलीफिल्म की पट कथा भी लिखी है।
** कृतियां : अपने कथानको में परिवेश को शिद्दत से मुखर कर अपनी सृजनशीलता की अमिट छाप छोड़ने वाले रचनाधर्मी ने अब तक कथा संग्रह में कुल 11 कृतियों की रचना की है। इनमें मजदूर मंडी, भारत देश है मेरा, आग का दरिया, सांझ के पंछी, समंदर की लहरें, *मां का आंचल”, *जीवन सांझ*, *मृत्युदेवी*, *माँ * एवम भारत माता की जय शामिल हैं। कथा कृतियों के साथ -साथ आपने 5 नाटकों का लेखन भी किया हैं। इनमें इस्पात के खंडहर, आजाद की आवाज़, *रोजगार महाराज”, *आतंक का आक्रमण* और *बेटी है महान” नामक नाटक शामिल हैं। नाटक से आगे चल कर अपने *बेलदार”, मां जोगनिया और चुडैल नामक 3 उपन्यासों की रचना भी की हैं।
** पुरस्कार : सर्वप्रथम आपको मेली चादर पर 1998 में ज्वाहरकला केंद्र द्वारा पुरस्कृत किया गया। राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत कथा संग्रह मजदूर मंडी काफी चर्चित रहा। आपको * इस्पात के खंडहर* पर राजस्थान साहित्य अकादमी के देवीलाल सांभर पुरुस्कार, रांची झारखंड का स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान, श्रीनाथ साहित्य मंडल,नाथद्वारा का साख्स्वत सम्मान और * मजदूर मंडी* पर मध्य प्रदेश तुलसी साहित्य अकादमी के तुलसी मानस सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही आप द्वारा लिखित 5 लघु नाटकों को भी ज्वाहरकला केंद्र जयपुर द्वारा पुरुस्कृत किया गया है।
** परिचय : कथा साहित्य से चर्चित श्याम कुमार पोकरा का जन्म 7 जुलाई1961 ग्राम रिछडिया, तहसील रामगंजमंडी में हुआ। आपने नई दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक्स में आई टी आई की शिक्षा प्राप्त की। आप भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग से सेवा निवृत हैं। आपको स्कूल के दिनों से ही लिखने की रुचि रही है। आप लिखते थे और मित्रों को पढ़ा कर खुश होते। बस यहीं तक सीमित थे। जब प्रथम बार 1998 में मौका मिला और उनकी कृति को सम्मानित किया गया, यहीं से रचनाधर्मिता ने गति पकड़ ली जो निर्बाध जारी है।

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