संपादकीय

अविस्मरणीय बन गई प्रदेश की एक मात्र शिक्षिका डॉ.कृष्णा कुमारी की सिंगापुर यात्रा

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा

धन्य है राजस्थान में कोटा की एक शिक्षिका कृष्णा कुमारी को शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विद्वता की वजह से सिंगापुर की यात्रा का सौभाग्य मिला, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। जब मुझे ज्ञात हुआ कि ये “सिंगापुर की यात्रा संस्मरण” पर ये एक बुक लिख रही हैं तो मैंने विदुषी शिक्षिका और साहित्यकार डॉ.कृष्णा कुमारी से संपर्क साधा। इन्होंने बताया की इनकी सिंगापुर की यात्रा जीवन में कभी न भूलने वाली अविस्मरणीय यात्रा है। वहां के अनुभव इतने गुदगुदा देने वाले रहे कि इन्होंने इस यात्रा के संस्मरणों पर एक बुक का लेखन किया जो प्रकाशनाधीन है।

ऐसे गए सिंगापुर :

सबसे पहले मेरा प्रश्न था आप सिंगापुर कैसे गई ? आपने उत्तर देते हुए बताया कि ‘एयर इण्डिया एवं राजस्थान पत्रिका’ की ओर से आयोजित ‘रेंक एण्ड बोल्ट प्रतियोगिता’ में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले शिक्षक एवं छात्र को पुरस्कार स्वरुप सिंगापुर का भ्रमण करवाया गया, जिस में भारत के 18 राज्यों के शिक्षक एवं छात्र सम्मिलित थे। इन में एक खुशनसीब मैं भी थी। पूरे राजस्थान के लिए गर्व का विषय है कि अपनी विद्वता की वजह से एक शिक्षिका को इस यात्रा करने का अवसर प्राप्त हुआ। इनकी ये यात्रा 6 से 9 अक्टूबर 2004 में की गई। यात्रा में हर राज्य के प्रमुख समाचार पत्र का एक प्रमुख पदाधिकारी भी शामिल रहे।

यादगार पल :

अपने प्रमुख यादगार संस्मरण के बारे में इन्होंने बताया की यात्रा के दौरान तत्कालीन भारत के राजदूत श्रीमान रवि बेंगर से मिलने का स्वर्णिम अवसर मिला। एयर इण्डिया के प्रोग्राम में इनसे भेंट करवाना भी शामिल था, अतः सारे समूह को राजदूत महोदय के आवास पर ले जाया गया। वहाँ एक डेढ़ घंटे तक उन्होंने शिक्षकों, छात्रों और मिडिया कर्मियों से संवाद किये और उनके सवालों के बहुत विनम्रता के साथ उत्तर दिए। राजदूत ने हम लोगों से भी पूछा कि आपको सिंगापुर कैसा लगा ? सब ने सस्वर में कहा बहुत बहुत अच्छा, अद्भुत….! इस के बाद बहुत ही स्वादिष्ट और विविध प्रकार के व्यंजनों वाला चाय नाश्ता,अल्पाहार हुआ, खूब स्वाद ले ले कर हम सब ने परस्पर हँसी, विनोद करते हुए अल्पाहार किया। परम आनंद के क्षण रहे। फिर उनके साथ हम सबका सामूहिक तथा अलग-अलग तस्वीरें लीं हम सब ने….। अविस्मरणीय पल थे वे। इन्होंने अपनी कुछ पुस्तकें भी उनको भेंट भेट की तो बहुत प्रफुल्लित हुए और पूछा कि आपने लिखी हैं, मैंने कहा जी हाँ, तो फिर बहुत ही खुश हुए।

ऐसा लगा सिंगापुर :

आपको सिंगापुर कैसा लगा, वहां क्या- क्या मजे किए और क्या – क्या देखा के प्रश्न पर उन्होंने बताया एक शायर ने कश्मीर के बारे में कहा है……
“अगर फ़िरदौस बररु–ए–ज़मीनस्त
हमीनस्तौ, हमीनस्तौ, हमीनस्तौ”
अर्थात ज़मीन पर कहीं जन्नत है तो यहीं है, यहीं है। यह बात हम सिंगापुर के ‘सेण्टोसा आइलैण्ड’ के लिए नि:संकोच कह सकते हैं।परीलोक की तरह खूबसूरत है सिंगापुर। जिधर भी दृष्टि जाती आकाश का स्पर्श करने को आतुर बहुमंजिली इमारतें और हरितिमा का साम्राज्य। काँच–सी फिसलती सड़कों के दोनों ओर फुलवारी, पंक्तिबद्ध घनी वृक्षावलियाँ, धरती पर बिछी हरी मखमल की चादर भला किस का मन नहीं मोह लेगी। इसीलिए इसे ‘ग्रीन–सिटी’ कहते है। वैसे इसे हम ‘सिटी ऑफ बिल्डिंग्स’ भी कह सकते हैं। दुनिया का सबसे ऊँचा 73 मंजिला होटल यहीं है। पहला नाइट सफारी यहीं है तो दक्षिणी पूर्व एशिया का सबसे बड़ा ‘जुरोंग बर्ड पार्क’ भी यहीं है।
वहां बिताए चार दिन के भ्रमण के बारे में ये बताती हैं हमने सिंगापुर के संग्रहालय, सिंगापुर नदी में क्रूज,रात को नाइट सफारी , अनेक प्रजातियों के सैंकड़ों जंगली जानवरों व पंछियों की स्वाभाविक अठखेलियाँ, काफी ऊँचे ‘रॉप–वे’ से ‘सेण्टोसा आइलैण्ड’ को देखने, टॉय–ट्रेन से आइलैण्ड की सैर, अण्डर वाटर वर्ल्ड में पानी में इठलाती सैंकड़ों प्रजातियों की बहुरंगी मछलियाँ,जुरोंग बर्ड पार्क जहाँ 8,000 प्रजातियों के प्राणी हैं, पेंग्विन भी है तो विश्व का सबसे ऊँचा मानव निर्मित झरना भी, बर्फ पर फिसलने और खेलने का भरपूर लुत्फ उठाया।
भारत से सिंगापुर तक की यात्रा के बारे में आपने बताया भारत से सिंगापुर की हवाई यात्रा का रोमांच ये कभी नहीं भूल पाती हैं। कहती हैं कि हवाई जहाज से उतरते ही सिंगापुर एयर इण्डिया के मेजबानों ने पूरे दल का स्वागत किया। वहाँ से सागर के किनारे–किनारे चलते–चलते, सिंगापुर नदी को पार कर के होटल ‘गोल्डन लैण्ड मार्क’ पहुँचे। जहाँ सब को ज्यूस से स्वागत कर के रुम–कार्ड दिए गए, हम सब अपने रूम में चले गए।अलौकिक अद्भुत है सिंगापुर, दिलों–दिमाग पर छा गया है हमेशा के लिए।

प्रधानमंत्री और राजदूत के संदेश :

सिंगापुर से लौटने के बाद इन्होंने इस यात्रा पर पुस्तक लिखना प्रारम्भ किया। सिंगापुर की और जानकारी प्राप्त करने हेतु अपना उद्देश्य बताते हुए राजदूत को पत्र लिख कर अनुरोध किया कि सिंगापुर के बारे में कोई संदर्भ पुस्तक भिजवा सकें तो आभारी रहूंगी।
उन्होंने तुरंत एक किताब भेजी,साथ में शुभकामना-पत्र भी। इस पत्र को अमूल्य निधि के तौर पर मैंने सुरक्षित रखा है। संदर्भ बुक से कृष्णा जी को ‘अद्भुत देश है सिंगापुर’ कृति लेखन में बहुत सहयोग मिला। वह बताती हैं इसी पुस्तक के प्रकाशन के संदर्भ में उन्होंने सिंगापुर के प्रधानमंत्री महोदय को पत्र लिखा तो उनकी ओर से भी शुभकामना और बधाई पत्र मिला जो मेरे लिए बहुत गर्व की बात है, अनमोल भी।

स्मरणीय पल :

एक बात और बताई कृष्णा जी ने बताते हुए कहा कि सिंगापुर के भ्रमण के पश्चात् एयर इण्डिया ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन किया। सब विजेताओं को किसी भी विषय पर प्रोजेक्ट बनाना था जिसके निर्देश बहुत उच्च स्तर के थे। इसके लिए सभी को मुंबई बुलाया गया और, ए क्लास सुविधाओं युक्त सात सितारा होटल में ठहराया। हम सभी विजेताओं के साक्षात्कार ‘मरीन ड्राइव’ के पास स्थित एयर इण्डिया की प्रमुख विशाल बिल्डिंग में हुए। साक्षात्कार लेने वाले महानुभावों में श्रीमान अमीन सयानी जी, उच्च न्यायालय के बड़े वकील, बड़ी- बड़ी कम्पनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सरीके विद्वान् थे। वह बताती हैं जैसे ही उन्होंने इंटरव्यू के बाद हाल में प्रवेश किया तो, सारे विजेताओं को अमीन सयानी साहब ऑटोग्राफ दे रहे थे,मैंने तुरंत उन्हें पहचान लिया और मैंने भी ऑटोग्राफ लिए। जैसे ही अमीन सयानी जी जाने लगे तो कार्यक्रम संयोजक ने अमीन सयानी जी को आवाज देकर बुलाया और इनसे मुख़ातिब होकर कहा कि ये राजस्थान से शिक्षक विजेता कृष्णा कुमारी जी हैं और ये सिंगापुर की यात्रा पर किताब लिख रही हैं, जिसका लोकार्पण आपको करना है। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा जरूर करेंगे और इनसे पुस्तक के संदर्भ में कई बातें कीं..। ये क्षण मेरे लिए कितने अद्भुत रहे, बता नहीं सकती। यह सब मुझे मेरे रचनाकर्म की वजह से ही संभव हो सका।

गौरवान्वित

कृष्णा जी गौरवान्वित हैं की इन्होंने अपनी जितनी कितने देश के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री महोदय को भेजी सभी के शुभकामना पत्र प्राप्त हुए हैं। इन पत्रों ने आपको और अधिक साहित्य लिखने के लिए प्रेरित व उत्साहित किया।

उर्दू में दखल :

बहुमुखी प्रतिभा की धनी साहित्यकार कृष्णा कुमारी राजस्थानी और हिंदी भाषा के साथ-साथ उर्दू भाषा में भी दखल रखती हैं और इस भाषा में भी साहित्य सृजन किया है। महाराष्ट्र के शोलापुर में उर्दू के लेखक शेख़ मुहम्मद सादिक़ ने उनके कृत्तित्व पर “द मुन्सिफ़ डेली हैदराबाद” समाचार पत्र में आलेख लिखा जिसमें आपकी उर्दू साहित्य को विशेष रूप से रेखंकित किया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय तुलसा.ओ के 74136 यू.एस.ए. से प्रकाशित मासिक प्रत्रिका ‘रोशनी’ उर्दू में ग़ज़लें, लधुकथायें आदि प्रकाशित होने से आपने साहित्य में अंतर्राष्ट्रीय स्थान बनाने का गौरव प्राप्त कर हाड़ोती ही नहीं देश को साहित्यिक क्षेत्र में पहचान दिलवाई। इनकी “क़तरा नदी में”( उर्दू ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशनाधीन है। आप कविता, गीत, गज़ल, रिपोर्ताज़, स्लोगन, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार, यात्रा वृतांत, बाल गीत, समीक्षाएँ लिखने में प्रवीण हैं। अब तक विविध विधाओं पर आपकी 11 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। संगीत, वादन एवं चित्रकला में भी आपकी विशेष रूचि रखती हैं। आपकी बनाई पेंटिंग्स और रेखा चित्र कई पुस्तकों एवं पत्रिकाओं के आवरण पृष्ठ बने हैं। वह पल भी आपके लिए चिरस्मरणीय रहा जब 2008 के शिक्षक दिवस पर आपको महामहिम राज्यपाल द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित किया गया। साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाना आपकी साहित्यिक प्रतिभा की कहानी कहते हैं।

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