संपादकीय

साहित्य, जनसंपर्क और समाज सेवा की त्रिवेणी घनश्याम वर्मा

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
सामान्य कद, गेहुंआ रंग, उन्नत ललाट, मृदुभाषी, हंसमुख चेहरा, मिलनसार, विनम्र स्वभाव वाले व्यकित्व के धनी हैं घनश्याम वर्मा । राजस्थान के हाड़ौती अंचल में कला, संस्कृति, पर्यटन, पुरातत्व, लोककला, व्यक्तित्व-कृतित्व तथा रचनात्मक और विकासात्मक विषयों पर सरल एवं सुग्राहय भाषा शैली में निर्बाध लेखन कार्य करने वाले लेखकों तथा रचनाधर्मियों में राजस्थान के साहित्य एवं मीडिया जगत में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं वर्मा। लेखन के साथ-साथ संगीत, पर्यटन और समाजसेवा भी आपकी विशेष अभिरुचि के क्षेत्र हैं।

  • रचनाधर्मिता

आपकी विद्यार्थी जीवन से ही स्वाध्याय एवं लेखन कार्य में वियेष रूचि रही है। स्नातकोत्तर शिक्षा के दौरान आपने एक लघु शोध प्रबंध भी लिखा था। राजकीय सेवा में आने के बाद आपका लेखकीय गुण धर्म परवान चढ़ता चला गया। विभागीय दायित्व निभाते हुए रचना धर्मिता को भी और अधिक महत्व दिया। आपके लेखन के विषयों में पर्यटन, पुरातत्व, कला, संस्कृति, तीज – त्यौहार, लोकानुरंजन, धर्म – संस्कृति, समाज, नैतिक शिक्षा, अनुशासन, सदाचार, पर्यावरण, वन्य जीव संरक्षण, जीवन दर्शन, भेंटवार्ता आदि शामिल हैं। इनके साथ – साथ लोकोत्सव, लोकतीर्थ, लोककलाएं, लोक देवी- देवता, लोकनृत्य, लोकगीत, लोक-चित्रांकन, आंचलिक मेले आदि भी प्रमुख विषय रहे हैं।
आपकी लेखनी का बहुत बड़ा हिस्सा हाड़ौती अंचल पर केंद्रित रहा है, जो अंचल के प्रति इनकी अपनत्व की भावना का द्योतक है। निश्चित रूप से इन्होंने अपने सेवा काल में रचनाधर्मिता के प्रति पूर्ण ईमानदारी का परिचय दिया है। इस दौरान रचनात्मक एवं विकासात्मक हजारों लेख, फीचर, रिपोर्ताज, सफल कहानियां तथा भेंट वार्ताओं पर लेखन कार्य किया।
इनके द्वारा लिखे गये सृजनात्मक आलेख विभागीय पत्रिका सुजस के अलावा बड़ी संख्या में कई सरकारी एवं गैर सरकारी पत्र – पत्रिकाओं में भी निरंतर प्रकाशित हुए हैं। मुख्य रूप से धर्मयुग, हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, दिनमान, सरिता, मुक्ता, गृहशोभा, शिविरा, समाज कल्याण, कुरूक्षेत्र, शरद कृषि, भारतीय रेल, डाक तार, जान्हवी, सहकारिता, माणक, जागती जोत, मधुमती, इतवारी पत्रिका, हमारा घर, आजकल, संस्कृति, सुमन सौरभ, कल्याण आदि पत्रिकाओं में इनके आलेख प्रकाशित हुए हैं। एयर इंडिया की मासिक पत्रिका ’स्वागत’ में भी आपकी रचनाओं को कई बार स्थान मिला है। समाचार पत्रों में नवभारत टाइम्स, दैनिक हिन्दुस्तान, पंजाब केसरी, ट्रिब्यून, नई दुनिया, जनसत्ता, अमर उजाला, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, नवज्योति, राष्ट्रदूत एवं अन्य कई समाचार पत्रों ने निरंतर आपकी रचनाओं को प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है।
आपने कई विभागीय प्रकाशनों के लिए लेखन, संपादन एवं प्रकाशन कार्य भी किया है। हाड़ोती के स्वतंत्रता सेनानियों पर भी आपने मोनोग्राफ तैयार कर ब्रोशर छपवाये हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी, राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी तथा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने अपने प्रकाशनों में इनकी की रचनाओं को समुचित स्थान दिया। नामदेव समान की त्रैमासिकी श्री विट्ठल नामदेव पत्रिका के प्रधान संपादक का दायित्व भी ये पिछले तीन दशक से बखूबी निभा रहे हैं, जिसका विस्तार देश के 16 राज्यों में है। प्रकाशन के साथ-साथ आकाशवाणी के जयपुर, उदयपुर, बीकानेर, कोटा एवं झालावाड़ आदि केन्दों से विभिन्न विषयों पर आपकी अपकी लगभग सवा सौ रेडियो वार्तायें प्रसारित हो चुकी हैं और यह क्रम आज भी अनवरत जारी है।
हाड़ोती के संस्कृति पुरूष स्व.प्रेम जी प्रेम ने नवम्बर 1986 में कोटा से प्रकाशित एक समाचार पत्र में घर का जोगी श्रृंखला में वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर लिखे एक
वृत्तचित्र में लिखा था “लेखकीय ईमानदारी का निर्वहन ही नहीं, शब्दों को सहजता के साथ तथ्यों के अनुरूप प्रयोग करना भी वर्मा की खूबी है। इनके लेख विख्यात चित्रकार स्व. प्रेम चंद शर्मा “बाबूजी” के चित्रों की तरह हैं, जिनमें देखने से लेकर डूबने तक के सारे तत्व मौजूद हैं।” राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा. दयाकृष्ण विजय, हाड़ोती शोघ प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. शांति भारद्वाज राकेश आदि विद्वान साहित्यकार भी इनकी रचना धर्मिता के प्रशंसक थे। इनकी रचनाऐं पर्याप्त खोजबीन एवं अध्ययन पर अधारित होने के कारण प्रामाणिक भी मानी जाती हैं।

  • सामाजिक योगदान

लेखन के साथ-साथ समाज सेवा आपके जीवन का अनिवार्य अंग है। विद्यार्थी जीवन में स्काउट एवं राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ रहे। किशोरावस्था से ही समाज सेवा कार्यों में संलग्न हो गये। आप अपने नामदेव छीपा समाज में 1975 से ही सेवाऐं दे रहे हैं। आप कई वर्षों तक संभागीय संस्था श्री नामदेव समाज- समाज हितेषी सभा कोटा के प्रचार मंत्री और महामंत्री रहे। वर्ष 2016-17 में कोटा के संभागीय अध्यक्ष रहे। जिला स्तरीय संस्था के भी आप अध्यक्ष और महामंत्री रहे। आप 23 वर्षों तक राष्ट्रीय छीपा महासभा के महामंत्री रहे तथा वर्तमान में आप इसी महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ( प्रशासन) के पद पर सेवारत हैं । इनके द्वारा संपादित समाजिक पत्रिका समाज बंधुओं से सम्पर्क और संवाद में सेतु का कार्य कर रही है। इस माध्यम से देश भर के नामदेव समाज बंधुओं से आपका सीधा संवाद बना रहता है।
आपने हाड़ोती क्षेत्रबके नामदेव समाज की जनगणना निर्देशिकाओं तथा दूरभाष निर्देशिकाओं के संपादन एवं प्रकाशन का कार्य भी किया है। नामदेव एवं अन्य समजों में इनको सर्वत्र बहुत अधिक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है जो आपकी लोकप्रियता का द्योतक है।

  • सम्मान

साहित्य सेवी, समाज सेवी और कर्तव्य निष्ठ अधिकारी के रूप में घनश्याम वर्मा को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए जिला प्रशासन तथा कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित किया गया है। जिला प्रशासन कोटा, बारां और बूंदी तथा वन विभाग द्वारा आपको उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए सम्मानित किया है। सामाजिक संस्थागत स्तर पर आपको समाज विभूषण, समाज भूषण समाज गौरव तथा अन्य उपाधियों से सम्मानित किया गया। साथ ही भारतीय स्टेट बैंक, सिन्धु सोशल सर्किल,रोटरी क्लब, लायन्स क्लब, इनर व्हील क्लब, रेडक्रास सोसाइटी आदि ने भी आपकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया है। विद्यार्थी जीवन में विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में अनेक बार आपको पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए हैं। आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के तहत कोटा में आयोजित वरिष्ठ ग्राहक एवं वरिष्ठ नागरिक सम्मान समारोह में भी आपको सम्मानित किया गया। आपको जयपुर में 17 सितंबर 2023 को आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया।

  • सम्बद्धता

आप राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक की अनेक संस्थाओं से लंबे समय से जुड़े हुए हैं जिनमें पब्लिक रिलेशन्स सोसयटी आफ इंडिया, मीडिया फोरम, प्रेस क्लब, रेडक्रास सोसायटी, पर्यावरण परिषद, ऑफिसर्स क्लब, अखिल भारतीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद तथा नामदेव छीपा समाज की अनेक संस्थाएं शामिल हैं।

  • परिचय

लेखक, स्वतंत्र पत्रकार, समाज सेवी, संस्कृति सेवी तथा पर्यटन, कला एवं पर्यावरण प्रेमी घनश्याम वर्मा का जन्म झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ग्राम में 10 सितंबर 1954 को पिता माधोलाल छीपा और माता कमला बाई के नामदेव परिवार में हुआ। माता-पिता ने विषम आर्थिक परिस्थितियों में पांच भाई बहिनों का लालन – पालन किया। आप पिता की दूसरी संतान थे। आपकी हायर सेकेण्ड्री तक की शिक्षा ग्राम मनोहरथाना एवं अकलेरा में हुई।
बचपन से ही संगीत में विशेष रूचि होने के कारण विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की विभिन्न गायन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया और पुरस्कृत भी हुए। आपने 1972-73 में गंघर्व महाविद्यालय मंडल मुम्बई से संबद्ध सांयकालीन राजकीय संगीत विद्यालय झालावाड़ से गायन विधा में प्रारंभिक एवं प्रवेशिका प्रथम स्तर तक की संगीत की शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 1974 में राजकीय महाविद्यालय झालावाड़ से कला स्नातक की डिग्री प्राप्त की। जयपुर से 1976 में संस्कृत विषय में प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। संभवत राजस्थान विश्व विद्यालय जयपुर से पी.जी.की डिग्री प्राप्त करने वाले श्री घनश्याम वर्मा अपने गांव के पहले विद्यार्थी रहे हैं। राजकीय सेवा काल में आपने हिन्दी एवं पत्रकरिता विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्रियां प्राप्त की। वर्ष 1977 में आपकी सर्विस सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में उद्घोषक के पद पर लग गई और प्रथम नियुक्ति बीकानेर में हुई। सेवा काल में आपने 10 जिलों में अपनी सेवाएं दी और कई बार राजकीय जिला पुस्तकालयों के अतिरिक्त कार्यभार की जिम्मेदारी भी निभाई। आपने 5 वर्ष तक वन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर भी सेवाएं दी। सेवा काल में उद्घोषक के पश्चात सहायक जन संपर्क अधिकारी, जन संपर्क अधिकारी और सहायक निदेशक की पदोन्नति प्राप्त कर आप सितम्बर 2014 में सहायक निदेशक कोटा से सेवा निवृत हुए।
अपने सेवाकाल में आपने विभिन्न संस्थाओं और विद्यालयों में नैतिक शिक्षा और संस्कार शिविर आयोजित कर बाल्यकाल से बच्चों को संस्कारित करने का उल्लेखनीय कार्य किया। इन्होंने अपनी शासकीय और निजी यात्राओं में हाड़ोती, राजस्थान और देश के अनेक पर्यटन स्थलों का न केवल भ्रमण किया वरन उन पर सचित्र आलेख लिख कर पत्र -पत्रिकाओं के माध्यम से जन-जन तक पहुंचा कर पर्यटन के प्रति जागरूकता भी उत्पन्न की। आपके जीवन में विकट मोड़ तब आया जब आपकी धर्म पत्नी संतोष वर्मा एक असाध्य बीमारी के कारण 10 मार्च 2021 को संसार से विदा हो गई। इस अपूरनीय क्षति के रहते हुए भी आप सिविल लाइन्स, कोटा स्थित आवास पर स्वाध्याय, लेखन और समाज सेवा कार्यों में निरंतर लगे हुए हैं जो आपकी जीवटता और कर्मशीलता की मिसाल है।

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