शिक्षा

आयशा एडुटेक ने दिल्ली एनसीआर में प्रसिद्ध सुपर-30 के सहयोग से रहमान-30 को लॉन्च किया

नई दिल्ली । यह ठीक ही कहा गया है कि ज्ञान किसी की दासी नहीं होती। लेकिन, सुपर-30 ने समाज के वंचित तबके को ज्ञान देकर बिहार में इसे पहला साबित किया। यह चौंकाने वाली खबर है कि अब सुपर-30 के सहयोग से रहमान के 30 दिल्ली एनसीआर और देश के अन्य कोनों में समान भूमिका निभाएंगे। नई दिल्ली के रहमान’30 शाहीन बाग के शुभारंभ के लिए इसके पहले स्थान के रूप में चुना गया है।
इस अवसर पर आयशा प्रा. लिमिटेड ने सुपर -30 के सहयोग से रहमान -30 की छतरी के नीचे शिक्षा प्रदान करने की पहल के लिए एक भव्य उद्घाटन की मेजबानी की। इस संस्थान के लॉन्च के कार्यक्रम की शुरूआत कुरान-ए-पाक के आयत से की गई। उसके बाद वहां उपस्थित अतिथिगणों ने संस्थान से संबंधित अपने विचार मीडिया के समक्ष व्यक्त किए। बता दें कि मुख्य अतिथि श्री महबूब अली कैसर – माननीय संसद सदस्य, श्री आनंद कुमार – संस्थापक सुपर -30 कार्यक्रम और ब्रिगेडियर सैयद अहमद अली – पूर्व प्रो वाइस चांसलर, एएमयू, श्री सेराज कुरैशी, अध्यक्ष भारत इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र, विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता कार्यक्रम में मौजूद रहे।
लॉन्च पर रहमान के 30 के श्री ओबैदुर रहमान ने कहा, इस अकादमी को लॉन्च करना हमारे लिए गर्व का क्षण है, जहां श्री आनंद, जो कई लोगों के जीवन को बदलने के लिए जाने जाते हैं, छात्रों की प्रगति जानने के लिए समय-समय पर आएंगे। हम एनसीआर के अन्य हिस्सों में भी अकादमियां शुरू करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा बच्चों का सेलेक्शन मैरिट के आधार पर किया जाएगा, बच्चों को पहले टेस्ट देना पड़ेगा। श्री रहमान ने आगे कहा कि हमारा यही मकसद है कि हम बच्चों को क्वालिटी एजूकेशन मुहैया करा पाएं ताकि बच्चे आगे जाकर अपने जीवन के लक्ष्य में सफलता हासिल कर पाएं।

विशिष्ट अथिति श्री आनंद कुमार ने सभी का अभिनंदन करते हुए कहा कि रहमान-30 के साथ जुड़ने का मेरा उद्देश्य यही था कि हमारा संस्थान सुपर30 पटना में और हम हर जगह मौजूद नहीं रह सकते और हमें श्री औबेदुर रहमान जी ने बताया था कि वो भी एक इनिशिएटिव शुरू करना चाहते हैं जिससे ऐसे बच्चों को मदद मिल सके जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं लेकिन उनमें आगे बढ़ने और कुछ करने की काबिलियत है। इसलिए मुझे लगा कि इस इनिशिएटिव को देखने पर बहुत जुझारू बच्चों को पूरी मदद के साथ औबेदुर रहमान ने आगे बढ़ने में मदद की है। मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो मैं 2 बजे रात को भी क्लास लेने को तत्तपर रहूंगा। और साथ ही साथ मेरी यह भी कोषिश रहेगी कि मैं यहां आकर भी क्लास ले सकूं।

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