शिक्षा

क्लैट 2020 में सफलता के लिए सबसे बेहतरीन रणनीति

नई दिल्ली। लॉ की डिग्री को कई दशकों से भारी लोकप्रियता मिलती आ रही है और इसका कारण यह है कि किसी भी स्ट्रीम (कॉमर्स हो या इंजीनियरिंग) का छात्र आसानी से इसका चयन कर सकता है। इसके अलावा, समाज में करियर और सम्मान के मामले में भी इसका बहुत स्कोप है।
नई दिल्ली स्थित प्रथम एजुकेशन के लॉ विभाग के नेशनल प्रॉडक्ट हेड, श्री अमनदीप राजगोत्रा ने बताया कि, “क्लैट 2019 की परीक्षा हाल ही में सफलतापूर्वक अयोजित की गई थी, जिससे लॉ के कई उम्मीदवारों को उनके पसंद का कॉलेज मिलने में मदद मिली। हालांकि, कुछ अंको के फर्क के कारण कुछ छात्र सफल नहीं हो सके। ऐसे छात्रों के लिए यही सलाह है कि, यह समय निराश होने का नहीं है बल्कि की गई गलतियों को पीछे छोड़ नई रणनीति तैयार करने का समय है। अगली परीक्षा में अभी पूरा 1 साल बाकी है इसलिए तैयारी के लिए भी काफी समय है। प्रारंभिक तैयारी उन्हें क्लैट 2020 में अच्छा प्रदर्शन करने और सफलता पाने में मदद करेगी।”
लॉ प्रवेश परीक्षा यानी कि क्लैट की परीक्षा अब ऑफलाइन हो चुकी है। पेपर के मुख्य भागों में सामान्य ज्ञान, लीगल एप्टीट्यूड, अंग्रेजी, लॉजिकल रीजनिंग और गणित शामिल हैं। लॉ की डिगरी करियर के विभिन्न अवसर प्रदान करती है, जिसके साथ आप पैरालीगल, जासूसी, वकील, जज, सामाजिक कार्य और एमएनसी और बैंक में कॉरपोरेट लॉयर जैसे विकल्पों में अपने पसंद के करियर का चुनाव कर सकते हैं। इतना ही नहीं, आप खुद का बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं।
श्री अमनदीप राजगोत्रा ने आगे बताया कि, “इस परीक्षा को क्रैक करने के लिए कठिन परिश्रम बहुत जरूरी है। आखिर वक्त में की गई तैयारी से छात्र को कुछ खास मदद नहीं मिलती इसलिए शुरुआत से ही तैयारी करें और साथ ही उसका रिवीजन भी करते चलें। छात्रों को मॉक टेस्ट सीरीज को नियमित रूप से हल करना चाहिए। यह उनकी समझ का विस्तार करता है और चीजों को याद रखने में भी आसानी होती है। बच्चों को हंसमुख और शांत वातावरण में रखना चाहिए क्योंकि यह वातावरण उसे सफलता का रास्ता दिखाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नियमित करंट अफयर्स की तैयारी करते चलें। यदि आप अभी से तैयारी शुरू कर देंगे और निरंतर प्रयास करेंगे तो आपको अपना सपना पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता है।”
एक छात्र के लिए 12वीं की बोर्ड परीक्षा पर ध्यान देना और साथ ही प्रवेश परीक्षा की तैयारी करना बहुत जरूरी है। छात्रों के लिए दोनों परीक्षाओं के बीच संतुलन बनाकर रखना आवश्यक हो जाता है क्योंकि एक अंको के आधार पर कॉलेज में प्रवेश दिलाती है तो दूसरी प्रवेश परीक्षा के आधार पर एक बेहतरीन संस्थान में पढ़ने का मौका देती है।

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