छत्तीसगढ़ के सिक्का के संग्रह पर आधारित फिल्म छत्तीसगढ़ : ‘ए न्यूमिस्मैटिक हिस्टोरी’
क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि फिल्म के बिना दुनिया कैसी रहेगी, इसका तत्काल जवाब दुनिया का कम मनोरंजक होना। फिल्म आपको हँसाती है रूलाती है, कभी खुषी से कुदने को मजबूर करती है तो कभी डराती भी है। लेकिन कुछ फिल्में हमें जीवन, इतिहास व फिलोसफी भी सिखाती है। एैसी ही एक डाक्यूमेन्ट्री फीचर फिल्म जो कि डॉ भानु प्रताप सिंह के छत्तीसगढ़ के सिक्कों के संग्रह पर आधारित है, का फिल्मांकन माह जून में हुआ।
अपने हाथ में रखे सिक्कों के बारे में सोचिये, हो सकता है ये सिक्का कलचुरी राजा जाजल्ल देव के द्वारा वेस्टर्न गंग राजा को हराने के अवसर पर स्वयं को सिंह व उसे हाथी के रूप में दर्षाता है या फिर मल्हार के राजाओं द्वारा मगध के पंच मार्क सिक्कों पर ब्राम्ही म का अंकन कर अपनी संप्रभुता का प्रदर्शन करता हो। सिक्कों के सग्रहकर्ता इन पूरातात्विक महत्व के सिक्कों को भावी पीढ़ी के लिये सुरक्षित तो रखतें ही है। साथ ही एक बुद्धिमान सिक्का संग्रहकर्ता इसे एक षानदार निवेष के रूप में भी बदल देता है।
सम्पूर्ण संग्रह को व्यवस्थित तरीके से डिस्प्ले कर एक परदर्षनी की गयी थी व इसका फिल्मांकन राजाओं के हर सिक्कों पर आधारित कहानी को लेकर इसका फिल्मांकन किया गया, इस फिल्म ‘छत्तीसगढ़ :- एक मौद्रिक इतिहास’ “Chhattisgarh:- A Numismatic History”. का निर्माण आदित्य प्रताप सिंह एंटर्टेंमेंट्स के द्वारा किया गया है। यह एक षानदार फिल्म है। तथा इसे सभी बड़े न्यूज चैनलों द्वारा कवरेज दिया गया है। लगभग 100 मिनट की इस फिल्म में डॉ भानु प्रताप सिंह, आदित्य प्रताप सिंह, रितिका बदियानी, एक्ट्रेस व अस्मिता अरोरा ब्लागर महत्वपूर्ण रोलेर रहे हैं।
डॉ भानु प्रताप सिंह ने प्रेस को बताया कि वे बचपन से ही सिक्का संग्रहण करते आ रहे है। जो कि कालांतर में एक जूनून बन गया और आज उनके संग्रह में पूरी दुनिया से लाखो सिक्के व कागजी मुद्रा है। उन्होने आगे बताया कि उन्हे प्राचीन काल खासकर छत्तीसगढ़ राज्य, प्राचीन दक्षिण कोसल के सिक्के जमा करना पसंद है। क्योंकि यह उनका गृह राज्य है। उन्होने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्राप्त होने वाले सिक्के दुनिया के किसी भी प्राचीनतम सभ्यता सें प्राप्त होने वाले सिक्कों की तरह समृद्ध व समकक्ष है। उन्होने बताया कि छत्तीसगढ़ के सिक्को पर उन्होने पी.एच.डी. व डी.लिट किया है।
साथ ही ग्राम जौन्दा में मिले सिक्कों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जरनल में अपने रिसर्च पेपर के द्वारा उन्हे 7वी सदी ईसा पूर्व, पूर्व जनपद काल का सिद्ध किया है। डॉ सिंह ने आगं बताया कि मल्हार के राजाओं द्वारा मगध के पंच मार्क सिक्कों पर ब्राम्ही म का अंकन कर अपनी संप्रभुता का प्रदर्शन करना, अपनी तरह का एक अनोखा सिक्का है। उसी तरह सिरपुर व बस्तर में प्राप्त रिपौसी सिक्के, अपनी तरह के एकमात्र अनोखे सिक्के हैं। जिन्हे चाँदी या सोने के बहुत ही पतले षीट पर रिपौसी विधि से बनाया गया है। इन सभी सिक्कों को इस प्रदर्शन में जनसामान्य के लिये परदर्षित किया गया है। साथ ही इन्हें फिल्म में भी दिखाया गया है।
फिल्म के प्रोड्यूसर आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि वे बचपन से अपने पिता डॉ भानु प्रताप सिंह के साथ ही सिक्का संग्रहण व इसके प्रचार प्रसार से जुड़े हुये है। उन्होने आगे बताया कि उनकी मित्र अभिनेत्री रितिका बदियानी व ब्लागर अस्मिता अरोरा दोनो इस फिल्म में काम कर रही हैं। अभिनेत्री रितिका बदियानी ने कहा कि यह फिल्म आम फिल्मों से अलग व अनोखी है, और वह छत्तीसगढ़ के समृद्ध सिक्कों के इस संग्रह से अचंभित व बहुत प्रभावित है। फैशन ब्लागर अस्मिता अरोरा ने कहा कि उन्हे इतना महत्वपूर्ण संग्रह देखने मिला व इसके बारे में विस्तार में जानकारी भी मिली। वह बहुत प्रभावित हैं और इस पर और अध्ययन कर व डॉ सिह से और जानकारी लेकर ब्लाग लिखने हेतु अति उत्साहित है और हम सभी इस फिल्म को लेकर उत्साहित है।