मनोरंजन

‘भोर’ में झलकती महिला सशक्तिकरण की किरण

एक लड़की परम्पराएं और लोगों की जिद पर काबू पाकर अपने सपनों को ना केवल साकार करती है, बल्कि समाज और लोगों को भी महसूस करवाती है कि जिंदगी की असली भोर कैसे होगी।
कामाख्या नारायण सिंह द्वारा निर्देशित ‘भोर‘ फिल्म महिला सशक्तिकरण और बहुत कुछ कहती है। इसी के साथ यह फिल्म मुसहर जनजाति की युवती बुधनी के जरिए महिला सशक्तिकरण के साथ भारत के स्वच्छता के मुद्दों पर संदेश दे रही है।
इस फिल्म की कहानी मुसहर जाति की एक युवती बुधनी की जो अपने जीवन में शिक्षा की भोर लाना चाहती है, पढ़ने के लिए उसे ससुराल वालों से गांव वालों से जंग लड़नी पड़ती है। अब फिल्म निर्माता कामाख्या नारायण सिंह की फिल्म ‘भोर’ को एमएक्स प्लेयर पर लाइव स्ट्रीमिंग के लिए तैयार है।
निर्देशक कामाख्या नारायण सिंह ने कहा, ‘एक फिल्म निर्माता और सामाजिक कार्य (शिक्षा) के छात्र के रूप में मुंबई में 10 वर्षों से हूं और मुझे दुनिया और भारत की यात्रा करने का मौका मिला। अपने गृह प्रदेश बिहार को मैंने अपनी पहली फिल्म के लिए चुना है। यहां की मुसहर जनजाति के लोगों की कहानी को भोर के जरिए दुनिया के सामने लाने की कोशिश की है इसके लिए गांव में अपनी पूरी यूनिट के साथ दो महीनों तक दिल्ली और मुंबई के कलाकारों के साथ शूटिंग की। जब भी किसी कॉस्टयूम की जरुरत होती थी, तो वो उन्हीं मुसहर लोगों से मांग लिया करते थे और बदले में उन्हें नए कपड़े दे दिया करते थे।
निर्देशक कामाख्या नारायण सिंह ने कहा, ‘फिल्म बुधनी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो बिहार में मुसहर समुदाय की लड़की है, जो अपनी शादी कानूनी उम्र से कम होने के बावजूद अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने का सपना देखती है और कैसे वह स्वच्छता के लिए शौचालय बनाने के लिए सभी बाधाओं से लड़ती है। बुधनी पढ़ाई करना चाहती है पर उसका परिवार उसकी शादी कराना चाहता है। बाद में वह सुगन नाम के आदमी से शादी के लिए इस शर्त पर तैयार हो जाती हैं कि वह उसे पढ़ाई जारी रखने दे। शादी के बाद भी बुधनी और सुगन को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
निर्माता एके सिंह ने कहा कि मेरे पास फिल्मी पृष्ठभूमि नहीं है, लेकिन मैं हमेशा एक फिल्म बनाना चाहता हूं। मैंने अपना पूरा बचपन ग्रामीण क्षेत्रों में बिताया है। मैं एक ऐसी स्क्रिप्ट की तलाश में था, जिसका निर्माण करना चाहता हूं। जब भोर की कहानी मेरे पास आई, तो यह मुझे मेरे गाँव में ले गया जहाँ भुसर और ठाकुर थे और कैसे रहते थे। यह एक बहुत ही यथार्थवादी स्क्रिप्ट थी और इसलिए मैं इसे करना चाहता था।
यह फिल्म जिन्दगी के इसी ताने बाने, सामाजिक संघर्ष और सपनों की कहानी है। फिल्म के मुख्य कलाकार हैं सावेरी श्री गौर, देवेश रंजन और नलनीश नील। सावेरी श्री दिल्ली के मशहूर थिएटर ग्रुप ‘अस्मिता’ के निर्देशक अरविन्द गौर की बेटी हैं। अस्मिता थिएटर ने बॉलीवुड को कंगना रानौत, दीपक डोबरियाल और पियूष मिश्रा जैसे बड़े कलाकार दिए हैं। फिल्म में नलनेश नील, देवेश राजन, सावेरी श्री गौर और पुण्य प्रसून बाजपेयी जैसे कलाकारों की टुकड़ी है।
इस फिल्म ने ओटावा इंडियन फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार और बोस्टन के दो पुरस्कार कैलीडोस्कोप इंडियन फिल्म फेस्टिवल में भी जीता। भोर फिल्म को ‘काहिरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’, ‘इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया’ (ळव्।), इंडो – बर्लिन फिल्म वीक (बर्लिन), मेलबर्न इंडिया फिल्म फेस्टिवल, ऑस्ट्रेलिया सहित तीस से अधिक फिल्म समारोहों में प्रशंसा मिली है।

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