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कम्पलीट मसाला फिल्म है जो आपको एंटरटेन करती है लेकिन बोर नहीं करती

फिल्म का नाम : शहज़ादा
फिल्म के कलाकार : कार्तिक आर्यन, कृति सेनॉन, हिंदुजा, परेश रावल, मनीषा कोईराला और रॉनित रॉय?
फिल्म के निर्देशक : रोहित धवन
रेटिंग : 3/5

निर्देशक रोहित धवन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘शहज़ादा’ आज से सिनेमाघरों में लग चुकी है। हालांकि यह फिल्म एक हफ्ते पहले रिलीज़ होने वाली थी लेकिन पठान की बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त धमाल की वजह से फिल्म 17 को रिलीज़ की गई। यह तेलुगु फिल्म ‘अला वैकुंठपुरमलो’ की हिंदी रीमेक है। अब यह फिल्म दर्शकों को कितना पसंद आती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

फिल्म की कहानी :

जिंदल एंटरप्राइजेस के मालिक रणदीप जिंदल (रोनित रॉय) और उनकी कंपनी में काम करने वाला कलर्क बाल्मिकी (परेश रावल) के घर में बेटे का जन्म होता है। नर्स जब रणदीप जिंदल के बेटे को उनकी पत्नी को सौंपने के लिए जाती है तब देखती है कि बच्चे में कोई हरकत नहीं है यही बात वो जिंदल परिवार को फोन पर बताना चाहती है लेकिन तभी बाल्मिकी उसे बताने से रोकता है और कहता है कि मेरे जन्मे बच्चे को तुम जिंदल की पत्नी के पास रख दीजिए मैंने बर्षों जिंदल के यहां काम किया है, मैं यह नहीं चाहता कि जिंदल को इस दुख का सामना करना पड़े। तभी नर्स बाल्मिकी के बेटे को जिंदल की पत्नी के पास रख देती है और उनके मृत बच्चे को उठा लेती है। लेकिन तभी बच्चा जोर से रोता है और नर्स उसे वापस जिंदल की पत्नी के पास रखना चाहती है लेकिन वाल्मिकी उसे ऐसा करने से मना कर देता है और उससे जबर्दस्ती बच्चा छीन लेता है, इसी हथापाई में नर्स बिल्डिंग से नीचे गिर जाती है और कोमा में चली जाती है। ऐसे में जिंदल कंपनी का इकलौता शहजादा बंटू (कार्तिक आर्यन) एक मामूली से क्लर्क का बेटा बनकर रह जाता है और वहीं क्लर्क का बेटा राज (राठी) जिंदल राजघराने में ठाठ से रहता है। अपनी फूटी किस्मत लिए बंटू को हमेशा सेकेंड हैंड चीजों से गुजारा करना पड़ता है। नौकरी ढूंढते बंटू की मुलाकात समारा(कृति सेनन) से होती है। बॉस के रूप में मिली समारा को देख बंटू उसके प्यार की गिरफ्त में पड़ जाता है। इसी बीच उसे बाल्मिकी की इस घिनौनी सच्चाई का भी पता लगता है। अब कहानी यहीं से एक नया मोड़ लेती है, लेकिन पूरी कहानी जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

फिल्म को देखने पर लगता है कि जैसे आप कोई 80-90 के दशक की मसाला फिल्म देख रहे हैं, जिसमें हीरो विलेन की जमकर धुलाई करता है, हीरोइन के साथ रोमांस करता है, स्ट्रगल करता है, बड़े सपने देखता है, धमाकेदार गानों पर नाचता है और दर्शकों को हंसाने के साथ-साथ रुलाता भी है। इसी मसाले को निर्देशक ने आज के दौर में फिट करके दिखाने की कोशिश की है।
फिल्म में कार्तिक आर्यन ने फिल्म में स्वैग के साथ अपने कॉमिक अंदाज़ में लोगों को एंटरटेन करने की पूरी कोशिश की है और वो इसमें काफी हद तक कामयाब भी होते है। परेश रावल के साथ कार्तिक की एक्टिंग काफी अच्छी लगती है, दोनों एक दूसरे पर हावी नहीं दिखते, दोनों का रोल एक दूसरे से काफी अलग है। कृति का रोल भी काफी अच्छा है और कहानी के हिसाब से ठीक है। रॉनित रॉय स्क्रीन पर काफी अच्छे दिखते हैं उनकी एकि्ंटंग काफी सधी हुई है। मनीषा कोईराला सक्रीन पर फेस से काफी उम्रदराज दिखती है हालांकि उनकी एक्टिंग में कोई कमी नहीं है वो काफी सहज दिखती हैं। राजपाल यादव के सीन फिल्म बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन पूरी फिल्म में उनका न होना अखरता नहीं है क्योंकि दर्शकों को कार्तिक के पंचेज में भी काफी मज़ा आता है।

गानों की बात करें तो फिल्म में जो गाने हैं, जब आप उन गानों को सामने सुनते हैं तो अच्छे लगते हैं लेकिन वो गाने ऐसे नहीं हैं जिन्हें आप गुनगुनाते हुए थिएठर से बाहर निकलते हों कहने का मतलब है कि गाने जबान पर नहीं चढ़ते हैं। फिल्म एक्शन कॉमेडी है आपको एंटरटेन तो करती है लेकिन बहुत ज्यादा गुदगुदाती नहीं है, हां लेकिन कहीं-कहीं आपके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट लाती है। डायलॉग की बात करें तो पंचलाइन अच्छे हैं, हर किरदार के हिसाब से डायलॉग को लिखा गया है।

फिल्म क्यों देखें? :

यह एक मसाला फिल्म है और एंटरटेनिंग भी है तो एक बार फिल्म देखी जा सकती है।

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