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एंड टीवी के कलाकार हिंदी दिवस पर अपने हिंदी शिक्षकों की यादों को साझा करते हुए क्या कहते हैं?…..आइए जानते हैं

भाषाएं पहचान का प्रतीक हैं और देशी भाषाओं को बोलने से अपनेपन का एहसास होता है। भारत में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक हिंदी है। हम में से अधिकांश ने स्कूल में इसका अध्ययन किया है। 2019 में दुनिया भर में 615 मिलियन बोलने वालों के साथ हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दिवस के अवसर पर एण्ड टीवी के कलाकारों-‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के हप्पू सिंह (योगेश त्रिपाठी) और राजेश (कामना पाठक), ‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी‘ की गुड़िया (सारिकाबहरोलिया) और पप्पू (मनमोहन तिवारी), ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी (शुभांगी अत्रे) और मनमोहन (रोहिताश्व गौड़), ‘कहत हनुमानजय श्रीराम‘ की देवी पार्वती (विदिशा श्रीवास्तव), बलशाली रावण (मनीष वाधवा) और केसरी (जितेन लालवानी) अपने हिंदी शिक्षकों की यादों को याद करते हैं और हिंदी को अपना पसंदीदा विषय बनाते हैं।

  • हप्पू सिंह (योगेश त्रिपाठी) कहते हैं – “मेरा अपने हिंदी शिक्षक के साथ थोड़ा खट्टा-मीठा रिश्ता रहा। वह काफी अनूठे किस्म के शख्स थे। बनियान, लुंगी और हाथ में रेडियो उनकेट्रेडमार्क हुआ करते थे और उनके सिखाने का तरीका भी उनके जैसा ही अनोखा था। लेकिन इस सबने हिंदी विषय को हमारे लिए ज्यादामजेदार और दिलचस्प बना दिया, जिसके चलते मुझे भाषा पर पकड़ बनाने और उसमें महारत हासिल करने में मदद मिली।”
  • मनमोहन(रोहिताश गौड़) कहते हैं – “हिंदी भाषा हम सभी को एक धागे में पिरोती है। घर और कामकाज, दोनों जगह हिंदी मेरी रोजमर्रा की जिंदगीका हिस्सा है। छात्र जीवन में यह मेरा पसंदीदा विषय था। मैं अपने बच्चों को हिंदी में बातचीत के लिए प्रोत्साहित करता हूं, क्योंकि भाषा पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे साथ चलती है।” पप्पू (मनमोहन तिवारी) भी कुछ इसी तरह की भावनाएं साझा करते हुए कहते हैं, “मेरे हिंदीशिक्षक नौटियाल जी का मानना था कि कोई और भाषा हिंदी की तरह सुंदर और विविधता भरी नहीं है। उन्होंने मुझे हिंदी साहित्य औरकाव्य का खूब अध्ययन और लेखन करने तथा उसे आत्मसात करने के लिए प्रोत्साहित किया। मुझे कक्षा में पढ़ी पहली हिंदी कविताअब भी याद है। मुझे आज भी कविताएं पढ़ना और लिखना पसंद है।”
  • बकौल केसरी (जितेन लालवानी) कहते हैं कि – “मुझे तो हिंदी कक्षाओं में हमेशाही बड़ा मजा आया। मेरी हिंदी शिक्षिका ने मुझे भाषा पर अच्छी पकड़ बनाकर इसमें धाराप्रवाह होने के लिए बराबर प्रेरित किया। आजमेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे बोलने और लिखने दोनों मामलों में इस भाषा में महारत हासिल है, जिसका सारा श्रेय उन्हें ही जाता है। मैं खुद को सहज और सुंदर ढंग से व्यक्त करने के लिए हिंदी बोलना पसंद करता हूं।”
  • अंगूरी (शुभांगी अत्रे) बताती हैं, – “मेरी मां ने मुझे हिंदी सिखाई, और यही कारण है कि मैं भाषा में बहुत अच्छी हूं। मुझे अपने हिंदीभाषीहोने पर गर्व है और मेरा ख्याल है कि सभी को ऐसा ही महसूस करना चाहिए।” गुड़िया (सारिका बहरोलिया) कहती हैं, “मेरी हिंदी टीचरवंदना मैम ने पढ़ाने के कुछ खास और अलग तरीके अपनाए, ताकि यह हमारे लिए दिलचस्प और समझने में आसान हो जाए। इसकेचलते मुझे हिंदी भाषा के साथ लगाव हो गया। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे इस तरह की रचनात्मक और प्रेरक शिक्षक मिलीं।”
  • दबंग राजेश (कामना पाठक) कहती हैं – “मैंने हिंदी साहित्य में ऑनर्स किया है और मुझे बेहद गर्व है कि मैं यह भाषा जानती हूं। मैंने तो एक नाटक केमाध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी का प्रतिनिधित्व किया है। मेरे शिक्षकों ने मुझे भाषा में सहज महसूस कराया।”

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