हलचल

एपिक टीवी और पेंगुइन ने पटनायक सिरीज की तीसरी किताब ‘देवलोक विथ देवदत्त पटनायक’ लांच की

राधा का नाम कहां से आया? ईसाई धर्म पहली बार भारत कब आया? संस्कार और धर्म के बीच क्या संबंध क्या है? पहली दो किताबों ‘देवलोक विथ देवदत्त पटनायक’ को मिली भारी सफलता के बाद, भारत के विख्यात पौराणिक कथा विद् देवदत्त पटनायक अब इस सिरीज की तीसरी किताब लेकर आए हैं, जो इतिहास की जीवंत कहानियों पर पैनी नजर रखते हैं। इसी नाम से एक बेहद सफल टीवी सीरीज भी बनी है। नई किताब ‘देवलोक बाय देवदत्त पटनायक-3’ विभिन्न विचारों का एक अद्भुत संग्रह है, जिसकी एपिक चैनल के टीवी शो पर भी चर्चा की गई। इस शो में पाठकों की भारतीय पौराणिक कथाओं से संबंधित कई जिज्ञासाओं का तुरंत समाधान किया गया।
किताब के इस अंक में एशियाभर की रामायण के विभिन्न संस्करणों की दिलचस्प खोज शामिल है। बौद्ध धर्म और जैन धर्म और उनके दिलचस्प इतिहास पर अध्याय हैं। विवाह की अवधारणा कहां से आई है, हिंदू धर्म के कई रीति-रिवाजों के पीछे के कारण और भारतीय पौराणिक कथाओं में पितरों और पितृत्व की के स्थान कौन से हैं? ऐसे असंख्य विषयों और कम ज्ञात कहानियों को देवदत्त द्वारा सवाल-जवाब के प्रारूप में समझाया गया है। पुस्तक के बारे में बोलते हुए देवदत्त पटनायक ने कहा, ‘जो पौराणिक कथाओं को समझते हैं साथ ही जिन्हें जैन, बौद्ध, ग्रीक और बाइबिल की शिक्षा का ज्ञान है, वे देवलोक-3 का हिस्सा हैं। यह हमें अपनी सोच का विस्तार करने और दिमाग को खोलने, बुद्धिमान और दयालु बनाने में मदद करता है।’
एपिक चैनल के कंटेंट एंड प्रोग्रामिंग हेड अकुल त्रिपाठी ने पुस्तक के लॉन्च पर विस्तार से कहा, ‘एपिक में हम ऐसी सामग्री बनाने का प्रयास करते हैं, जो दर्शकों का सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करती, बल्कि उनकी सोच को भी समृद्ध बनाती हैं। हमें गर्व है कि हम सामान्य तरीके से टीवी शो नहीं बनाते, हमारी सामग्री इस तरह संयोजित की जाती है कि किताबें टीवी शो से बाहर आ जाती हैं। पौराणिक कथाओं में पारंगत ‘देवलोक विथ देवदत्त पटनायक’ एक ऐसा ब्रांड है, जिस पर हम भरोसा करते हैं, और आगे भविष्य में इसके कई और सीजन और किताबें सामने आएँगी।’
पंद्रह सूचनात्मक और प्रेरणादायी एपिसोड को कवर करते हुए, यह किताब शिक्षा और मनोरंजन का एक मिश्रण है। 250/- रुपए में यह सचित्र किताब सभी प्रमुख ऑनलाइन और ऑफलाइन खुदरा स्टोर पर उपलब्ध है। देवदत्त पटनायक आधुनिक समय में पौराणिक कथाओं की प्रासंगिकता के सचित्र व्याख्याकार हैं। 1996 से अब तक उन्होंने तीस किताबें और इन्हीं विषयों पर करीब 600 कॉलम लिखे हैं। उनकी कहानियां, प्रतीक और अनुष्ठान दुनियाभर में प्राचीन और आधुनिक संस्कृतियों के व्यक्तिपरक सत्य (मिथक) का निर्माण करते हैं। उनकी किताबों में द बुक ऑफ राम, जया – एन इलस्ट्रेटेड रिटेलिंग ऑफ द महाभारत, सीता एन इलस्ट्रेटेड रीटेलिंग ऑफ रामायण, द गर्ल हू चॉइस और ‘देवलोक देवदत्त पटनायक’ सिरीज शामिल है। वे नेतृत्व, सुशासन और टीवी चैनलों के पौराणिक सीरियलों की सलाह भी देते हैं।

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