हलचल

देश के गरीब कैंसर के मरीजों के लिये लड़ रहे हैं डाॅ. जमाल ए खान

नई दिल्ली। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे आज लाखों परिवार परेशान हैं और मानसिक और आर्थिक रूप से दुःखी हैं। ऐसे में जब कारगर उपचार नजर नहीं आता तब कोई भी ऐसा इलाज या अविष्कार जो कैंसर से निजात दिला सकता है तो उसे सरकार, जिम्मेवार विभाग और समाज को सिर आँखों पर लेना चाहिए।
इसके उलट डॉ. जमाल ए खान जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से डेनड्रिटिक सेल थरेपी (dendritik cell therapy) या कैंसर इम्यूनोथेरैपी (Cancer Immunotherapy) के क्षेत्र में सरकारी नौकरी छोड़, गहन अध्यन और शोध से सर्व प्रथम भारत मे इससे सम्बंधित रिसर्च पेपर पब्लिकेशन किये।
पिछले 15 वर्षों मे इसमें उन्हें बड़ी सफलता भी मिली। होना तो ये चाहिए था कि 2004 से चल रहे डॉ. जमाल ए खान के इस क्रान्तिकारी काम को मदद मिलती पर ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया साथ देने की बजाय इसमें अड़चन लगाने में जुट गया। जिससे मजबूर होकर डॉ. जमाल ए खान को दिल्ली हाई कोर्ट मे अर्जी देनी पड़ी।  Dendritik cell थेरेपी कोई ड्रग्स नहीं परन्तु ड्रग्स कंट्रोलर ने इसका लाइसेंस एक ऐसे व्यक्ति को दे दिया जो पहले डॉ. जमाल ए खान की मार्केटिंग का काम करता था।
RTI द्वारा पता चला की अभी सेल थेरेपी में लाइसेंसिंग से सम्बंधित कोई कानून है ही नहीं। जो शोध डॉ जमाल का निजी काम है उस काम का लाइसेंस एक ऐसे व्यक्ति को दे दिया गया जो डॉक्टर भी नहीं। वो कैंसर से दुःखी मरीजों का किस तरह का इलाज दे रहा है ये भगवान भरोसे है। ऊपर से डॉक्टर जमाल ए खान के इलाज के मुकाबले वो इस इलाज को तीन गुने दाम में उपलब्ध करा रहा है।
इज़राइल और अमेरिका जैसे देश ऐसे क्रन्तिकारी शोधों में अति रूचि दिखाकर ना सिर्फ शोध राशि उपलब्ध कराते हैं अपितु रास्ते में आने वाली अड़चनों को हटाते हैं। यहाँ सरकार की सोच के विपरीत अनेक विभाग शोध कार्यो को आगे बढ़ने से रोक रहें हैं।
ये ऐसा क्रन्तिकारी शोध है जिससे देश चाहे तो अपने यहाँ कैंसर के इलाज के खर्चों का कम कर विदेशों में भारत के इस अनुसन्धान से बड़ी राशि मे धन कमा सकता है जो भारत में कैंसर से पीड़ित कैंसर के मरीजों पर खर्च किया जा सकता है। उम्मीद है सरकार इसका संज्ञान लेगी और ऐसे अनुसन्धान जो देश को हर तरह से लाभ पहुंचा सकता है और सबसे बढ़कर कैंसर से परेशान करोड़ों कैंसर रोगियों के जीवन मे उम्मीद की किरण के रूप मे पहुंच सकता है, आवश्यक कदम उठाएगी।
डॉक्टर जमाल ए खान अपने लिये नहीं देश के गरीब कैंसर के मरीजों के लिये लड़ रहे हैं जिनमें से एक कभी उनकी दादी भी थीं जिनके दुःख तकलीफ और किस तरह से उनका परिवार भी एक जमाने मे इस बीमारी के कारण आर्थिक रूप से टूट चुका था जिसको देख कर ही वो कैंसर रोग को खत्म करने के रास्ते पर चल पड़े। देश और समाज को कैंसर के कष्ट से निजात दिलाने मे हर किसी का साथ अनिवार्य है।

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