नेशनल लाईब्रेरीयन डे पर “औगमेंटेड रियल्टी” थीम पर लाईब्रेरी असिस्टिव टेक्नोलोजी कॉनक्लेव (लाट्स) -2022
कोटा। राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय कोटा मे पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ शियाली रामामृत रंगानाथन का 130 वी जयंती के अवसर पर औगमेंटेड रियल्टी” थीम पर “ऑन लाईब्रेरी असिस्टिव टेक्नोलोजी कॉनक्लेव (लाट्स) -2022” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ एस.आर रंगानाथन एवं मां शारदे के चित्र पर माल्यार्पण कर प्रारम्भ किया गया।
कार्यक्रम मे बतौर की दृनोट स्पीकर शागिरु बाला लाईब्रेरीयन-प्रथम श्रेणी फेडरल कॉलेज ऑफ एज्युकेशन कानो स्टेट नाईजीरीया, बबनगीदा अब्बा व्याख्याता पुस्तकालय एवं सुचना विज्ञान विभाग -केबी स्टेट पॉलीटेक्नीक महाविधालय डाकेनगरी केबी स्टेट नाईजीरीया, मुख्य अतिथि डॉ अनिल झारोटिया युनिवर्सीटी लाईब्रेरीयन दी नोर्थ केप युनिवर्सीटी, विशिष्ठ अतिथि डॉ प्रीति शर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर एवं लाईब्रेरीयन केन्द्रीय पुस्तकालय केरीयर पोईंट युनिवर्सीटी, अध्यक्षता डॉ प्रीतिमा व्यास हेड पुस्तकालय विभाग अकलंक ग्रुप ऑफ़ एज्युकेशन कोटा एवं कार्यक्रम संचालन शशि जैन लाईब्रेरीयन कोटा पब्लिक लाईब्रेरी शिरकत की ।
लाईब्रेरी असिस्टिव टेक्नोलोजी कॉनक्लेव (लाट्स) के उदघाटन सत्र मे डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि – वर्तमान मे असिस्टीव टेक्नोलोजीज के क्षेत्र मे इतना काम हो रहा है कि दृष्टिबाधित सामान्य दृश्टि की भांति अध्य्यन कर पा रहे है अभी हाल ही मे ट्वीटर ने मेप तथा चार्टस को भी औडीबल बना दिया। यह एक अच्छा मूव है।
की -नोट स्पीकर शागिरु बाला ने इस अवसर पर कहा कि सुचना एवं संचार प्रोधोगिकी ने वरिष्ठजन एवं दृष्टिबाधित को लिये कई सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर तथा एप्स बनाये है जिनकी मदद से जिंदगी आसान हुई है लेकिन भारत एवं नाईजीरीया मे डीजीटल डीवाईड एक समस्या है।
की दृनोट स्पीकर बबनगीदा अब्बा ने कहा कि डीजीटल टाकिंग बुक प्लेयर ने दृष्टिबाधितों के अध्य्यन की राह आसान की है। डॉ प्रितिमा व्यास ने कहा कि संवर्धित वास्तविकता (एआर) वास्तविक समय में उपयोगकर्ता के पर्यावरण के साथ डिजिटल जानकारी का एकीकरण है। आभासी वास्तविकता (वीआर) के विपरीत, जो पूरी तरह से कृत्रिम वातावरण बनाता है, एआर उपयोगकर्ता वास्तविक दुनिया के वातावरण का अनुभव करते हैं, जिसके ऊपर उत्पन्न अवधारणात्मक जानकारी होती है। डॉ प्रिति शर्मा ने बताया कि – ऑगमेंटेड रियलिटी की शुरुआत कैमरा से लैस डिवाइस से होती है – जैसे कि स्मार्टफोन, टैबलेट या स्मार्ट ग्लासकृएआर सॉफ्टवेयर से लोडेड। जब कोई उपयोगकर्ता डिवाइस को इंगित करता है और किसी ऑब्जेक्ट को देखता है, तो सॉफ़्टवेयर उसे कंप्यूटर विज़न तकनीक के माध्यम से पहचानता है, जो वीडियो स्ट्रीम का विश्लेषण करता है। इस कार्यक्रम के टेक्नोलोजी पार्टनर एनिकडोटस पब्लिशिंग हाउस दिल्ली थे।