हलचल

लिट्रेचर फेस्टिवल से किताबों और साहित्य सृजन के प्रति रुचि जाग्रत हुई

-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा

प्रथम अवसर था राजस्थान के कोटा शहर में जब वर्ष की शुरुआत में राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा दो दिवसीय संभाग स्तरीय लिट्रेचर फेस्टिवल का आयोजन 12 से 16 फरवरी 2024 को पुस्तकालय परिसर में किया गया। फेस्टिवल की उपलब्धियों को एक वाक्य में परिभाषित किया जाए तो कह सकते हैं ” लिट्रेचर फेस्टिवल किताबों और साहित्य सृजन के प्रति चेतना जगाने का बड़ा माध्यम बना”। यह आयोजन कई प्रकार से उपयोगी और यादगार रहा। खासतौर पर नवांकुर साहित्यकारों को ज़मीन मिली और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी ।

साहित्य प्रदर्शनी में सभी प्रकार के भारतीय साहित्य के साथ-साथ आंचलिक साहित्यकारों की पुस्तकें एक मंच पर देखने का अवसर प्राप्त हुआ । करीब सात हजार से अधिक विद्यार्थियों द्वारा साहित्य प्रदर्शनी को देखना और लगभग 225 साहित्यकारों की भागीदारी और कई प्रकाशकों को भाग लेना आयोजन का उज्जवल पक्ष रहा। लोग किताबों से जुड़े। आध्यात्म और धर्म पर आधारित सीडी भी खूब पसंद की गई । साहित्य प्रदर्शनी के साथ – साथ समारोह को आकर्षक बनाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, काव्य गोष्ठी आदि कार्यक्रम भी रखे गए। राकेश सोनी ने देश के सुनामधन्य साहित्यकारों पर जारी डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगा और आर. एस .सोलंकी ने वैदिक गणित प्रदर्शनी कर नए आयाम जोड़े। कई साहित्यकारों की प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। साहित्यकारों ने खुले दिल से बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभाई।

आंचलिक कवियों, शायरों,कथाकारों, पद्य लेखकों, उपन्यासकारों , लोककलाकारों आदि के साहित्य सृजन पर पांच दिन में विभिन्न सत्रों में चर्चा-परिचर्चा की गई। अम्बिका दत्त से ‘ विकसित भारत में पुस्तक संस्कृति की अवधारणा’,फोरेंसिक लैब के पूर्व निदेशक डॉ. विनोद जैन से ‘ विधि विज्ञान और आम जन’, जितेंद्र निर्मोही से ‘ उनके गीतों के रचना कर्म’, मुरलीधर गौड़ से ‘ राजस्थानी गीत’, श्रीमती श्यामा शर्मा से उनकी रचना ‘ वे दिन वे बातां ‘, वंदना शर्मा से ‘ लोक गीत, विष्णु हरिहर से ‘ बाल गीत, सुरेश पंडित से ‘ उनके गीत ‘, साहित्यकार मंजू किशोर ‘ रश्मि ‘,हरिचरन अहरवाल से ‘ राजस्थानी सम कालीन कविता ‘, जगदीश भारती से ‘ राजस्थानी भाषा और लोक संस्कृति ‘, ममता महक से ‘ सुनो कहानी ‘, प्रज्ञा गौतम से ‘ हिडन जेम्स ऑफ ट्रेंड बुक्स ‘, ‘ म्यूजिक मस्ती, बालगीत,कविता, गज़ल ‘, वीणा अग्रवाल से ‘ हाड़ोती अंचल के प्रबंध काव्य ‘, रामेश्वर शर्मा ‘ रामू भैया ‘ से ‘ राजस्थानी गजलों का सौंदर्य ‘ विषयों पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
ऐसे ही डॉ.,कृष्णा कुमारी से ‘ निबंध और यात्रा वृतांत ‘, राम नारायण ‘ हलधर ‘ से ‘ हिंदी और राजस्थानी में ग़ज़ल और दोहा ‘, दुर्गा दान सिंह गौड़ से ‘ राजस्थानी गीत ‘, सी. एल. सांखला से ‘ वर्तमान संदर्भों में बाल साहित्य ‘, विजय जोशी से ‘ कहानी कला और समीक्षा कर्म ‘, किशन प्रणय से ‘ समकालीन कविता ‘, डॉ. रेणु श्रीवास्तव से ‘ संचालन के विविध आयाम ‘, किशन रत्नानी से ‘ सिंधी भाषा में सामाजिक आयाम और पर्यावरण ‘, डॉ. मनीषा शर्मा से ‘ भारतीय स्वतंत्रता में हिंदी भाषा का योगदान ‘ सहित बालकथा के विविध आयाम, किशन वर्मा के राजस्थानी गीत,गजलों का सौंदर्यबोध, सुनो कहानी, ढाई कड़ी की रामलीला, हिंदी बाल साहित्य दशा और दिशा एवं हाड़ोती अंचल का राजस्थानी साहित्य सहित कई अन्य विषयों पर चर्चा-परिचर्चा ने आयोजन को बुलंदियों पर पहुंचा कर हाड़ोती में साहित्य की विविध विधाओं पर निरंतर परिचर्चा किए जाने का नूतन मार्ग प्रशस्त किया । समारोह में अनेक विशिष्ठजनों की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई।

वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.कैलाश सोढानी का विचार है ऐसे आयोजनों से नए विचार सामने आते हैं, साहित्य सृजन की प्रेरणा मिलती है, इस आयोजन ने भावी आयोजनों का मार्ग प्रशस्त किया है। राजस्थान बाल साहित्य अकादमी के संस्थापक सदस्य भगवती प्रसाद गौतम ने इसे साहित्यिक सृजनात्मक अनुसंधान की सार्थक पहल बताते हुए कहा कि हाड़ौती में साहित्यिक परिवेश को निश्चित रूप से गति मिलेगी। साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही का मत है कि पुस्तकों के अध्ययन संग्रहण और पठन -पाठन की रूचि जाग्रत होगी। साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ‘ रामू भैया ‘ ने कहा कि लिट्रेचर फेस्टिवल” ने पहली बार हाड़ोती में नवीन अभिनव साहित्यिक माहौल निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कथाकार और समीक्षक विजय जोशी का कहना है कि साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सन्दर्भों के परिवेश को समृद्ध करने की दृष्टि से यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि विद्यार्थियों के साथ जन भागीदारी को भी एक दिशा मिली है। विश्वास है आने वाले समय में इस प्रकार के आयोजन, आयोजकीय प्रबंधन कौशलता से सम्पूर्ण उजास के साथ अपने सामाजिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों को अपनी सार्थक प्रस्तुतियों के साथ सफलता के सोपान प्रदान करेंगे। युवा साहित्यकार अतुल कनक ने पुत्सकों को देव तुल्य और पुस्तकालय को देवालय बताते हुए बच्चों को हमारे कालजयी रचनाकारों के साहित्य पढ़ने को प्रेरित करेगा। प्रो.आदित्य कुमार का मत है कि पुस्तकें लेखक, व्यक्ति और समाज के बीच ज्ञान के विविध नवीन आयामों के द्वार विकसित करती हैं और पुस्तकालय इनके मध्य सेतु का कार्य किया है। साहित्यकार डॉ.कृष्णा कुमारी भी मानती हैं की आयोजन से लेखन और पुस्तकों के प्रति चेतना जाग्रत होगी।
कथाकार किशन प्रणय का मत है की साहित्यकारों के साक्षात्कार और साहित्य की कई विधाओं पर विस्तृत चर्चा समारोह का प्रबल पक्ष रहा। नवोदित साहित्यकारों को मंच मिला और वरिष्ठ साहित्यकारों से संवाद स्थापित हुआ। साहित्यकार स्नेहलता शर्मा का कहना है सोशल मीडिया के मोह पाश में फंसे लोग ,पुस्तकों की ओर कुछ तो आकर्षित हुए ही है । सुझाव दिया कि ऐसे आयोजनों का व्यापक प्रसार होना चाहिए । बाल साहित्यकार महेश पंचोली ने बताया कि बच्चे युवा वृद्ध सभी वर्ग के साहित्यकारों कलाकारों को जब अपनी प्रतिभा दिखाने का भी अवसर मिला । आर्यन लेखिका मंच की अध्यक्ष रेखा पंचोली ने कहा कि सार्थक आयोजन से भविष्य में नई प्रतिभाएं सामने आएंगी।
इसमें दोराय नहीं की हाड़ोती में साहित्यिक चेतना और किताबों के प्रति रुचि जगाने में लिट्रेचर फेस्टिवल के आयोजक पुस्तकालय अधीक्षक डॉ.,दीपक कुमार श्रीवास्तव ने वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही आदि अन्य साहित्यकारों से विचार-विमर्श कर कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की और पूर्ण सक्रियता के साथ क्रियान्वित किया। उद्घाटन से लेकर समापन तक डॉ.दीपक ने पांच दिन तक चौबीस घंटे दिन-रात अथक परिश्रम कर जिस प्रकार आयोजन को सफल बनाया उसकी चर्चा हर एक की जुबान पर थी।
दीपक ने अपने नाम के अनुरूप दीपक की बाती से साहित्य चेतना की लो प्रज्वलित कर साहित्य के आसमान को रोशन किया। साहित्य संवर्धन के पावन कार्य में पुस्तकालय सहायक प्रभारी डॉ.शशि जैन, परामर्शक डबली कुमारी सहित पुस्तकालय के संपूर्ण स्टाफ ने सक्रिय भागीदारी से कंधे से कंधा मिला कर आयोजन को सफल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । आयोजन के समापन समारोह में अथितियों द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी में भागीदार प्रकाशकों, डाक टिकट संग्रहकर्ता, वैदिक गणिताचार्य , सहयोगियों साहित्यकारों और बाल कलाकारों को शॉल ओढ़ा कर, माल्यार्पण कर, प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। कह सकता हूं कि साहित्य की श्री वृद्धि के लिए हाड़ोती में अपने प्रकार का यह अनूठा आयोजन ऐतिहासिक सिद्ध होगा, साहित्य जगत में स्वर्णिम शब्दों में लिखा जायेगा । पुस्तकों के प्रति रुचि और लेखन के प्रति चेतना जाग्रत होगी।

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