Manchester Museum ने ब्रिटिश म्यूजियम की साझेदारी में यूके में एक नई दक्षिण एशिया गैलरी की स्थापना की
नई दिल्ली : एक बड़े पूँजीगत पुनर्विकास के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर का हिस्सा, मैनचेस्टर म्यूजियम 18 फरवरी 2023 को लोगों के लिए दोबारा खुल गया है। यह नई बहुभाषीय गैलरी दक्षिण एशिया और ब्रिटेन के बीच साम्राज्य की विरासत का सम्बंध खोजती है और ब्रिटिश एशियन तथा साउथ एशियन संस्कृति और रचनात्मकता पर नई संभावनाएं पेश करती है।
इस गैलरी के सह-निर्माता हैं साउथ एशिया गैलरी कलेक्टिव, जो कि 30 आकांक्षी लोगों का एक समूह है, जिनमें सामुदायिक लीडर, शिक्षक, कलाकार, इतिहासकार, पत्रकार और संगीतकार शामिल हैं। मेनचेस्टर म्यूजियम और ब्रिटिश म्यूजियम की 140 से अधिक ऐतिहासिक कलाकृतियों और संग्रहों के साथ-साथ समूह के द्वारा प्रदत्त नई आधुनिक कृतियाँ और निजी वस्तुओं की प्रदर्शनी के साथ इस गैलरी में विविध प्रकार की व्यक्तिगत अभिलेख रखे गए हैं जो दर्शकों को दक्षिण एशिया की कलात्मक और सांस्कृतिक का अनुभव प्रदान करते हैं। गैलरी के कहानी जैसे डिजाइन छः अति महत्वपूर्ण थीमों के माध्यम से दक्षिण एशिया पर विविध अभिव्यक्तियों और दृष्टिकोणों की झलक मिलती है। ये छः थीम हैं : अतीत और वर्तमान, पर्यावरण वास, विज्ञान और नवाचार, ध्वनी, संगीत और नृत्य, ब्रिटिश एशियाई, और आन्दोलन एवं साम्राज्य।
मैनचेस्टर म्युजियम में साउथ एशिया गैलरी क्युरैटर, नुसरत अहमद ने कहा ’ब्रिटेन में जन्मी पहली पीढ़ी की दक्षिण एशियाई होने के नाते ऐसी नई खोजवाली परियोजना का हिस्सा बनना मेरे लिये सचमुच रोमांचक है। सह-निर्मित साउथ एशिया गैलरी में एक सहयोगात्मक, पुनरावर्ती स्थान की परिकल्पना है जो नए दृष्टिकोण और संबंध का अनुभव उत्पन्न करती है। हमें इसके शुभारंभ में और भी प्रवासी समुदायों से जुड़ने और इसके विकास को लगातार सहयोग देने की आशा है। यह व्यक्तिपरक दृष्टिकोण इस गैलरी को मानवीय बनाता है और असली लोगों और उनके उद्देश्यों की कहानियाँ बयां करता है।‘’
अतीत और वर्तमान में लोग एक आधुनिक चश्मे से प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता को खोज सकते हैं, जहाँ के दृष्टिकोण उस समय पर पुरातत्वविदों की धारणाओं से आगे जाते हैं। इसमें मुगल साम्राज्य की शक्तिशाली महिलाएं, जैसे कि नूर जहां भी हैं, जो महिलाओं की भूमिका दिखाती हैं और साथ ही 1931 में डार्वेन, लंकाशायर के कॉटन मिल टाउन में गांधी के दौरे का प्रभाव, जिससे कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन से मैनचेस्टर के कपास उद्योग के जुड़ाव की समझ मिलती है।
एक अन्य संग्रह ध्वनि, संगीत एवं नृत्य में प्राचीन वाद्ययंत्रों, जैसे कि श्रीलंका की सीपी हाकगेदिया और 80 और 90 के दशक के दक्षिण एशिया के गुप्त डे टाइमर्स रेव्स की संगीत अभिव्यक्ति के विभिन्न रूप हैं। कलेक्टिव के एक संगीतकार अज़ीज़ इब्राहिम का काम एक लिसनिंग स्टेशन के हिस्से के तौर पर है। उन्हें स्टोन रोज़ेस और सिम्पली रेड के साथ संगीत और दक्षिण एशियाई ब्लूज बनाने के लिये जाना जाता है, जिसमें अंग्रेजी और पंजाबी का मिश्रण है और उनका अलबम लाहौर से मैनचेस्टर की पारिवारिक यात्रा बताता है।
ब्रिटिश एशियाई में पहचान की खोज अभिव्यक्तियों की एक श्रृंखला से की गई है, जैसे कि पॉप संगीत से लेकर कला तक, और इनमें उन कहानियों को शामिल किया गया है, जो आमतौर पर मुख्यधारा की ब्रिटिश एशियाई संस्कृति में नहीं आती हैं, जैसे कि महिलाएं और समलैंगिक समुदाय। महिला चित्रकार अज़रा मोटाला की एक दमदार आधुनिक पेंटिंग आज के एक ब्रिटिश एशियाई का मतलब बताती है, जबकि कलेक्टिव मेम्बर तस्लिमा अहमद मैनचेस्टर में कपड़े बनाने और दक्षिण एशिया के कामकाजी जीवन पर विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं।
नई सामग्रियों की भी भरमार है, जो आधुनिक दक्षिण एशियाई रचनात्मकता तथा नवाचार का उत्सव मनाते हैं, जिनमें मैनचेस्टर में बांग्लादेश से आयात किया गया एक रिक्शा, जिसे उन समुदायों ने सजाया था और ब्रिटिश कलाकारों, सिंह ट्विन्स का 17 मीटर लंबा, नया म्युरल शामिल हैं, जो दक्षिण एशियाई प्रवासियों के अनुभव का एक भावनात्मक नक्शा दिखाता है।