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ईपीएस पेंशनर्स का आन्दोलन हुआ संपन्न, कई प्रांतो से पहुंचे लोग

नई दिल्ली। ईपीएस-95 के पेंशनभोगियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। देश के कोने-कोने से आये हज़ारों पीड़ित पेंशनभोगियों ने इसमें हिस्सा लिया। ईपीएस-95 द्वारा ये राष्ट्रव्यापी आंदोलन ईपीएफओ और श्रम मंत्रालय के खिलाफ शुरू किया गया है। ज्ञात हो कि पिछले दिनों नई दिल्ली के जंतर-मंतर में 75 लोगों द्वारा आमरण अनशन किया गया था।
एनएसी की चार सूत्रीय मांगों को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। एनएसी के तहत आंदोलन कर रहे पेंशनभोगी ईपीएफओ की कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95) के तहत न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर 7,500 रुपये मासिक करने के साथ महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही ईपीएस-95 पेंशनभोगियों को उच्च पेंशन का विकल्प देने, सभी ईपीएस-95 पेंशनभोगियों और उनके जीवनसाथी को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने समेत अन्य मांग कर रहे हैं।
राष्ट्रीय आंदोलन समिति के संयोजक कमांडर अशोक राउत ने कहा, ‘हमारी संघर्ष समिति ईपीएस 95 पेंशनभोगियों को न्याय दिलाने के लिए पिछले 5 वर्षों से संघर्ष कर रही है। आज प्रधानमंत्री से दो बार आश्वासन मिलने के बावजूद भी हमारी मांगों को लटका के रखा गया है। आंध्र प्रदेश में पुलिस के कुत्तों को पेंशन दिया जाता है, देश में थर्ड जेंडर को पेंशन है, लेकिन हमें हाशिये पर धकेल दिया गया है। देश के एमएलए और एमपी को पेंशन है, मगर हमें नहीं है, ये कहाँ का न्याय है? हमें स्वाभिमान से ज़िन्दगी जीने के लिये 1171 रुपये काफी नहीं है। 7500 पेंशन पाकर हम स्वाभिमान से अपना जीवनयापन कर सकते हैं। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करते हैं कि इस गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई 15 अगस्त को ही हो। अगर मांगें पूरी नहीं होती है तो हमने तय कर लिया है कि सड़ते-सड़ते नहीं, लड़ते-लड़ते मरेंगे। हम सिर्फ अपने स्वाभिमान के लिए लड़ रहे हैं। ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। सरकार को त्वरित हमारी मांगों पे अमल करना चाहिए।’
महाराष्ट्र से आये एक 82 वर्षीय पेंशनधारी ने कहा, ‘हम इतनी दूर अपने पैसे पर यहाँ तक सिर्फ़ इसलिए आये हैं ताकि सरकार हमारी बात सुने। 1000-500 में हमारा गुज़ारा नहीं होता है। हमने जीवन भर पेंशन फंड में पैसे जमा किये। आज हमारे साथ ये सुलूक किया जा रहा है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश जब आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, देश के बुजुर्ग अपने हक़ के लिए लड़ रहे हैं। उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।’
एक वृद्ध महिला प्रदर्शनकारी ने बताया, ‘एक तो हमारी सेवा बहुत जल्दी ख़त्म कर दी गई। ऊपर से इतना कम पेंशन है कि घर चलाना बहुत मुश्किल है। बहुत सी महिलाएँ अकेली रहती हैं, बहुत सी विधवा हैं, उनका गुज़र-बसर मुश्किल से हो पाता है। बच्चे घर से ये कहकर बाहर निकाल देते हैं कि हम उनपर बोझ हैं। सरकार को इस मामले त्वरित संज्ञान लेना चाहिए और जल्द से जल्द हमें राहत मिलनी चाहिए। जो हमलोगों की जामा राशि है कम से कम वो मिलनी चाहिए।’
मध्यप्रदेश के चंबल से दिल्ली आए एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘एक ओर जहां देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं इस देश के बुज़ुर्ग आज अपनी स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमने देश को अपने श्रम से सींचा है मगर हमें सरकार ने सड़क अपर ला खड़ा किया है। महंगाई के इस दौर में 1100 पेंशन से गुज़ारा कैसे होगा ये सरकार बताए। इस देश के जो सबसे वृद्ध लोग हैं वो शायद आज संसार के सबसे उपेक्षित एवं ग़रीब वर्ग है।’

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