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श्री परेश रावल ने साझा की अपने चेयरमैन कार्यकाल की प्राथमिकतायें

नई दिल्ली। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, थिएटर शिक्षा प्रदान करने और किर्तिमान प्रणाली को मजबूर करने के लिए कई प्रमुख पहल कर रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ, उच्च प्रशिक्षक्षित शिक्षकों की भर्ती, थिएटर के दिग्गजों द्वारा कार्यतालिकाओं और सत्रों की संख्या में वृद्धि, नए पाठ्यक्रम और नए केंद्र एनएसडी की प्राथमिकता हैं। इन सभी विषयों पर चर्चा और निर्णय श्री परेश रावल, अध्यक्ष, एनएसडी, निदेशक प्रभारी, रजिस्ट्रार, संकाय सदस्यों और एनएसडी सोसाइटी के सदस्यों के बीच कई दौर की बैठक के बाद लिया गया है। इन्ही विषयों को लेकर श्री परेश रावल ने 26 फरवरी को माननीय संस्कृति मंत्री, श्री प्रहलाद सिंह पटेल से मुलाकात भी की। माननीय संस्कृति मंत्री ने संस्थान के विकास के लिए अटूट समर्थन का आशवासन दिया है।
मीडिया को संबोधित करते हुए, चेयरमैन श्री परेश रावल ने कुछ लंबित मुद्दों को लेकर चर्चा की। उन्होंने एनएसडी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान का दर्जा दिए जाने पर जोर दिया। श्री रावल ने कहा कि ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान होने से एनएसडी डिग्री प्रदान कर सकेगा साथ ही नाटककार, पोशाक डिजाइनिंग आदि जैसे नए पाठ्यक्रम शुरू करने और नए केंद्र स्थापित करने में सक्षम होगा। इससे संस्थान को और मजबूती मिलेगी। इस विषय को लेकर हम भारत सरकार के साथ सक्रिय संपर्क में हैं।’
उन्होंने ये भी बताया कि एनएसडी के मौजूदा पररसर के पुनर्विकास का प्रस्ताव भी विचाराधीन है। इसको लेकर पिछले हफ्ते आवास और शहरी मामलों के मंत्री माननीय हरदीप सिंह पुरी के साथ बैठक कर इस मुद्दे को प्रकाश में लाया गया था।

  • नए सेंटर खोलने की योजना

वर्त्मान में एनएसडी के वाराणसी, बेंगलुरु, अगरतला और गंगटोक में क्षेत्रीय केंद्र हैं। श्री रावल ने कहा, ‘एनएसडी के विस्तार के मद्देनजर, गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र जैसे थिएटर संस्कृति राज्यों में केंद्र स्थापित करने के प्रयास करेंगे। हाल ही में जम्मू-कश्मीर में केंद्र खोलने के लिए के लिए लेफ्टिनेंट जनरल माननीय मनोज सिन्हा का अनुरोध पत्र प्राप्त हुआ है। हम जल्द ही एनएसडी सोसाइटी के सदस्îों और सरकार के साथ इसकी संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। उम्मीद है कि हमारे पास इसे जल्द धरातल पर लाने की ठोस योजना होगी’ इस बीच सिक्किम में एनएसडी केंद्र के लिए भूमिपूजन पहले ही पूरा हो चुका है और अब वे इमारतों के निमार्ण के लिए भारत सरकार से अनुदान हुए संपर्क करेंगे।

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