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दिल्ली शो में मुजफ्फर अली के गैर-सिनेमा रचनात्मक कार्यों का अनावरण होगा

नई दिल्ली। प्रसिद्ध निर्देशक मुजफ्फर अली के वे कार्य जिनके बारे में कम ज्ञात है, जो उनके सिनेमा के क्षेत्र से भिन्न हैं, लेकिन जो उनकी फिल्मों की ही तरह समान रूप से सशक्त हैं, वे कलात्मक कार्य अगले सप्ताह से जनता देख पाएगी। विशेष उपलब्धि के रूप में चुनिंदा पेंटिंग, कोलाज, रेखाचित्र और 78वर्षीय बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुजफ्फर अली द्वारा डिज़ाइन की गई वस्तुओं को ग्यारह दिनों तक राजधानी में प्रदर्शित किया जाएगा।
इंडिया गेट के पास स्थित बीकानेर हाउस में 11 से 21 जनवरी तक चलने वाली प्रदर्शनी ‘मुजफ्फर अली’ में ऐसे विविध माध्यमों को देखने को अवसर मिलेगाजिन्होंने फिल्मों की दुनिया से परे इस बहुआयामी कलाकार को व्यस्त रखा है।
माशा आर्ट द्वारा प्रस्तुत यह बेहतरीन शो जिसे स्कॉलर और लेखिका उमा नायर ने क्यूरेट किया है, में पिछले चार दशकों में किए कलाकार के कार्यों का एक व्यापक फलक देखने को मिलेगा।
उनकी पहली फिल्म गमन (1978) और तीन साल बाद उमराव जान ने मुजफ्फर को प्रसिद्धि दिलाई थी, लेकिन कला के साथ उनका प्राथमिक जुड़ाव ब्रश और रंगों के साथ रहा है। पिछले साल कोविड-19 जब चरम पर था, तो उस दौरान उन्होंने बड़े आकार की पेंटिंग्स को बनाने का निर्णय किया और उन्हें बनाया। ये पेंटिंग्स भी इस प्रदर्शनी में शामिल होंगी। शो सभी दिन सुबह 11बजे से शाम 7बजे तक खुला रहेगा।
“स्केच-पेन और ब्रश, क्रेयॉन और ऐक्रेलिक और ऑयल के साथ मेरा रिश्ता प्राकृतिक और वैज्ञानिक दोनों है। भूविज्ञान, वनस्पति विज्ञान और रसायन विज्ञान का मेरा धुंधला ज्ञान जो मैंने अपने स्नातक के दिनों में प्राप्त किया था, वर्णन और संप्रेषण करने का एक सूक्ष्म बौद्धिक पुल बनाता है,” मुजफ्फर कहते हैं, जिनका जन्म लखनऊ के एक पूर्व शाही परिवार में हुआ था। “आज वे
मेरी बच्चों जैसी अज्ञानता और जिज्ञासा को दर्शाते हैं। फिर भी वे मेरी कला में सबसे अलग हैं क्योंकि अपने हाथों से चित्र बनाने की चाह मेरे लिए किसी जश्न मनाने से कम नहीं है।”
एक चित्रकार के रूप में मुजफ्फर अली ने 1970 में बंबई में सांस्कृतिक इतिहासकार गीती सेन द्वारा क्यूरेट की गई एक समूह प्रदर्शनी से शुरुआत की थी। “मेरी ड्राइंग पाक हैं, ये निजी हैं। यह मेरे आवेगपूर्ण और अधीर मन का आईना हैं,” आधा दर्जन फीचर फिल्मों और 21लघु फिल्मों का निर्माण करने वाले दिग्गज का कहना है।
स्कॉलर उमा नायर, जिन्होंने शो को क्यूरेट करने के लिए एक वर्ष तक उस पर काम किया, ने इसे रचनात्मकता के विषयगत अध्यायों में विभाजित किया है। वह कहती हैं कि मुजफ्फर की कला उनके “पृथ्वी के प्रति सच्चे प्रेम और एक कोमल आत्मा के रूप में मनुष्य की भावना” पर आधारित है।
शो की शुरुआत मुख्य गैलरी में लगी पत्तियों के साथ होती है। ‘ऑटम: ए सेकेंड स्प्रिंग’ शीर्षक वाले इस खंड में मुख्य रूप से चीतों को एक आनंदयुक्त लैंडस्केप में चित्रित किया गया है। अगले भवन ‘सेंटर फॉर कंटेम्प्रेरी आर्ट’ में कोलाज और पेंटिंग्स की एक श्रृंखला है जिसमें सूफी रहस्यवादी रूमी पर एक श्रृंखला के अलावा लैंडस्केप और घोड़े शामिल हैं। दूसरे भाग मेंप्रवेश करते हीमुजफ्फर की पत्नी मीरा अली के अलावा फिल्म नायिका रेखा (उमराव जान) और स्मिता पाटिल (गमन) की पेंटिंग्स दिखाई देती हैं।
प्रदर्शनी में मुजफ्फर द्वारा डिजाइन की गई वस्तुओं और फर्नीचर के अलावा उनके कोलाज, डैशबोर्ड और कपड़े टांगने वाले हैंगरभी होंगे। इन्हें इनकी पत्नी मीरा तो एक प्रोजेक्ट डिजाइनर और स्टाइलिस्ट हैं, के द्वारा वहां सजाया
जाएगा। फर्नीचर के टुकड़े और कपड़े के हैंगर डिजाइन पसंद करने वाले लोगों के बीच अवश्य चर्चा का विषय बनेंगे। कैटलॉग, जो एक लिमेटिड एडीशन क्लासिक है, 3,000रुपये और छात्रों के लिए आधी कीमत पर बिक्री के लिए उपलब्ध होगा।
माशा आर्ट के सीईओ समर्थ माथुर का कहना है कि मुजफ्फर अली का शो कला के चलन पर उनकी गहरी पकड़ पर कई दृष्टिकोण प्रस्तुत करेगा।

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