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अर्थ – ए कल्चर फेस्ट के तीसरे सीजन का जोरदार समापन हुआ

दिल्ली। भारतीय विरासत विविधता और गहराइयों से भरी हुई है। इस बारे में ज्यादा पता करने की कोशिश नहीं की गई। भारतीय संस्कृति की खूबसूरती का पता लगाने के लिए जी लाइव ने 19 से 20 मार्च 2021 तक अनूठे फेस्टिवल अर्थ – ए कल्चर फेस्ट का आयोजन किया। इस फेस्टिवल का समापन बेहद शानदार तरीके से हुआ। इसमें भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य के सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया गया। विशेषज्ञों ने भारत की समृद्ध व कालातीत संस्कृति और विरासत के बारे में अपने विचार साझा किए। वर्तमान परिस्थितियों के कारण इस फेस्टिवल का आयोजन वर्चुअल तरीके से किया गया। इसकी लाइव स्ट्रीमिंग जी न्यूिज और अर्थ- ए कल्चर फेस्ट के फेसबुक और यूट्यूब चैनलों पर की गई।
पहले दिन की शुरुआत राज्य सभा के सदस्य और एस्सेल ग्रुप के चेयरमन श्री सुभाष चंद्रा के उद्घाटन और मुख्य भाषण के साथ हुई। इसके बाद श्री श्री रविशंकर ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए महामारी के दौरान आध्यात्मिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने वासंती हरिप्रकाश के साथ बातचीत में बताया कि भारत क्याव पेश कर सकता है। इसके बाद उदय एस कुलकर्णी ने अगले सत्र में अमित परांजपे के साथ भारतीय संस्कृति पर चर्चा की। उन्होंने दर्शकों को 18वीं शताब्दी के मराठा युग की ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में बताया। यतींद्र मिश्र के साथ बातचीत के दौरान मालिनी अवस्थी ने ‘लोक संगीत के विविध आयाम’ पर प्रकाश डाला। सास्वती सेन के साथ बातचीत के दौरान उस्ताद पंडित बिरजू महाराज ने भारतीय जीवनशैली में संगीत की भूमिका के बारे में बताया। फेस्टिवल में एक और तड़का लगाते हुए भुवनेश कोमकली और सुधा रघुरामन ने ‘क्या जुगलबंदी वास्तव में काम करती है?’ पर संगीतमय प्रस्तुतियां दीं।
भारतीय सिनेमा में कहानीकार की कला के बारे में अदिति अवस्थी के साथ बातचीत के दौरान प्रख्यात डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कहा, जब भारतीय संस्कृति के बारे में बात की जाती है, तो सिनेमा के लिए प्यार को कोई नहीं भूल सकता है और यह एक महत्वपूर्ण पहलू का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय सिनेमा में राजनीतिक पहलू को लेकर पैनलिस्ट धवल कुलकर्णी, गौतम चिंतामणि और रमेश कंडूला ने अभिनव प्रकाश के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा में राजनीतिक जीवनी और उद्योग में जीविका के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। इसके अलावा एशिया के पुनर्जन्म में नेताजी और आईएनए की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रसेनजीत के बासु ने डिबेट की। इसमें भारतीय संस्कृति को आकार देने में अपनी अनूठी अवधारणा और भूमिका को लेकर चर्चा को सभी ने सराहा ।
मौजूदा समय के बारे में बात करते हुए भारत के कोविड योद्धा सोनू सूद ने मिली एश्वर्या के साथ अपने रोमांच और सफर के बारे में बात की। उन्होंने महामारी के दौरान मजदूर और समाज के अन्य प्रभावित लोगों की काफी मदद की। इसके बाद राशिद किदवई के साथ सलमान खुर्शीद ने देश में विपक्ष की भूमिका पर चर्चा की।
पहले दिन के फाइनल कार्यक्रम में सुधा मूर्ति ने वासंती हरिप्रकाश के साथ ‘एक मुश्किल दुनिया में कहानी की खुशियों’ पर चर्चा की। एबी वी और कौशिकी चक्रवर्ती ने विक्रम संपत के साथ शास्त्रीय संगीत पर चर्चा की। इसके अलावा ‘विदेशी मीडिया में भारत का प्रतिनिधित्व’ विषय पर पैनलिस्ट एमी काजमीन, अनुराग सक्सेना, अरिजीत घोष, आर. जगन्नाथन और स्मिता प्रकाश ने चर्चा की। इसका संचालन वासंती हरिप्रकाश ने किया।
अर्थ फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत भारतीय राजनीति के ‘केंद्र’ को पुनर्परिभाषित करने पर चर्चा के साथ हुई, जिसमें मिलिंद देवड़ा और हिंडोल सेनगुप्ता ने अपने विचार रखे। इसके बाद वाजपेयी की विरासत को लेकर शक्ति सिन्हा ने चर्चा की। इसके अलावा दूसरे दिन ‘महामारी को लेकर भारत की अद्वितीय प्रतिक्रिया’ विषय पर दिलचस्प चर्चा हुई, जिसमें पैनल के सदस्य डॉ. चंद्रकांत लहरिया, डॉ. गगनदीप कांग, डॉ. रणदीप गुलेरिया शामिल रहे। इस चर्चा का संचालन डॉ. आनंद रंगनाथन ने किया। भारतीय सिनेमा संस्कृसति को लेकर एक गहन चर्चा हुई, जिसमें पैनलिस्ट एनी. आई. वी. ससी, समीर विद्वांस और सयानी दत्ता ने गौतम चिंतामणि के साथ बातचीत की।
इन सभी चर्चाओं के बाद श्री नितिन गडकरी ने सुधीर चैधरी के साथ भारतीय संस्कृति और विरासत के बारे में विस्तार से बात की। अमृता नार्लीकर, गौतम चिकरमाने, हर्ष गुप्ता मधुसूदन और राजीव मन्त्री ने ‘भविष्य के लिए भारत का विजन’ पर चर्चा की, जिसका संचालन पालकी शर्मा ने किया।
‘पीएम मोदी के नये आयाम को तलाशना’ विषय पर भवाना सोमाया और सुभ्रष्ठाब के बीच गर्मागर्म चर्चा देखने को मिली। रजत सेठी के साथ बातचीत के दौरान श्री पीयूष गोयल ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड का प्रभाव और इसके दोबारा पटरी पर लौटने के रोडमैप को लेकर चर्चा की। फेस्टिवल में उस्ताद अमजद अली खान के साथ ‘संगीत में जिंदगी: उस्ताद की यादें’ विषय पर चर्चा हुई। इसके बाद अनुपमा किलाश और मधु नटराज के बीच ‘नायिका भाव: आयाम और गतिशीलता’ पर गहन बातचीत हुई ।
भारतीय सिनेमा और इसके इतिहास पर आशुतोष गोवारिकर और कावेरी बामजई ने चर्चा की। इसके अलावा उन्होंने मिथ एंड मेकिंग मूवीज विषय पर भी प्रकाश डाला। इसके बाद दीपक रमोला और करुणा एजारा पारिख के साथ ‘हमारे भविष्य के लिए हमारे अतीत की कहानियां’ विषय पर चर्चा हुई।
इस फेस्टिवल के दूसरे दिन का समापन करते हुए आनंद रंगनाथन, जे. साई दीपक, कृष्ण बीर चौधरी, रविंदर सिंह चीमा, संजय झा और तहसीन पूनावाला ने अभिनव प्रकाश के साथ बातचीत में अपने विचार, मतभेद और दृष्टिकोण को शेयर किया। उन्होंने, ‘टूलकिट’ मामला: असहमित और राजद्रोह के बीच खाई को पाटना’ विषय पर चर्चा की।
फेस्टिवल में युवाओं को संबोधित करते हुए राज्य सभा के सांसद और एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन श्री सुभाष चंद्रा ने कहा, ‘अर्थ फेस्टिवल समय के साथ भारतीय संस्कृति, सभ्यता और कला का जश्न मनाने का एक केंद्र बन गया है। यह उन सभी के लिए एक बैठक का स्थान बनता जा रहा है, जो अपनी जड़ों के बारे में जानने में रुचि रखते हैं। जैसा कि किसी ने कहा, श्एक आदमी जो अपनी संस्कृति और अतीत को नहीं जानता, वह जड़ों के बिना एक पेड़ की तरह है।’ इसी तरह हमारी संस्कृति के बारे में युवाओं के मन में अभी भी बहुत भ्रम है और वे पश्चिम की संस्कृति का अनुकरण करना बेहतर समझते हैं। पिछला एक साल दुर्भाग्यपूर्ण रहा है क्योंकि महामारी ने पूरे समाज को बहुत दुःख दिया है। लेकिन इसने हमें अपनी संस्कृति के बारे में सोचने, प्रतिबिंबित करने और सीखने का समय भी मिला है।”
5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य पर टिप्पणी करते हुए श्री पीयूष गोयल, मंत्री, रेलय वाणिज्य और उद्योगय उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण, भारत सरकार ने कहा, ‘अर्थ- ए कल्चर फेस्ट की अवधारणा की मैं तारीफ करता हूं। यह वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है कि कोई राष्ट्र अपने इतिहास, कला और संस्कृति से जुड़ता है। मुझे लगता है कि जी नेटवर्क डॉट्स को जोड़ने और अर्थव्यवस्था सहित देश की अद्भुत सेवा कर रहा है। जाहिर सी बात है कि कोविड-19 की स्थिति अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी चुनौतियां लेकर आई है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इससे निपटने के लिए माननीय प्रधानमंत्री सबसे आगे खड़े रहे।”
फेस्टिवल में अपने अनुभव पर प्रकाश डालते हुए अनुभवी सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान ने कहा, “आधुनिकीकरण और एक नई पीढ़ी के साथ संगीत शैलियों में भी बदलाव हो रहा है। यह सराहनीय है कि अर्थ – ए कल्चर फेस्ट जैसा एक मंच इसे मुख्यधारा में ला रहा है और इस विरासत का संरक्षक बन रहा है। मुझे खुशी है कि मुझे अपने अनुभवों को साझा करने का मौका मिला और मैं अपना योगदान देने में सक्षम था।“
भारतीय फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ने कहा, “अर्थ – ए कल्चर फेस्ट जैसी जगह देखना बेहद खुशी की बात है। यह ऐसा फेस्ट है, जहां हम भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली हर चीज पर चर्चा कर सकते हैं। हमारे सिनेमा, संगीत से लेकर हमारे देश के राजनीतिक परिदृश्य तक। मैं इस प्रतिष्ठित फेस्ट का हिस्सा बनकर खुश हूं और अर्थ टीम को रीडिस्कवर, रीविजिट और रीकनेक्ट की हर कोशिश के लिए शुभकामनाएं देता हूं।“
इस फेस्टिवल के द्वारा सभी को आगे का रास्ता दिखाने के बारे में भारतीय राजनेता, प्रसिद्ध सीनियर एडवोकेट, प्रख्यात लेखक और कानून के शिक्षक सलमान खुर्शीद ने कहा, “मैं इस तथ्य में पूरा विश्वास रखता हूं कि समाधान के लिए व्यावहारिकता और संवाद की आवश्यकता होती है। अर्थ – ए कल्चर फेस्ट एक ऐसा मंच है जो महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालता है और विशेषज्ञों को साथ लाता है, जो संकल्प के लिए मिलकर काम करते हैं। मुझे सांस्कृतिक फेस्ट का हिस्सा बनने की खुशी है और मुझे उम्मीद है कि यह बातचीत बढ़ती रहेगी और पूरे देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी।”
बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने ‘स्वयं से ऊपर’ के बारे में बात करते हुए कहा, “महामारी की अनिश्चितता ने सभी के जीवन को बदल दिया है। इसकी वजह से कई लोगों का रोजगार छिन गया है। इसने खासतौर से ऐसे लोगों के लिए परेशानियां पैदा कर दी हैं, जो अपने परिवार का पेट भरने के लिए हर दिन मजदूरी करते हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुझे एहसास हुआ कि हम लोगों को यथासंभव मदद करनी चाहिए। मैं कोविड पर चर्चा करने और मुझे यहां बुलाने के लिए अर्थ-ए कल्चरल फेस्ट के आयोजकों को धन्यवाद देना चाहता हूं।’
भारतीय संस्कृति के संरक्षण की जरूरत पर इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति ने कहा कि, ‘पिछले कुछ वर्षों में विशेष रूप से हालिया महामारी के साथ बहुत कुछ बदल गया है। यह महत्वपूर्ण है कि हम प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करते हुए देश के सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य के भविष्य पर चर्चा करें। मेरा मानना है कि अर्थ- ए कल्चरल फेस्ट भारत और इसकी विरासत से संबंधित चर्चाओं और विचारों को सामने लाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। मुझे खुशी हुई कि मैं भी इसका हिस्सा बनी।”
युवाओं से कुछ बेहतर करने की अपील के साथ उद्यमी, एक्टिविस्ट, राजनीतिक विश्लेषक और ‘भाई वर्सेज भाई’ के को-एंकर तहसीन पूनावाला ने कहा, “भारत एक विविधीकृत और विभिन्न विचारों वाला देश है और मैं अर्थ जैसे प्लेटफॉर्म्स की सराहना करता हूं। जोकि इन अंतरों का जश्नर मनाते हैं और लोगों को अपने विचारों को व्यक्त करने की अनुमति देता है। अंततः लोकतंत्र में हमें एक-दूसरे से बात करनी चाहिए और एक-दूसरे को समझना चाहिए।”

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