हलचल

नक्सल हिंसा के पीड़ितों ने दिल्ली में प्रेस वार्ता कर बताई अपनी पीड़ा, केंद्रीय गृहमंत्री से भी की मुलाक़ात ; की माओवाद मुक्त बस्तर की मांग

नई दिल्ली। ‘बस्तर शांति समिति’ के बैनर पर 50 से अधिक नक्सल पीड़ितों ने दिल्ली स्थित Constitution Club में ‘केंजा नक्सली – मनवा माटा’ (सुनो नक्सली – हमारी बात) कहते हुए प्रेस वार्ता में अपनी पीड़ा और दुःख-दर्द बताने का प्रयास किया और बताया कि आखिर माओवाद के कारण उनकी जिंदगी कैसे नर्क बन चुकी है। इस विषय को लेकर नक्सल हिंसा से पीड़ितों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाक़ात की और उनसे बस्तर में शांति की मांग की।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा है कि “सुरक्षा बलों के द्वारा मारे गए उग्रवादियों के ह्यूमन राइट्स की बात करने वाले लोगों को बिना आँख, बिना हाथ, बिना पैर के जीवन जीने के लिए मजबूर इन लोगों के ह्यूमन राइट्स नजर नहीं आते।” उन्होंने पीड़ितों को आश्वासन देते हुए लिखा है कि “मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूँ कि मोदी सरकार 2 साल के अन्दर नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर आपके क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए संकल्पित है।”
वहीं बस्तर शांति समिति ने Constitution Club में प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि बस्तर में हजारों ग्रामीण हैं, जिन्होंने माओवादियों का दंश सहा है, जो वर्तमान में भी इन नक्सलियों का आतंक झेल रहे हैं, और आज भी इन लाल आतंकियों के कारण भय के साये में जी रहे हैं। बस्तर शांति समिति के जयराम दास ने आँकड़ों को सामने रखते हुए कहा कि बीते ढाई दशकों में इस भूमि में माओवादियों ने 8000 से अधिक ग्रामीणों की हत्या की है, और हजारों ऐसे लोग हैं जो माओवादियों के बिछाए बारूद के ढेर की चपेट में आने के कारण दिव्यांग हो गए।
माओवादी हिंसा से मुक्ति की मांग कर रहे ये पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि बस्तर में विकास तो हो सकता है, लेकिन उस विकास के रास्ते में माओवादियों ने ‘बम’ प्लांट कर रखा हुआ है। जैसे ही बस्तर का कोई नागरिक विकास के रास्ते पर थोड़ा आजाद होकर चलता है, वैसे ही माओवादियों के लगाए बम फट कर उसे दोबारा उसी आतंक के साये में ले जाते हैं, जहां से निकलना नामुमकिन हो जाता है।
इन्हीं सब कारणों को लेकर बस्तरवासी न्याय की गुहार लगाने दिल्ली पहुंचे हैं, नक्सल आतंक से पीड़ित बस्तरवासी अपनी आवाज़ उठा रहे हैं, बस्तरवासी चाहते हैं कि देश उनके दुःख, दर्द और पीड़ा को भी समझे, उसका भी समाधान निकाले और बस्तरवासियों को भी बारूद के ढेर की नहीं, बल्कि आजादी की सांस लेने दें। बस्तर शांति समिति के बैनर पर दिल्ली पहुंचे इन पीड़ितों की मांग है कि बस्तर को अब माओवादी आतंक से मुक्त किया जाए। इनकी मांग है कि जैसे देश के अन्य हिस्सों में सभी नागरिक आजादी से अपना जीवन व्यतीत करते हैं, वैसे इन्हें भी बस्तर में स्वच्छन्दता से जीवन जीने का अवसर मिले। बस्तर में माओतंत्र पूरी तरह से खत्म हो और भारत के संविधान के अनुसार बस्तर के हर गांव में लोकतंत्र का दीपक जले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *