राजनीति

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए केंद्र करे मदद : सीएम भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़। मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में सीआरपीएफ की पांच अतिरिक्त बटालियन की तैनाती व युवाओं के सेना में भर्ती के लिए मार्च 2021 में विशेष रैली आयोजित करने के केन्द्र सरकार के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढाने के लिए और आवश्यक पहल करने की गृहमंत्री अमित शाह से मांग की है।
माननीय मुख्यमंत्री ने पिछले 3 सितम्बर को गृहमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में वर्ष 2018 में आवंटित की गई 7 अतिरिक्त सीआरपीएफ बटालियन में से तत्काल पांच बटालियन बस्तर क्षेत्र में तैनात किये जाने की मांग की थी। जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकृति प्रदान करते हुए मार्च 2021 में युवाओं को सेना में भर्ती के लिए विशेष रैली भी आयोजित करने का भी निर्णय लिया है। ’केंद्र सरकार के इस फैसले पर माननीय मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए गृहमंत्री अमित साह के प्रति आभार जताते हुए कहा है कि इससे नक्सल विरोधी अभियान में निर्णायक बढ़त मिलेगी।’ माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर गृहमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि विगत वर्षों में भारत सरकार ने नक्सल प्रभावित राज्यों को सुरक्षा बल, आधुनिकीकरण अधोसंरचना निर्माण एवं संचार साधनों के विकास के लिए उदारतापूर्वक सहायता उपलब्ध करायी है।
जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि वर्तमान में जारी रणनीति के साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित किये जायें, जिससे कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बेराजगार विवश होकर नक्सली समूहों में शामिल न हों। नक्सल क्षेत्रों के वनाच्छादित होने एवं दुर्गम क्षेत्रों के कारण आर्थिक गतिविधियों का विकास चुनौतीपूर्ण कार्य है, ऐसे में नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में वृहद पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने इसको लेकर पत्र में सुझाये गये अपने पांच प्रस्तावों में कहा है कि बस्तर अंचल में लौह अयस्क पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यहां स्थापित होने वाले स्टील प्लांट्स को 30 प्रतिशल डिस्काउंट पर लौह अयस्क उपलब्ध कराया जायें। इससे वहां सैकड़ों करोड़ का निवेश तथा हजारों की संख्या में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगें। कठिन भौगोलिक क्षेत्रों के कारण बड़े भाग में ग्रिड की बिजली नहीं पहुंच पायी है। सौर ऊर्जा संयंत्रों की बड़ी संख्या में स्थापना से ही आमजन की ऊर्जा की आवश्यकता पूर्ति तथा उनका आर्थिक विकास संभव है। वनांचलों में लघु वनोपज, वन औषधियां तथा अनेक प्रकार की उद्यानिकी फसलें होती है। लेकिन उनके प्रसंस्करण व विक्रय की व्यवस्था न होने के कारण संग्राहकों को इसका समुचित लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है। उन क्षेत्रों में स्थापित होने वाले प्रसंस्करण इकाईयों व कोल्ड चेन निर्मित करने के लिए उदारतापूर्वक अनुदान दिये जाने की आवश्यकता है।
माननीय मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि बस्तर में इंन्द्रावती नदी पर बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना का निर्माण प्रस्तावित है। इस परियोजना के क्रियान्वयन से सिंचाई एवं ऊर्जा क्षमता के विकास से बस्तर अंचल के बड़े भाग का कायकल्प हो जायेगा। इस परियोजना की स्थापना के लिए भी केन्द्र सरकार की मदद चाहिए। वर्तमान में आंकाक्षी जिलों में केन्द्र सरकार की ओर से अलग से कोई अनुदान नहीं दिया जा रहा है। राज्य के बस्तर अंचल के सातों जिले आंकाक्षी जिलों के रूप में चिन्हित है। ऐसे में लोगों के आजीविका के साधनों के विकास के लिए कलेक्टरों को कम से कम 50-50 करोड़ रूपये की राशि प्रतिवर्ष दी जाये।
मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से उम्मीद जतायी है कि इन क्षेत्रों में केन्द्र सरकार से मदद मिलने की स्थिति में आगामी कुछ ही वर्षों में बस्तर अंचल में नक्सलवाद को जड़ से समाप्त की जाने में मदद मिलेगी।

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