रक्षाबंधन से जुड़े कुछ खास रहस्य और जरूरी बातें
केवल धागों का त्यौहार नहीं बल्कि रक्षाबंधन पर्व है वचन का, विश्वास का और प्रेम का, मात्र एक धागे के माध्यम से रिश्तों की गरिमा का वचन, जो भाई अपनी बहन को देता है। रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन धूम-धाम से मनाया जाता है। हर साल बहनें अपने भाईयों की कलाई पर विधि अनुसार राखी बांधती है और अपनी रक्षा का वचन मांगती है। लेकिन क्या आप जानते है कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षाबंधन कब प्रारम्भ हुआ इसके विषय में कोई निश्चित कथा नहीं है लेकिन इतिहास के पन्नों से जो जानकारी मिलती है वह कुछ इस प्रकार है।
ऐतिहासिक संदर्भ के मुताबिक :-
एक कहानी है कि है कि महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था, उसी दौरान उनके हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा तभी द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। बदले में श्री कृष्ण ने द्रोपदी को भविष्य में आने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी। और इसी प्रथा को चलाते हुए रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है।
रक्षा बंधन पूर्ण सामग्री :-
रक्षा बंधन का पावन पर्व हम सभी बड़े ही उत्साह से मनाते हैं। अतः इस पर्व को मनाते समय कोई भूल-चूक न हो, उसके लिए हमें सावधानी रखनी चाहिए। रक्षा बंधन की थाली के लिए पूर्ण पूजा सामग्री जैसे:-
भाई को बांधने के लिए राखी, तिलक करने के लिए कुमकुम व अक्षत, मिठाई, सिर पर रखने के लिए छोटा रुमाल अथवा टोपी, आरती उतारने के लिए दीपक, इसके अलावा यदि आप भाई को अपनी तरफ से कोई उपहार या नगदी देना चाहे तो वो रख सकते हैं। परन्तु इन सभी सामग्री का क्या महत्त्व है क्या कभी इसपर गौर किआ है?
माथे पर तिलक और अक्षत लगाने का कारण :-
राखी के पावन अवसर पर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है पर आज के समय में मुख्य रूप से कुमकुम से ही तिलक किया जाता है। वैसे आपने देखा होगा कि कुमकुम के तिलक के साथ चावल का प्रयोग भी किया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो माथे पर आप दोनों भौहों के बीच जहां आप तिलक लगाते हैं वो अग्नि चक्र कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर में शक्ति का संचार होता है। ऐसे में इस जगह टीका लगाने से ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। तिलक में चावल लगाने का कारण यह है कि चावल को शुद्धता का प्रतीक माना गया है। चावल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानी हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है। ऐसे में कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। इससे हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होती है। रक्षा बंधन को विधि अनुसार करने के लिए पूर्ण समाग्री की अवश्कता होती है। अधिकतर लोगों के लिए सभी समाग्री को जुटाना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है।
इस मुश्किल कार्य को आसान करने के लिए मंगल भवन.इन के डायरेक्टर श्री अमित जैन का कहना हैं कि मंगल भवन सिर्फ एक क्लिक पर घर बैठे सभी मंगल कार्य, कोई भी पावन अवसर और किसी प्रकार के त्यौहार की पूर्ण समाग्री उपलब्ध कराता है। लेकिन समाग्री के साथ-साथ किसी मंगल कार्य को पूर्ण करने के लिए पंडित की भी अवश्यकता होती है। पंडित के बिना कोई भी मंगल कार्य पूर्ण नहीं हो सकता। इन सभी बातो को ध्यान मे रखते हुए मंगल भवन ने अपनी वेबसाईट mangalbhavan.in पद पर लोगों की पूजा विधि से जुड़ी सभी समस्याओं का निवारण करने का बीड़ा उठाया है। मंगल भवन केवल देश में ही नहीं विदेशों मे भी अपनी सुविधा लोगों तक पहुचा रही है।
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