सामाजिक

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सहेजना हमारा दायित्व

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
बूंदी के 781 वें स्थापना दिवस के अवसर महाराव राजा वंशवर्धन सिंह जी और उमंग संस्थान के द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ईश्वरी निवास में आयोजित “780 वर्ष: क्या खोया क्या पाया – एक विश्लेषण“ विषयक संगोष्ठी के मुख्य वक्ता पूर्व जिला कलक्टर अमर सिंह रहे तथा अध्यक्षता पूर्व महाराव वंश वर्धन सिंह ने की।
वंशवर्धन सिंह ने बून्दी स्थापना दिवस की शुभकामनाए देते हुए बून्दी की विरासत और धरोहर के संरक्षण और संवर्धन को हमारी सांझी जिम्मेदारी बताया। उन्होंने वर्तमान समय की सबसे बड़ी उपलब्धि रामगढ टाईगर रिजर्व को बताया। साथ ही इस उपलब्धि को सहेजने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी भी बून्दी वासियों की हैं। आम जनता से अनुरोध किया कि जब कभी भी हमे घूमने का अवसर मिले जिन स्थलो पर भी जाए, वहां के इतिहास और साहित्य के बारे में आने वाली पीढि को अवगत करवाए।
मुख्यवक्ता के रुप में सम्बोधित करते हुए पूर्व जिला कलक्टर अमर सिंह ने कहा कि अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत पर गर्व महसूस होना चाहिए। उन्होंने बून्दी में पर्यटन और वन विकास की अपार सम्भावनायें बताई। विकास की अवधारणा के लिए संतोषी स्वभाव को समाप्त करना होगा।
महारानी रोहिणी हाडा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि विरासत संरक्षण के लिए जन साधारण को जागरुक होकर प्रयास करें।
संगोष्ठी में वर्षा जल संरक्षण, स्वच्छता सौन्दर्यीकरण, परिवहन, पर्यटन विकास, वन सम्पदा, टाइगर रिजर्व, विरासत संरक्षण, रोजगार पर प्रबुद्धजनो के सकारात्मक और नवाचारी विचार और सुझाव प्रस्तुत किए।
प्राचार्य डॉ.एन.के. जेतवाल ने बून्दी में निर्मित कुए बावडियो के सन्दर्भ में वर्षा जल संरक्षण की बात करते हुए बून्दी की पहचान बनी बावडियो के संरक्षण और संरक्षण की आवश्यकता बताई। बून्दी विकास समिति के सदस्य पुरुषोतम पारीक ने बून्दी की विरासत को बचाने के लिए आम जन को आगे बढ कर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमे सयुक्त प्रयास करने होंगे। बाल कल्याण समिति की पूर्व अध्यक्ष रेखा शर्मा तथा जेसीआई की डॉ. अनुकृति विजय ने स्वच्छता और सौन्दर्यीकरण की आवश्यकता जताई।
इन्टेक के प्रदीप जोशी ने पर्यटन विकास, रोजगार, कला और स्थानीय व्यवसायो के विकास की अवधारणा प्रस्तुत की। कार्यक्रम मे कापरेन महाराजा बलभद्र सिंह ने शाब्दिक स्वागत करते हुए बून्दी के विकास के लिए सकारात्मक सुझाव आमंत्रित किए। कार्यक्रम में सर्वप्रथम कृष्ण कान्त राठौर ने आयोजन की जानकारी प्रदान की। आभार उमंग संस्थान की मार्गदर्शिका रेखा शर्मा ने जताया और संचालन लोकेश जैन ने किया।
कार्यक्रम में अशोक विजय, रेखा शर्मा, डॉ. एन. के. जेतवाल, भूपेन्द्र सहाय सक्सेना, गोविन्द सिंह, प्रदीप जोशी, रतन सिंह हरणा, नारायण सिंह जाडावत, देवराज सिंह चारण, डॉ. अनुकृति विजय, रामप्रसाद बोयत, ध्रुव व्यास, नारायण सिंह हाडा, नन्द प्रकाश नन्जी, पुरुषोतम पारीक, ख्याति भण्डारी, हरिश गुप्ता, हिम्मत सिंह गौड, जनक सिंह, विजय सिंह सोलंकी, महेन्द्र सिंह राठौर, जोगेन्द्र सिंह, देवराज सिंह रतन सिंह, गोविन्द सिंह, सिल्विन, जय सिंह सोलंकी, राकेश माहेश्वरी, कुश जिन्दल, चौथमल साहू विभिन्न सामाजिक साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, अधिवक्तागण, प्रबुद्ध जन मौजुद रहे।

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