सामाजिक

संस्कार भारती ने “पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर” के 102 वे जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में शताब्दी महोत्सव का आयोजन किया

नई दिल्ली। “पद्मश्री डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर” के 102 वे जन्मोत्सव पर संस्कार भारती संस्था द्वारा आनलाईन कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर भारत के एक प्रमुख पुरातत्वविद् थे। उन्होंने भोपाल के निकट भीमबेटका के प्राचीन शिलाचित्रों खोज की। इन चित्रों का परीक्षण कार्बन-डेटिंग पद्धति से किया गया, इसी के परिणामस्वरूप इन चित्रों के काल-खंड का ज्ञान होता है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि उस समय रायसेन जिले में स्थित भीम बैठका गुफाओं में मनुष्य रहता था और वो चित्र बनाता था।
कार्यक्रम में विभिन्न कलाकारों और साहित्यकारों द्वारा बताया गया कि अपने जीवन में ऐसे महान कार्य वाकणकर जी ने किये जो उल्लेखनीय है, और उसमें से कुछ सराहनीय उपलब्धियां रही, लगभग 4000 से अधिक भारतीय, कनाडा, इंग्लैंड, अमेरिका आदि शैलाश्रय गुफाओं की भी खोज की है। इन्होंने भारत में विलुप्त सरस्वती नदी की खोज की। सन1975 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। सन् 2003 में दक्षिण एशिया यूनेस्को ने भीमबेटका शैलाश्रय गुफाओं को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। आपने डोगला गांव में सटीक जगह का पता लगाया जहां कर्क रेखा और स्थानीय देशांतर रेखा एक दूसरे को काटते हैं।
कार्यक्रम में ‘है नमन तुम्हे श्री वाकणकर’ का सुन्दर गीत प्रस्तुत किया गया तथा श्री देव जी व्यास, श्रीमती रागिनी मक्खर, श्री दीपक गुरुड, श्री सुलेखा कांबले, श्री अभय माड़के, श्री संजय अंकलीकर, श्री ईश्वर चंद आदि जैसे प्रसिद्ध कलाकारों ने अपने गीत, नृत्य, कविता, और अपनी-अपनी कला के माध्यम से वाकणकर जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए याद किया। कुछ कलाकारों ने रंगोली बनाकर तथा उनके बनाये चित्र प्रस्तुत करके उनको याद किया तथा श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर पद्मविभूषण गोकुलउत्सव जी महाराज, पद्मश्री अनूप जलोटा जी, पद्मश्री फैयाज वासिफुद्दीन डागर जी, पद्मश्री प्रहलाद जी टिपानिया, पद्मश्री श्री महेश जी शर्मा, पद्मश्री श्री जनक पल्टा जी, श्री आलोक चटर्जी, श्रीमती काजल शर्मा, श्री भगवती लाल पुरोहित जी सहित देशभर के कला, साहित्य, संस्कृति के कई अनुरागीयों ने अपने श्रद्धा भाव प्रकट किये।
कार्यक्रम में श्रीमती रेखा भटनागर जी ने अपने गुरु श्री वाकणकर जी के रेखा चित्र प्रस्तुत किये और बताया की उनसे प्रेरित होकर उनकी एक शिष्य विदूषी भटनागर ने रेखांकर ललित कला समिति की स्थापना कर बचो को कला की ओर राह दिखाई तथा वाकणकर जी को कई प्रदर्शनियां समर्पित की।

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