सैर सपाटा

भारत का एक मात्र विश्व धरोहर ‘कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क एवं रिजर्व बायोस्फियर’

आंखें पलक झपकना भूल जाएं ऐसा असीम सौंदर्य, हिमनदों से आच्छादित ऊंचे-ऊंचे पर्वतों की कभी चांदी सी झिलमिलाती तो कभी सोने सी चमकती चोटियां, पर्वतों से बह कर आने वाली जलराशि से बनती खूबसूरत नदियां और झरने, रोमांचित करते बर्फीले पशु एवं कभी न देखी असंख्य पक्षियों की प्रजातियां, लुभावने वन, वनस्पति, पुष्प, औषधीय पौधें, गूंजती देव गाथाएं, लेपचा जनजाति का आवास, रोमांस से भरपूर ट्रेकिंग और समीप में बौद्धों के पूजा स्थल सब कुछ मिला कर एक अकल्पनीय दृश्यांकन चलचित्र की भांति हमारी आंखों के सामने चलता रहता है जब हम कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान का दर्शन करते हैं। पौराणिक कथाओं और स्थानीय निवासियों के धार्मिक अनुष्ठानों में कंचनजंगा पर्वत का विशेष महत्व है। इसकी ढलानें पहले चरवाहों और व्यापारियों के लिए जानी-पहचानी थी। यह उद्यान एक बहुजातीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र है, जो समय के साथ विकसित हुआ है। अनेक मिथकों, कहानियों और उल्लेखनीय घटनाओं तथा साथ ही पवित्र ग्रंथों का सामूहिक प्रभाव, प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित सांस्कृतिक अर्थ और हिमालयी क्षेत्र में विकसित होने वाले स्वदेशी और विशिष्ट बौद्ध ब्रह्मांड के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
भारत के पूर्वांचल में स्थित सिक्किम राज्य में गंगटोक शहर के समीप खूबसूरत कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान का महत्व इसी से प्रतिपादित होता है कि यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने ‘कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क एवं रिजर्व बायोस्फियर’ को अपनी विश्व धरोहरों में शामिल कर में वर्ष 2016 में विश्व विरासत घोषित किया। आपको बता दें कंचनजंगा नेशनल पार्क सबसे अधिक ऊंचाई वाले पार्को में से एक है। भारत का यह उद्यान एक मात्र विश्व घरोहर है जिसे ‘मिश्रित धरोहर’ में चयनित किया गया है। गौरीशंकर पर्वत( तिब्बतीय शब्द कंचनजंगा) शक्तिशाली हिमालय की गोद में समुन्द्र तल से 1828 से 8950 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह विश्व की दूसरी बड़ी पर्वत छोटी हैं। भूगर्भीय स्थिति की दृष्टि से यह हिमालय की मुख्य श्रेणी के समान है और तिब्बत एवं भारत की जल विभाजक रेखा के दक्षिण में स्थित है। इसीलिए इसके उत्तरी ढाल की नदियाँ भारतीय मैदान में गिरती हैं। कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को “खंगचेंद्जोंगा राष्ट्रीय उद्यान” के रूप में भी जाना जाता है। इस उद्यान के उत्तर में टेंट चोटी, पूर्व में माउंट लामो एंगड़ेन का रिज, दक्षिण में माउंट नर्सिंग एवं पश्चिम में कंचनजंगा पर्वत है।
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान में उत्कृष्ट सार्वभौमिक महत्व का पूर्ण प्रतिनिधित्व बनाए रखने के लिए पर्याप्त स्थान मौजूद है। पार्क की स्थापना 26 अगस्त1977 में की गई थी। इस पर्वत के पहाड़ों और ग्लेशियरों और अतिरिक्त तराई के जंगलों को शामिल करने के लिए 1997 में इसका विस्तार किया गया था। आकार में दोगुने से अधिक की वृद्धि के कारण यहां मौसमी प्रवास करने वाले पशुओं की बड़ी श्रेणियों को समायोजित किया गया। इस उद्यान में लगभग 114,712 हेक्टेयर के बफर जोन सहित 178,400 हेक्टेयर का क्षेत्र शामिल है जो विशाल कंचनजंगा जीवमंडल संरक्षित के भीतर मौजूद है। इस उद्यान में एक अद्वितीय पर्वत प्रणाली शामिल है जिसमें चोटियों, हिमनदों,झीलों, नदियों और पारिस्थितिक रूप से जुड़े जैविक तत्वों की एक पूरी श्रृंखला मौजूद हैं। साथ ही पौराणिक कहानियाँ और बड़ी संख्या में प्राकृतिक तत्व नदियां, झीलें, आदि जुड़े हैं जिनकी सिक्किम के स्थानीय लोग पूजा करते हैं। इन कहानियों और प्रथाओं के पवित्र अर्थों को बौद्ध मान्यताओं के साथ एकीकृत किया गया है, जो कि सिक्किम की पहचान का आधार हैं।
कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क एवं बायोस्फियर में शानदार बर्फ से ढके पहाड़ों की अनूठी विविधता शामिल है। इनके साथ.साथ यहां 26 किमी लंबे जेमू ग्लेशियर सहित 73 हिमनदी झीलें हैं, जिनमें अठारह से अधिक पूर्णतया स्वच्छ और उच्च ऊंचाई वाली झीलें शामिल हैं। यह उत्तर भारत के सिक्किम राज्य में स्थित कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान दुनिया भर में किसी भी संरक्षण क्षेत्र की सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित है। इस उद्यान में 17,400 हेक्टेयर के क्षेत्र में 7 किलोमीटर में एक असाधारण ऊध्र्वाधर फैलाव है, जिसमें दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी 28,169 फीट कंचनजंगा पर्वत सहित तराई हिमालय वैश्विक जैव विविधता अतिक्षेत्र के भीतर आती है। उपोष्णकटिबंधीय से उच्च पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्रों की एक अद्वितीय शृंखला को प्रदर्शित करती हैं। यहां पर हिमालय सर्वाधिक संकरा है जो विभिन्न पर्यावरणीय क्षेत्रों के बीच के अंतर को बढ़ाता है और भारत के सिक्किम राज्य में स्थित कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान दुनिया भर में किसी भी संरक्षण क्षेत्र की सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित है। पार्क वैश्विक जैव विविधता संरक्षण महत्व की एक पर्वत श्रृंखला के भीतर स्थित है और सिक्किम राज्य के 25 फीसदी हिस्से को आच्छादित करता है, जिसे भारत की सबसे महत्वपूर्ण जैव विविधता सघनताओं में से एक होने का गौरव हासिल है। इस उद्यान में वनस्पति की दृष्टि से तीन परिवेश में विभक्त किया गया हैं। यहाँ 2730 मीटर ऊंचाई तक समशीतोष्ण पतझड़ी वन, 3650 मीटर ऊंचाई तक मिश्रित शंकुधारी वन एवं इस से ज्यादा ऊंचाई पर अल्पाइन घास और झाड़ियाँ पाई जाती हैं। यहाँ के वनों में प्रमुखतः देवदार, ओक, सन्टी, मेपल, विलो के पेड़ों सहित औषधीय एवं जड़ी-बूंटी वाले पौधें तथा अल्पाइन घास व झाड़ियाँ पाई जाती हैं।
यह उद्यान में बड़ी संख्या में स्थानिक, दुर्लभ और खतरे वाले पादपों और पशुओं की प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है। इसके मध्य पहाड़ों में पौधों और स्तनपायी प्रजातियों की सबसे अधिक संख्या मौजूद है। यहां भारी संख्या में पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं। यहाँ परिस्थितिकी अछूती होने से वन्यजीवों के लिए सुरक्षित है। जैव विविधता में अद्वितीय यह उद्यान हिम तेंदुए और हिमालयी ताहर सहित वनस्पतियों और जीवों की सबसे अधिक स्थानिक और दुर्लभ प्रजातियों का घर है। वन्यजीवों में कस्तूरी मृग, ढोले, आलसी भालू, हिमालयन कला भालू, लाल पांडा, तिब्बती जंगली गधे, उड़न गिलहरी, हिमालयन नीली भेड़े, सीरो, गोरल सहित सरीसर्प प्रजातियां पाई जाती हैं। ढोल और जंगली कुत्ते लुप्त होने के कगार पर हैं। पक्षियों में उल्लेखनीय रक्त तीतर, मुनाल, हिमालयन ग्रिफ्फोन, ल्ममेरेर, पश्चिमी ट्रैगोपान, हरे कबूतर, बर्फ कबूतर, तिब्बती रामचकोर, एशियाई पन्ना कोयल, हिमालयन फॉरेस्ट थ्रश, ईगल, सनबई, सहित करीब 550 प्रकार के प्रजातियों के पक्षी देखने को मिलते हैं जो उद्यान की जैव विविधता को समृद्ध बनाते हैं।
उद्यान में ट्रेकिंग की शुरुआत गंगटोक से 145 किलोमीटर दूर युकसोम से होती है। युकसोम स्थित चैक पोस्ट अथवा वन्यजीव शिक्षा और व्याख्यान केंद्र से प्रवेश के लिए अनुमति का परमिट लेना होता है। पर्यटन विभाग स्थानीय ट्रेवल एजेंटों से मिल कर दोनगोंगरी डोंगोंगरी 4,050 मीटर और अन्य स्थलों के लिए ट्रेकिंग का आयोजन करता हैं। प्रमुख ट्रेकिंग मार्ग 1. युकसोम – तशोका – दोजोंगरी, 2.वकीम – दोजोंगरी – थंगशिंग – सामुतेंग – गोचला,3. दोजोंगरी बेस कैम्प – राठोंग – खंगटेंग 4. थंगशिंग- लाम पोखरी- कस्तूरी ओरार – लबदांग – ताशिदिंग हैं। लाचेन – थसँगू 4174 मीटर, मुगथांग 4900 मीटर, थायला 5200 मीटर, ख्योकसा ला 5500 मीटर हैं। इनमें से अधिकांश ट्रेकिंग मार्ग राष्ट्रीय उद्यान से हो कर जाते हैं। एक अन्य लोकप्रिय ट्रेकिंग उत्तरी सिक्किम के एक गॉव लाचेन के साथ ग्रीन लेक तक है। इस ट्रेकिंग के भृमण के लिये भारतीय सैलानियों को राज्य के गृह विभाग से एवं विदेशी नागरिकों – पर्यटकों को गृह मंत्रालय भारत सरकार से प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट की जरूरत होती है। परमिट के बिना इस ट्रेकिंग पर जाना प्रतिबंधित है। कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान तक जाने के लिए निकटतम एयरपोर्ट गंगटोक के पाक्योंग एयरपोर्ट एवं 222 किलोमीटर पर दार्जलिंग का बागडोगरा एयरपोर्ट हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी जंक्शन 221 किमी. पर है। पश्चिम में युकसोम एवं उत्तर में चुंगथन निकटतम शहर हैं।

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