सैर सपाटा

जगन्नाथ मंदिर के नेपथ्य में समुद्र बीच पर पुरी उत्सव

डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम पत्रकार, कोटा

ओडिशा राज्य का दूसरा बड़ा और अंतर्राष्ट्रीय महत्व का जगन्नाथ मंदिर के पार्श्व में विशाल समुद्र के किनारे प्रति वर्ष नवंबर माह में आयोजित पुरी बीच उत्सव मौज मस्ती और ओडिसा की संस्कृति से जुड़ने का अवसर होता है। सुबह सूर्योदय और सांय: अस्ताचल सूर्य के दृश्यों की स्वप्निल आभा और हर पल बदलते रुपहले और चित्ताकर्षक दृश्य इतने मनभावन होते हैं कि सैलानी काफी देर तक अपलक निहारते रह जाते हैं।
दूर-दूर तक नज़र न आने वाला समुद्र का छोर और ऊंचाई तक उठती लहरें जब शोर के साथ रेत के किनारे पर दूर तक आ कर फैलती और बिखरती हैं तो सैलानियों को जोश और उमंग से भर देती हैं। लहरों से अठखेलियां करते और समुद्र में स्नान करते सैलानियों की मस्ती का आलम देखते ही बनता है। बीच पर सजे हुए ऊंट – घोड़ों और रेत पर चलने वाली ई बाइक की सवारी का भरपूर लुत्फ उठाते सैलानी झिलमलाते समुद्र के साथ उत्सव के दौरान फुटबॉल, कबड्डी और मलखम जिम्नास्टिक के खेल से आनंदित होते हैं।
दिन में जब विश्व भर के आए कलाकार बारीक रेत से मूर्ति कला का सृजन करते हैं, उनकी सृजन कला का यह अद्भुत और अकल्पनीय संसार उत्सव को नई विश्वस्तरीय ऊंचाई तक पहुंचा कर प्रमुख विशेषता बन जाता है। प्रति दिन रात्रि में होने वाले शास्त्रीय और लोक नृत्य और रॉक संगीत पर झूमते सीलनियों की मस्ती का आलम देखते ही बनता है। अनेक प्रकार के विद्युत चलित झूलों की राइड का बच्चों के साथ – साथ हर आयु के सैलानी पूरा लुत्फ उठाते हैं और स्वादिष्ट लजीज व्यंजनों का भरपूर स्वाद लेने से नहीं चूकते हैं। ओडिशा और अन्य राज्यों की हस्तशिल्प कला की प्रदर्शनियां भी खूब लुभाती हैं और सैलानी यादगार के तौर पर खरीद कर साथ ले जाते हैं। समुद्र के किनारे फैशन शो भी एक रोमांचक गतिविधि होती है और नौकायन भी रोमांच को बढ़ाता है।
पुरी बीच फेस्टिवल में हर आयु वर्ग के लिए लगभग सब कुछ है। कला, शिल्प, संस्कृति, खेल, व्यंजनों और विविध रोमांच से भरपूर सप्ताह भर चलने वाले पुरी बीच फेस्टिवल को आयोजित करने का श्रेय ओडिशा के होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन को जाता है। यह पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सह- ओडिशा पर्यटन विभाग हस्तशिल्प के विकास आयुक्त और पूर्वी आंचलिक सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता के साथ प्रायोजित है। पुरी बीच उत्सव का प्रारंभ 29 अक्टूबर, 1993 को हुआ था। यह उत्सव ओड़िशा की संस्कृति के साथ-सात पूरे भारत की संस्कृति को दर्शाता है।
ओडिशा राज्य में पुरी के इन उत्सवों में शामिल होने के लिए पुरी और भुवनेश्वर के लिए हवाई, रेल और बस सेवाएं प्रमुख स्थलों से उपलब्ध हैं। पुरी दिल्ली से 1700, बेंगलुरु से 1458, मुंबई से 1785 और कोलकाता से 459 किमी की दूरी पर स्थित है। भुवनेश्वर में बीजू पटनायक एयरपोर्ट पुरी से करीब 60 किमी दूरी पर है। एयर इंडिया, विस्तारा, इंडिगो और गो एयर जैसी विभिन्न एयरलाइंस पुरी को दिल्ली, लखनऊ जैसे शहरों से जोड़ती हैं। पूरी रेलवे स्टेशन भारत के विभिन्न शहरों से बेहतर रेल सेवाओं से जुड़ा है। अंतर्राजीय बस सेवा सभी जगह से उपलब्ध है। पुरी में ठहरने के लिए हर बजट के होटल, धर्मशालाएं और भोजन की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जगन्नाथ मंदिर सहित अन्य मंदिर, समुद्री बीच के साथ – साथ सुदाम रेत कला संग्रहालय अवश्य देखना चाहिए। पुरी से आसपास के अनेक पर्यटक स्थलों को देखने के लिए अनेक सुवधाजनक बस टूर की सेवाएं उपलब्ध हैं जो काफी किफायती भी है। आप अपनी सुविधानुसार टैक्सी का विकल्प भी चयन कर सकते हैं।

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