हलचल

अनुभव जन्य सच ही कविता में प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त होता है : सौमित्र मोहन

रजा फाउंडेशन और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में ‘आर्ट मैटर्स’ श्रृंखला के नए संस्करण में 21 अगस्त 2018 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमलादेवी ब्लॉक के सभागार में हिन्दी के अकविता के दौर के चर्चित कवि ‘सौमित्र मोहन’ का काव्यपाठ और परिचर्चा का आयोजन हुआ। रजा फाउन्डेशन नियमित रूप से साहित्य, संस्कृति और कला माध्यमों में अपनी विविध गतिविधियों से विद्वत समाज का ध्यान आकृष्ट करता रहा है। रजा फाउंडेशन की यह श्रृंखला ‘आर्ट मैटर्स’ की 57 वीं श्रृंखला थी। ‘आर्ट्स मैटर्स’ विचार, साहित्य, दृश्य कला, प्रदर्शन के क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ परिचर्चा का अवसर एवं मंच उपलब्ध कराता है। कार्यक्रम की शुरुआत रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी और हिंदी के चर्चित कवि श्री अशोक वाजपेयी के स्वागत वक्तव्य के साथ हुआ। उन्होंने अतिथियों और उपस्थित विद्वत समाज का स्वागत करते हुए सौमित्र मोहन को बिम्बधर्मी कवि के रूप में चिन्हित किया। सौमित्र मोहन की सम्पूर्ण कविताओं के संकलन ‘आधा दिखता वह आदमी’ से कई कविताओं का उल्लेख कर सौमित्र मोहन की कविताओं में मौजूद विचित्र अंतर्विरोधों और बिम्बातिरेकों को रेखांकित किया। हिंदी के रचनाकार गिरिधर राठी ने साही और राजकमल चैधरी के अंतर्संबंध को बतलाते हुए अकवितावादी कवियों में सौमित्र मोहन की विशिष्टता को स्थापित किया।
परिचर्चा के सूत्रधार ज्योतिष जोशी ने सौमित्र मोहन से बातचीत की शुरुआत सौमित्र मोहन के लेखन के आरंभिक समय के बारे में पूछ कर किया। उसके बाद सौमित्र मोहन ने ज्योतिष जोशी के प्रश्नों का उत्तर देते हुए अकविता को युगीन ऊब, ऐलिगेशन एवं आजादी के मोहभंग की परिणिति बताया, साथ ही नयी कविता से असंतुष्ट एवं विरोध में लिखी जाने वाली कविता का आन्दोलन बताया। अकविता पत्रिका के संदर्भ का हवाला देते हुए सौमित्र मोहन ने कहा कि अकविता पत्रिका निकालने के पीछे सबसे बड़ा कारण अपनी बात लोगों तक पहुँचाना था। अकविता के दौर में दिल्ली सबसे बड़े केंद्र के रूप में बना। अकविता पत्रिका ‘अकविता’ आन्दोलन वाले रचनाकार जगदीश्वर चतुर्वेदी, श्याम परमार, प्रभाकर माचवे, विमल, राजकमल चैधरी, रवीन्द्रनाथ त्यागी, मुद्राराक्षस, नरेंद्र धीर इत्यादि कवियों का सामूहिक प्रयास था। अपने बहुचर्चित कविता ‘लुकमान अली’ से सम्बंधित प्रश्न पर बात करते हुए सौमित्र मोहन ने लुकमान अली को टोटल पोयम बताया। लुकमान अली कविता में बिना किसी निर्धारित शैली को अपनाये नाट्य, स्वप्न संवाद, सूर्य यंत्र इत्यादि का प्रयोग कविता में आमजन की बात को सम्पूर्णता में रिफ्लैक्शन की कोशिश है। इसके बाद सौमित्र मोहन ने अपनी नयी और पुरानी कविताओं का पाठ किया।
सौमित्र मोहन ने ‘देखना तो’, ‘बारीक जाली’, ‘रंगदार मकान’, ‘झील’, ‘यथार्थवाद’, ‘पैटर्न’, ‘देशप्रेम-1’, ‘दूसरी वास्तविकता’, ‘ब्लैक आउट’, ‘परिचय’, ‘विदाई’, ‘बॉफा यूनियल के लिए’, ‘आदिम संवेग’, ‘अधलिखी किताबें और पतझड़’, ‘कीर्तन’, एवं ‘लुकमान अली’ कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर गंगा प्रसाद विमल, विष्णु खरे, लीलाधर मंडलोई, विष्णु नागर, अपूर्वानंद, गोविन्द प्रसाद, सुमन केसरी समेत कई कवि और शहर के साहित्य प्रेमी मौजूद रहे। आयोजन का धन्यवाद ज्ञापन रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्री अशोक वाजपेयी ने किया तथा रजा फाउंडेशन के आगामी कार्यक्रम का विवरण दिया। रजा फाउन्डेशन का इस माह में 25 अगस्त 2018 को शाम 06 बजे रजा फाउन्डेशन की पत्रिका अरूप का लोकार्पण एवं परिचर्चा, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में होगा तथा 28 अगस्त 2018 को 06ः30 बजे दयाकृष्ण मेमोरियल लेक्चर का छठां आयोजन इण्डिया हैबिटाट सेंटर में प्रो. आशीष नंदी के व्याख्यान के रूप में होना है।

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