‘सेंटर फॉर सीएसआर एंड सस्टेनेबिलिटी एक्सीलेंस ने अपनी पहल ‘डी-टॉक’ लॉन्च की
दिल्ली। एक गैर-लाभकारी संस्था ‘सेंटर फॉर सीएसआर एंड सस्टेनेबिलिटी एक्सेलेंस’ ने नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय में महिलाओं और बच्चों के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन स्थान बनाना के विषय पर अपना पहला सफल टॉक शो ‘डी-टॉक’ आयोजित किया। ‘माई सेफ स्पेस’ नामक फ्लैगशिप टॉक शो का उद्देश्य महिलाओं को ऑनलाइन ट्रोलिंग और दुर्व्यवहार की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करना है। टॉक सत्र का एजेंडा ऑनलाइन क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों द्वारा देखी गई प्रमुख प्रकार के अपराधों पर जोर देना था तथा महिलाओं और कानूनी विधियों के अधिकारों पर कुछ सिफारिशें प्रदान करना था।
इस शो को क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट एंड एक्टिविस्ट डा. जयंती दत्ता, एडवोकेट प्रशांत माली बॉम्बे हाईकोर्ट, एडवोकेट पवन दुग्गल सुप्रीम कोर्ट, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ रक्षित टंडन जैसे कुछ प्रतिष्ठित विषय एवं मामलों के विशेषज्ञों की उपस्थिति से सम्मानित किया गया था। इस कार्यक्रम में बोलते हुए, सीसीएसई के चेयरमैन डा. सौमित्रो चक्रवर्ती ने महिलाओं और बच्चों की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “सोशल मीडिया के व्यापक उपयोग होने के बाद भी इस पर निगरानी ढांचे की कमी आज महिलाओं और बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति हमारे समाज के लिए असली खतरा बनती जा रही है। यह समय है कि हम अपराध के इन नए तरीकों के बारे में लगातार बातचीत करें।” बच्चों को साइबर धमकी का शिकार होने के संदर्भ में कहाकि, “बच्चों को ऑनलाइन धमकाया जाता है। कुछ बच्चे अनजाने में खुद इसका शिकार हो जाते हैं। वहीँ बीच-बीच में ब्लू व्हेल और मोमो चैलेंज जैसे सोशल मीडिया खेल सोशल मीडिया पर खतरों के उभरते रूप हैं जो हमारे बच्चों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।”
सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव के इशारों को उजागर करते हुए वक्ताओं में से एक डा. जयंती दत्ता ने माता-पिता को सोशल मीडिया की लत के विशेष चिन्हों को देखने का सुझाव दिया। उदाहरण के लिए यदि आपका बच्चा अपने फोन का बहुत शौकीन लगता है और उसके व्यवहार में बदलाव दिख रहा है, सामाजिक बातचीत कम हो रही है तब माता-पिता को ध्यान देना चाहिए। आप सभी जानते हैं, बच्चे साइबर खतरे के दायरे में हो सकते हैं। उन्होंने मोमो और किकी जैसे खेलों के नकारात्मक प्रभाव का भी उल्लेख किया।
माई सेफ स्पेस पर डी-टॉक में पेशेवर, माता-पिता और युवाओं करीब 300 से अधिक संख्या में मौजूद रहे। साथ ही उन्होंने विषय का समर्थन किया। एक और वक्ता, पावल दुग्गल ने कहा, “एक राष्ट्र के रूप में हमने साइबर धमकी के मामलों को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किये हैं, इस वजह से इन मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि साइबर धमकी स्कूल कल्चर का हिस्सा बन रही है और इस तरह की मानसिकता की जांच की आवश्यकता है। उन्होंने श्रोताओं को वर्चुअल दुनिया में बुद्धिमानी से दोस्त चुनने का सुझाव दिया।