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सहपीडिया ने 37 शहरों में इंडिया हेरिटेज वाॅक फेस्टिवल का दूसरा सत्र शुरू किया

नई दिल्ली। लोगों को देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करने वाली एक दीर्घकालिक मुहिम के तहत सहपीडिया 2 से 28 फरवरी के दौरान यूनेस्को से भागीदारी करते हुए अपनी पुरस्कारों से सम्मानित इंडिया हेरिटेज वाॅक फेस्टिवल (आईएचडब्ल्यूएफ) शुरू करेगी। इसके तहत खास जरूरतमंद लोगों को धरोहर की शिक्षा तथा सैर कराने पर केंद्रित रहते हुए 37 शहरों में कार्यक्रम चलाया जाएगा।
अपने पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर किये गए कार्यक्रम के लिए पाटा (PATA) स्वर्ण पुरस्कार 2018 पाने वाले आईएचडब्ल्यूएफ इस बार अहमदाबाद से 2 फरवरी को हेरिटेज वाॅक की शुरुआत करेगा जिसमें गुजरात के इस शहर के धार्मिक इतिहास और यहां पर विभिन्न मान्यताओं के परस्पर सह-अस्तित्व पर फोकस किया जाएगा। इस महोत्सव के पहले दिन मुंबई, दिल्ली, वाराणसी, गुवाहाटी, पुणे, उदयपुर, कोलकाता, पुदुचेरी तथा चेन्नई जैसे अन्य शहरों में समानांतर हेरिटेज वाॅक भी आयोजित की जाएंगी।
इस कार्यक्रम की घोषणा करते हुए सहपीडिया के आईएचडब्ल्यूएफ कार्यक्रम निदेशक और सचिव वैभव चौहान ने कहा, “हम स्थानीय इतिहास और संस्कृति तक लोकतांत्रिक तरीके से पहुंच बनाना चाहते हैं। हो सकता है कि आप वर्षों से किसी धरोहर के करीब रह रहे हों, लेकिन बहुत संभव है कि वह महत्वपूर्ण धरोहर किसी गली की भीड़भाड़ में गुम हो गई हो और भुला दी गई हो। आईएचडब्ल्यूएफ किसी स्थान, शहर या कस्बे के इतिहास से जुड़े उस छुपे नगीने को खोज निकालने का एक अवसर लेकर आया है।”
इस मौके पर आयोजकों के तौर पर सहपीडिया की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक डाॅ. सुधा गोपालकृष्णन, कार्यक्रम निदेशक और सचिव वैभव चौहान, बर्ड ग्रुप की काॅर्पोरेट कम्युनिकेशंस प्रमुख अंजलि वाधवान, ओडिगस के बिजनेस हेड हिमांशु कुमार और एनएमडीसी के प्रतिनिधि मौजूद थे।
कई शहरों में एक साथ सैर-सपाटा पूरा करने वाले इस कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य भारत की मूर्त और अमूर्त धरोहरों के विभिन्न पहलुओं के बारे जानकारी बढ़ाना है। देशभर में 87 हेरिटेज वाॅक और इन तक पहुंच बनाने के 100 कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है जिसके जरिये भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने, संग्रहालयों पर केंद्रित, ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्मारकों और बाजारों, प्राकृतिक दृश्यों, समृद्ध पाक शैली के लिए मशहूर क्षेत्रों और महिलाओं की गाथाओं से जुड़े स्थानों के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी।
नई दिल्ली स्थित यूनेस्को के कार्यलय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रमुख और विशेषज्ञ जुन्ही हान ने कहा, “आईएचडब्ल्यूएफ कार्यक्रम लिंग समानता से जुड़े मुद्दों, अधिक समावेशी और सुगम तरीके से सांस्कृतिक धरोहर तक पहुंच बनाने की सुविधाओं पर केंद्रित रहने के साथ ही स्थानीय वास्तुकला की धरोहरों एवं दीर्घकालिक पर्यटन से संबंधित है। इस कार्यक्रम के साथ अधिक से अधिक लोगों, खासकर युवाओं के जुड़ने, दिलचस्पी रखने और उन्हें संवेदनशील बनाए जाने की उम्मीद है, जो इसके माध्यम से अपनी सांस्कृतिक धरोहर के बारे में समझ सकें और शहरी धरोहर, इतिहास और समुदायों के बारे में जानकारी देते हुए समाज को जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकें।”
आईएचडब्ल्यूएफ के दूसरे सत्र की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए इस कार्यक्रम को राज्य स्तर पर पांच वर्गों में बांटा गया है : पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और मध्य। 20 राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में वाॅक के अलावा यह बहुरंगी कार्यक्रम फोटोग्राफी और सोशल मीडिया आधारित इंस्टामीट्स, अनौपचारिक तथा बहुस्तरीय बैठकों, लुप्त होती कला विधाओं को पुनर्जीवित करने के लिए कई तरह की कार्यशालाओं और विशेष जरूरतमंदों के लिए वाॅक के रूप में संचालित होगा। इसके लिए पंजीकरण आधिकारिक वेबसाइट- https://www.indiaheritagewalkfestival.com/ पर कराया जा सकता है।
इस कार्यक्रम को नेशनल मिनरल डेवलपमेंट काॅरपोरेशन (एनएमडीसी) का सहयोग मिला हुआ है। एनएमडीसी के सीएमडी एन. बैजेंद्र कुमार ने कहा, “आईएचडब्ल्यूएफ जैसी मुहिम में स्थानीय समुदायों को शामिल किया गया है जो भारत की धरोहर को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। एनएमडीसी पिछले 60 वर्षों से बस्तर के सुदूरवर्ती आदिवासी क्षेत्रों और बेलाडिला की पहाड़ियों में काम कर रही है और इसने जनजातीय संस्कृति और भारतीय विरासत के अन्य रूपों को भी गंभीरता से प्रोत्साहित किया है। हम सहपीडिया को अपने देश की विरासत के बारे में समझने के लिए जनभागीदारी बढ़ाने के प्रयासों में सहयोग कर रहे हैं।”
आईएचडब्ल्यूएफ के दूसरे सत्र में सहपीडिया ने अपना समस्त इंडिया हेरिटेज वाॅक कार्यक्रम संचालित करने के लिए स्थानीय स्तर के लगभग 40 भागीदारों के साथ साझेदारी की है। इनमें केरला हिस्ट्री म्यूजियम, कोच्चि हेरिटेज प्रोजेक्ट, INTACH श्रीनगर चैप्टर, आर्ट डेको मुंबई, महाराणा ऑफ़ मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन और ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर जैसे कई प्रमुख भागीदार भी शामिल हैं।
इसके अलावा कार्यक्रम की बुकिंग का जिम्मा भारत में पर्यटकों को मान्यता प्राप्त गाइडों के साथ जोड़ने वाली ऑनलाइन कंपनी ओडिगोज ने संभाला है। बर्ड ग्रुप के कार्यकारी निदेशक डाॅ. अंकुर भाटिया ने कहा, “बर्ड ग्रुप हमेशा भविष्य की ओर देखती है और भविष्य का महत्वपूर्ण हिस्सा अतीत को समझना तथा सहेजकर रखना है। सहपीडिया के साथ यह भागीदारी हमें भारतीय कला एवं संस्कृति को समावेशी तथा प्रभावशाली बनाने का लक्ष्य हासिल करने के करीब लाती है। बर्ड ग्रुप के ओडिगोज ऐप का लक्ष्य पर्यटकों को गाइड की मदद से पर्यटन का बेहतर अनुभव प्रदान करना है और यह सहपीडिया की आईएचडब्ल्यूएफ बुकिंग में तकनीकी सहयोगी की भूमिका निभाएगा तथा गाइड समूह की मदद करेगा।”
सभी क्षेत्रों के लोगों को भारतीय इतिहास के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने के सहपीडिया के निरंतर प्रयासों के तहत इस कार्यक्रम ने उन समूहों के लिए विरासत से जुड़ने के कार्यक्रमों को संरक्षण दिया है जिन्हें विरासत से अलग-थलग कर दिया जाता है। इन समूहों में बच्चे, निःशक्तजन और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं।
स्पेशल वाॅक के लिए आईएचडब्ल्यूएफ की योजना के बारे में चौहान ने बताया, “विशेष जरूरतमंद लोगों और वंचित जमात से आने वाले लोगों को स्थानीय विरासत से रूबरू कराने के लिए हमने इतिहासकारों, सैर-सपाटे के विशेषज्ञों को अपने साथ जोड़ा है जो सैर के इन कार्यक्रमों को निर्बाध संचालित करने में मदद के लिए अपनी दक्षता का इस्तेमाल कर सकते हैं।”
स्पेशल वाॅक के लिए यात्रा मार्ग में भुवनेश्वर स्थित पत्थरों से बना भगवान शिव का विशाल मुक्तेश्वर मंदिर भी शामिल है जिसे तांत्रिक परंपरा से संबंधित माना जाता है। हेरिटेज वाॅक दृष्टिबाधित छात्रों के लिए आयोजित किया जाएगा।
स्पेशल वाॅक के अन्य केंद्रों में मुंबई का प्राचीन गिल्बर्ट हिल ( दृष्टिबाधित छात्रों के लिए) और कोलकाता का नेहरू बाल संग्रहालय (होप फाउंडेशन के बच्चों के लिए) भी शामिल हैं जहां पूरी दुनिया की गुड़ियों का विशाल संग्रह मौजूद है।
कार्यक्रम के तहत शिक्षाविदों, डिजाइन पेशेवरों और विरासत विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक विषय केंद्रित परिचर्चा भी आयोजित होगी जिसमें धरोहर और शिक्षा के बीच संबंधों को तलाशा जाएगा, जबकि विभिन्न विरासत संसाधनों को तलाशने और प्रबंधित करने के लिए एक शैक्षणिक रूपरेखा की संभावना पर भी विचार किया जाएगा।
मिसाल के तौर पर “अर्ली इंडियंस : द स्टोरी ऑफ आवर एनसेस्टर्स एंड व्हेयर वी केम फ्राॅम” के लेखक टोनी जोसेफ नई दिल्ली में आयोजित बैठक के दौरान हमारी वंश परंपरा की कहानी बताएंगे। इसी तरह गुवाहाटी, कोलकाता और अहमदाबाद समेत देश के छह शहरों में कई और बैठकों का आयोजन किया जाएगा।
भ्रमण विशेषज्ञों, इतिहासविदों और पर्यटकों के बीच व्यापक रूप से सफल इस कार्यक्रम में छात्रों, सैलानियों, स्थानीय निवासियों, फोटोग्राफरों, संरक्षणकर्ताओं और इतिहासकारों जैसे अन्य समूहों को भी शामिल किया जाएगा।

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