लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

गंभीर कमरदर्द से छुटकारा दिलाए पेसमेकर फॉर द स्पाइनल कॉर्ड

– डॉ. आदित्य गुप्ता
न्यूरोसर्जरी और साइबरनाइफ, अग्रीम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरो साइंसेज आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
कमरदर्द की समस्या एक आम स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। 90 प्रतिशत लोग अपने जीवन के किसी न किसी स्तर पर कमर दर्द से पीडित रहते हैं। खानपान की गलत आदतें, शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना, गैजेट्स के साथ अधिक समय बिताना कमरदर्द के सबसे बड़े रिस्क फैक्टर्स हैं। कामकाजी लोगों में भी कमरदर्द की समस्या तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर उन युवाओं में जो आइटी इंडस्ट्री या बीपीओ में काम करते हैं या जो लोग कम्प्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं।
लगातार अधिक देर तक बैठे रहना
लंबे समय तक बैठे रहने से कशेरूकाओं के बीच स्थित शॉक-एब्जार्बिंग डिश पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और कमर की मांसपेशियां थक जाती हैं। गलत पॉस्चर इस स्थिति को और गंभीर बना देता है।
आरामतलबी की जिंदगी जीना
जो लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहते, या अपने खाली समय में भी कम्प्यूटर और मोबाइल से चिपके रहते हैं उन्हें कमरदर्द की समस्या अधिक होती है।
मोटापा
शरीर के मध्य भाग में अतिरिक्त भार होना पेल्विस को आगे की ओर खींचता है और कमर के निचले हिस्से पर दबाव डालता है। वजन अधिक बढ़ने से रीढ़ की हड्डी के छोटे-छोटे जोड़ों में टूट-फूट जल्दी हो जाती है और डिस्क भी जल्दी खराब हो जाती है।
धूम्रपान
धूम्रपान स्पाइन के ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों की दूसरी समस्याओं को बढ़ा देता है। ऑस्टियोपोरोसिस से स्पाइन के फ्रेक्चर की आशंका बढ़ जाती है। जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें धूम्रपान ना करने वालों की तुलना में कमर के निचले हिस्से के दर्द की समस्या तीन गुनी होती है।
कैसे बचें?
– संतुलित और पोषक भोजन का सेवन
संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें, विशेषकर ऐसा भोजन जो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर हो।
– वर्क आउट करें
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें। पैदल चलने की कोशिश करें पैदल चलना बोन मास को बढ़ाने में सहायक है। वर्क आउट करने से वजन भी कम होता है।
– काम के बीच ब्रेक लें
अपने काम के बीच में थोड़ी देर का ब्रेक लें, हर घंटे में एक बार अपनी कुर्सी से उठें तथा अपनी गर्दन और कमर को 30 सेकंड तक स्ट्रेच करें।
– एरगोनॉमिक्स को सुधारें
एरगोनॉमिक्स में आता है कि आप कैसे बैठें, कम्प्यूटर की पोजीशन क्या हो, की-बोर्ड कहां हो, टेबल और कुर्सी की हाइट कितनी हो।
कम्प्युटर की स्क्रीन को आंखों के लेवल से 15-20 डिग्री नीचे रखें। गर्दन पर दबाव न पड़े इसके लिए वायरलेस की-बोर्ड और मॉउस का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, क्योंकि आप इन्हें आरामदायक स्थिति में रख सकते हैं।
– अपना पॉस्चर ठीक रखें
शरीर का पॉश्चर ठीक नहीं होने से रीढ़ की हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ जाता है। इससे कमर के निचले हिस्से और गर्दन में दर्द होता है। कमर दर्द से बचने के लिए हमेशा कमर को सीधी और पीछे की ओर करके इस तरह बैठें की शरीर का भार दोनों हिप्स पर बराबर हो। हर तीस मिनिट के बाद अपनी पोजीशन बदलें।
क्या है उपचार ?
कमर के सामान्य दर्द को तो जीवनशैली में परिवर्तन लाकर ठीक किया जा सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में सर्जरी करना जरूरी हो जाता है, जब सर्जरी से भी कमरदर्द ठीक न हो तो पेसमेकर फॉर द स्पाइनल कॉर्ड का इस्तेमाल किया जाता है।
– सर्जरी
सर्जरी द्वारा पूरी डिस्क को या आंशिक रूप से इसे बाहर निकाल लिया जाता है। पूरी डिस्क निकालने के बाद वहां कृत्रिम डिस्क प्रत्यारोपित की जाती है। इसके अलावा स्पाइन फ्यूजन के द्वारा भी कमर की मजबूती पुनः कायम की जा सकती है। सर्जरी के बाद 1-3 महीने आराम करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान ड्राइविंग करने, वजन उठाने, आगे की ओर झुकने, लंबे समय तक बैठने, भागने-दौड़ने की मनाही होती है।
– ओजोन थेरेपी
कमर और डिस्क के दर्द के लिए ओजोन थेरेपी एक अत्याधुनिक उपचार है। इस पूरी प्रक्रिया में एक-एक घंटे की छह सीटिंग तीन हफ्ते के दौरान लेना होती हैं। यह एक माइक्रोस्कोपिक सर्जरी है इसमें चीरा भी नहीं लगाना पड़ता। इसमें ओजोन को डिस्क के आंतरिक हिस्से तक पहुंचाया जाता है, लेकिन हर तरह के कमरदर्द में यह कारगर नहीं है।
– पेस मेकर
पेसमेकर फॉर द स्पाइनल कॉर्ड, कमर दर्द के लिए सबसे नवीन और अत्याधुनिक तकनीक है। इसके द्वारा स्पाइनल कॉर्ड से संबंधित सभी प्रकार के दर्द जैसे ब्रैंकियल प्लेक्सस इंजुरी के कारण उत्पन्न होने वाले दर्द, कमर दर्द आदि का प्रभावी तौर पर इलाज किया जा सकता है। यह उपकरण नर्व पाथवे यानी नसों के मार्ग को दुरुस्त करके गंभीर पीठ दर्द में भी कमी लाता है। वो लोग जो लाइलाज पीठ दर्द से परेशान हैं, उनके लिए यह बहुत कारगर है। जिन लोगों को दर्द निवारक गोलियां, इंजेक्शन आदि से आराम नहीं मिलता तो उनकी सर्जरी की जाती है लेकिन सर्जरी के बाद भी 5 से 10 प्रतिशत मरीजों को पीठ और पैर में बहुत ज्यादा दर्द रहने लगता है तो दोबारा सर्जरी की जाती है, जब दो बार सर्जरी करने के बाद भी कमरदर्द से छुटकारा नहीं मिलती तो स्पाइनल कार्ड पेस मेकर का इस्तेमाल किया जाता है।
कैसे काम करता है स्पाइनल कॉर्ड पेसमेकर
पेसमेकर को रोगी के त्वचा के नीचे लगाया जाता है। पेसमेकर लगाने के बाद, स्पाइनल कॉर्ड स्पेस में इलेक्ट्रोड, जिसे ‘एपिड्यूरल स्पेस’ कहते हैं, रखा जाता है। इस कारण इस स्पेस में कुछ मिलीएंपीयर के करंट के साथ हाई फ्रीक्वेंसी का इलेक्ट्रिकल इंपल्स उत्पन्न होता है। यह इंपल्स स्पाइनल कॉर्ड से होकर ब्रेन तक पहुंचने वाले दर्द के संकेतों को बीच में ही रोक देता है और उसे निष्प्रभावी कर देता है, इससे रोगी का दर्द कम हो जाता है। पेस मेकर को इम्प्लांट करने के लिए बड़ी सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। इस उपकरण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे अपनी जरूरत के हिसाब से ऑन-ऑफ किया जा सकता है। आप चाहें तो इसे चैबीस घंटे इस्तेमाल कर सकते हैं या केवल दिन में इस्तेमाल करें और रात में बंद कर दें।

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