स्वास्थ्य

न्यूमोनिया : बच्चों व वयस्को में लक्षण अलग-अलग

-डॉ. राकेश चावला
सीनियर कंसलटेंट, रेस्पिरेटरी मेडिसिन
सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली
न्यूमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है। ये संक्रमण बैक्टीरिया, वाइरस और फंगस के कारण होता है, इसमें एक या दोनों फेफड़ों के एयर सैक्स (एलविलोय) में सूजन आ जाती है। इन एयर सैक्स में फ्ल्यूड या पस भर सकता है, जिसके कारण बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। वाइरस और बैक्टीरिया से होने वाला न्यूमोनिया छींकने और खांसने से दूसरों में फैल सकता है, लेकिन फंगल न्यूमोनिया का संक्रमण, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलता है।
– लक्षण
नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में न्यूमोनिया के वैसे लक्षण दिखाई नहीं देते हैं जैसे व्यस्कों में दिखाई देते हैं। फिर भी निम्न लक्षण बच्चों में न्यूमोनिया का संकेत देते हैं –
त्वचा का रंग पीला पड़ जाना।
सांस लेने में तकलीफ होना।
अत्यधिक बैचेन और थका हुआ दिखाई देना।
सामान्य से अधिक रोना।
ठीक से स्तनपान या खाना नहीं खाना।
उल्टी होना।
– तो डॉक्टर से संपर्क करें
बच्चे की उम्र तीन महीने से कम हो। सांस बहुत तेज चल रही हो, सांस लेते समय आवाजें आना, सांस लेने में अतिरिक्त प्रयास करना। बच्चे का खाना या दूध पीना आधा हो जाए. पीला पड़ जाए या बीमार दिखे। ऐसे लगे की ठीक हो रहा है, फिर अचानक से वो बीमार पड़ जाए।
– रिस्क फैक्टर्स
किसी भी बच्चे को न्यूमोनिया हो सकता है, लेकिन कुछ बच्चों में इसकी आशंका अधिक होती है, अगर-बच्चा बहुत छोटा है। उसको वैक्सीन नहीं लगाया गया हो। श्सनतंत्र से संबंधित दूसरी समस्याएं जिससे फेफड़े प्रभावित होते हैं। उनके आसपास कोई सिगरेट पीता हो। असमय पूर्व जन्मा बच्चा। भीड़भाड़ वाले घरों में रहना।
– संभावित जटिलताएं
उपचार के पश्चात् भी, कुछ लोग जिन्हें न्यूमोनिया होता है, विशेष रूप से बच्चे और जो हाई रिसक ग्रूप में हैं, उनमें संभावित जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
– बैक्टीरिया
बैक्टीरिया, फेफड़ों से रक्त के प्रवाह में पहुंच सकते हैं, जिससे संक्रमण दूसरे अंगों तक पहुंच सकता है, जो आर्गेन फेलियर का संभावित कारण बन सकता है।
– लंग्स एबेसेस
इसमें लंग्स में कैविटीज बन जाती हैं, जिसमें पस भर जाता है।
– सांस न ले पाना
गंभीर न्यूमोनिया में बच्चे ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाते हैं जिससे फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। बच्चे को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।
– रोकथाम
न्यूमोनिया से बचने के लिए निम्न उपाय करें।
– वैक्सिनेशन कराएं
न्यूमोनिया से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। नवजात शिशुओं से लेकर पांच साल तक के बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। डॉक्टर्स 6 माह से बड़े बच्चों के लिए फ्लु शॉट्स की सिफारिश भी करते हैं। बचपन से ही बच्चों को साफ-सफाई की आदत डालें। गंदगी के कारण श्वास मार्ग के संक्रमण की आशंका बढ़ जी है, जो न्यूमोनिया का कारण बन सकती है।
– बच्चे आसपास हों ते धूम्रपान न करें
धूम्रपान के दौरान निकलने वाले धुएं से बच्चों के फेफड़ों की श्वसन तंत्र के संक्रमण के विरूद्ध, प्रकृतिक सुरक्षा क्षमता क्षतिग्रस्त हो जाती है।
– इम्यून तंत्र को दुरूस्त रखें
बच्चों का इम्यून तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता है, इम्न तंत्र को ठीक रखने के लिए बच्चों के खाने-पीने और नींद का ध्यान रखें। अगर बच्चा छोटा है तो उसे स्तनपान जरूर कराएं।
– डायग्नोसिस
– एक्स-रे
छाती के एक्स-रे से यह स्पष्ट हो जाता है कि बच्चे को श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याएं न्यूमोनिया के कारण हैं या दूसरे संक्रमणों के कारण।
– ब्लड टेस्ट
ब्लड टेस्ट, संक्रमण की पुष्टि करता है, लेकिन इससे सक्रमण के कारण का पता नहीं चल पाता है।
– स्पुटम टेस्ट
इसमें फेफड़ों से सैम्पल लिया जाता है, जिससे संक्रमण के कारण का पता चल जाता है।
– पल्स ऑक्सीमेट्री
इसमें एक उंगली पर ऑक्सीजन सेंसर लगाया जाता है, इसके द्वारा ये पता लगाना संभव होता है कि फेफड़ों से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन रक्त के प्रवाह तक पहुंच रही है।
– सीटी स्कैन
इस टेस्ट के द्वारा फेफड़ों की एक बहुत स्पष्ट और विस्तृत तस्वीर मिल जाती है।
– ब्रोंकोस्कोपी
इसमें एक लचीली नली जिसके सिरे पर कैमरा लगा होता है, इसे गले से होते हुए फेफड़ों में डाला जाता है। डॉक्टर इस टेस्ट को कराने का तब कहेगा जब बच्चे में न्यूमोनिया के लक्षण गंभीर होंगे या वो अस्पताल में भर्ती होगा और उसका शरीर एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिक्रिया नहीं दे रहा होगा।
– तो बढ़ जाता है खतरा
जिन बच्चों को हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिन्हें बार-बार एंटी बायोटिक्स दिया जाता है, अस्थमा है या कोई और गंभीर स्वास्थ्य समस्या है और जिन्हें खसरे, चेचक, इन्फ्लुएंजा के संक्रमण का टीका नहीं लगाया गया है, उन्हें न्यूमोनिया होने का खतरा अधिक होता है।
अगर न्यूमोनिया के लक्षणों को गंभीरता से लिया जाए और तुरंत डॉक्टर को दिखाया जाए तो इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है, फिर भी बच्चों में न्यूमोनिया बहुत तेजी से विकसित होता है, विशेषरूप से नवजात शिशुओं में और उन्हें जो पहले से ही बीमार हैं।
– उपचार
न्यूमोनिया का उपचार इसपर निर्भर करता है कि न्यूमोनिया किस प्रकार का है, कितना गंभीर है और बच्चे का सामान्य स्वास्थ्य कैसा है। एंटी बायोटिक्स, एंटी बैक्रियल और एंटी फंगल ड्रग्स का इस्तेमाल न्यूमोनिया के उपचार के लिए दिया जाता है। अधिकतर मामलों में बैक्टीरियल न्यूमोनिया का उपचार 2-3 दिन तक लगातार एंटी बायोटिक्स लेने से हो जाता है। कफ को कम करने के लिए डॉक्टर कफ मेडिसीन भी दे सकता है, ताकि बच्चा आराम से सो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *