सामाजिक

महाराष्ट्र को तंबाकू मुक्त करने के लिए प्लेज फॉर लाइफ अभियान

पुणे। महाराष्ट्र में प्रतिवर्ष 72000 हजार लोग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन से हेाने वाली बीमारियों से दम तोड़ रहें है। यह जानकारी प्लेज फॉर लाइफ – तंबाकू मुक्त युवा अभियान के आगाज अवसर पर संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ), टाटा ट्रस्ट, केयरिंग फ्रेंडस और वॉयस ऑफ तंबाकू विक्टिम्स (वीओटीवी) की और से गुरुवार को आयोजित मीडिया कार्यशाला में निकलकर सामने आई।
पुलिस के साथ शिक्षा विभाग सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) और जेजे अधिनियम की दृढ़ता से पालन कराए तो तंबाकू की बिक्री और खपत पर नियंत्रण संभव है। इस काम में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इस कार्यशाला में बताया गया कि शिक्षण संस्थाओं के परिसरों को तम्बाकू मुक्त करने के लिए 2015 से शिक्षा विभाग काम कर रहा है। प्लेज फॉर लाइफ अभियान का मकसद युवाओं को तंबाकू विरोधी आंदोलन के नेताओं के रूप में लेागों के सामने लाना है।
वायॅस आॅफ टोबेको विक्टिमस (वीओटीवी) पैटर्न और रुबी हाॅल क्लिनिक के कैंसर विशेषज्ञ डॉ अंकित शाह ने कहा कि बच्चों को तंबाकू की लत से रोकथाम की रणनीतियों अपना कर बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में तंबाकू के कारण होने वाली बीमारियों के इलाज पर 1,04,500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। तंबाकू सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि तम्बाकू मानव शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है।
इस मौके पर संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) पार्टनर, दीपक छीबा ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के एमपीओएईआर और भारतीय कानून केाटपा – 2003 के अनुसार, सभी शैक्षिक संस्थानों को तम्बाकू मुक्त होना चाहिए। इनके परिसर में कोई या आसपास तंबाकू की बिक्री या उपयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केाटपा के तहत प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को परिसर के बाहर चेतावनी का बोर्ड लगाना चाहिए। ऐसा करने के लिए महाराष्ट्र शिक्षा विभाग मेहनत से काम कर रहा है। परिसर के बाहर, केाटपा के तहत 100 गज की दूरी पर तंबाकू और तंबाकू उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित है और इस कानून को पुलिस द्वारा पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जे जे अधिनियम की धारा 77 में भारी जुर्माना लगाया गया है। इसके तहत अगर कोई नाबालिगों को तम्बाकू देता है या इस कानून का उल्लंघन करता है तो उसे 7 साल की जेल और 1 लाख रुपये जुर्माना तक का जुर्माना हो सकता है। इस अधिनियम की सख्ती से लागू कर बच्चों की रक्षा की जा सकती है। प्लेज फॉर लाइफ अभियान के लिए युवाओं और शिक्षा विभाग के साथ मिलकर पुलिस काम करती है ताकि युवाओं द्वारा तम्बाकू शुरू करने से उन्हें बचाया जा सके।
मीडिया कार्याशला में लाठी अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ और वीओटीवी पैटर्न डा.आलेाक लाठी ने रोकथाम की रणनीतियों और प्लेज फॉर लाइफ अभियान को इलाज से बेहतर होने के बारे कहा कि इसका लक्ष्य बच्चों को तंबाकू से बचाने के लिए बहुत प्रभावी होगा। भारत में हर साल 13.5 लाख लोग तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण मर जाते हैं और 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का उपभोग करते हैं। उन्होंने कहा कि एक तिहाई या अधिक तम्बाकू उपभोक्ताओं की अकाल मृत्यु हो जाती है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि लगभग 5500 बच्चे किसी न किसी रूप में तम्बाकू का उपभोग शुरू करते हैं, जबकि इनमें केवल 3 प्रतिशत ही छोड़ने में सक्षम होते हैं। इसलिए शुरू करने की लत को कम करना, जो प्लेज फॉर लाइफ अभियान का लक्ष्य है, सबसे अच्छी रोकथाम रणनीति है।
इस अवसर पर संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ, महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट मैनेजर देवीदास शिंदे, केार्डिनेटर श्रीकांत जाधव सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।

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