शिक्षा

डबिंग आवाज को बनाएं कमाई का जरिया

-सुभाष घई
(चेयरमैन, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्किल काउंसिल)
आजकल देश में डब फिल्मों का बहुत बड़ा बाजार बनता जा रहा है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक आगामी दो दर्शकों में भारत हॉलीवुड की फिल्मों का सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरने की चमकीली संभावना रखता है। गौरतलब है कि हॉलीवुड में निर्मित फिल्म ‘‘द जंगल बुक’’ को पिछले दिनों हिन्दी में डब किया गया और उसने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में सफलता के झंडे गाड़ दिए तथा रिकॉर्ड तोड़ कमाई की। यह सिलसिला स्लमडॉग मिलियनेयर से होते हुए ‘‘अवतार द डार्क नाइट और टॉय स्टोरी-3 तक जा पहुंचा है।
क्या कहते हैं इंडस्ट्री के जानकारी :-
फिल्म इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि भारतीय दर्षक अपने परंपरागत ढर्रे से अलग विदेशी समाज और संस्कृति से रुबरु होना चाहता है। यही कारण है कि भारतीय सिनेमा जगत लगातार प्रयोग स्थली बनता जा रहा है। वर्तमान समय में टेलीविजन तथा फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से प्रगति कर रही है। अंग्रेजी भाषा सहित विभिन्न भाषाओं की फिल्में तथा टेलीविजन सीरियल्स हिन्दी भाषा में डब किए जा रहे हैं, जिसके चलते डबिंग आर्टिस्टों की देश में भारी मांग है।
रोमांचक है कार्य क्षेत्र :-
गौरतलब है कि डबिंग के अंतर्गत किसी विजुअल को उसी के अनुरुप आवाज प्रदान की जाती है। वीडियों में कैरेक्टर क्या कहना चाहता है, उसकी भाव-भांगिमा क्या दर्शाती है, इस तरह की अनुभूति करके किसी अच्छे डबिंग आर्टिस्ट की सहायता से उसे आवाज प्रदान की जाती है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि डबिंग के लिए आवाज के जरुरी हिस्सों को रखा जाता है तथा गैर जरुरी हिस्सों को डिलीट कर दिया जाता है। इन प्रोग्राम्स के विजुअल पहले से ही शूट कर लिए जाते हैं। बाद में उन्हें वॉयस सपोर्ट दिया जाता है। डबिंग करते समय किसी अच्छे आर्टिस्ट की सेवाएं ली जाती है। ज्यादातर अभिनेता एवं अभिनेत्रियां अपने डायलॉग को खुद अपनी ही आवाज में डब करना पसंद करते हैं। किन्तु जब वे समयभाव, दिशा-निर्देश, भाषागत समस्याओं के चलते ऐसा कर पाने में असमर्थ होते हैं तो उन्हें डबिंग आर्टिस्ट की जरुरत पड़ती है।
जहां तक डबिंग की बात की जाए तो इसमें वीडियों को स्क्रिप्ट के आधार पर आवाज प्रदान की जाती है। यह वीडियो फिल्म, रेडियों एव डॉक्यूमेंट्री, किसी भी चीज की हो सकती है। डबिंग दो चीजों जैसे एनिमेटेड फिल्मों तथा एक्चुअल हॉलीवुड या रीजनल फिल्मों में काम आती है। एनिमेटेड फिल्मों में कैरेटर ड्रा करने, बच्चों की आवाज को रिकॉर्ड कर उसे सही रुप में सामने लाने, खलनायक के लिए भारी आवाज तैयार करने, इंग्लिश कैरेक्टर के हिलते होठों के लिए हिसाब से हिन्दी कैरेक्टर की वॉयस सेट करने आदि का कार्य डबिंग के माध्यम से ही किया जाता है। पोस्ट प्रोडक्शन में आवाज की तरंगों तथा ऑडियों विजुअल सामग्री को कैरेक्टर के हिसाब से फिट किया जाता है। इसे ग्राफिक्स, आर्काइव्स फुटेज आदि द्वारा देखने योग्य बनाया जाता है। रीजनल फिल्मों तथा कार्टून चैनलों में इनका प्रयोग अधिक देखने को मिलता है। मार्केट में कई ऐसे सॉफ्टवेयर भी हैं, जिन्हें हिन्दी में तैयार किया जाता है। जिनमें वॉयस ओवर की मदद ली जाती है। यह काफी सामान्य रुप में होता है और इसे बिना टीवी देखे किया जा सकता है। देष में अधिकांशतः बड़े टीवी सीरियल अथवा फिल्में वास्तविक रुप से हिन्दी में ही तैयार किए जाते हैं। बाद में उन्हें विभिन्न क्षेत्रीय भाशाओं में डब कर दिया जाता है। बहुत बार ऐसा होता है की शूटिंग के दौरान मूल आवाज उतनी अच्छी नहीं। आ पाती, जितनी कि होनी चाहिए। इसके लिए कैरेक्टर को दोबारा स्टूडियों में बुलाकर आवाज डब की जाती है।
डबिंग आर्टिस्ट का रोल है अहम :-
डबिंग करते समय आवाज को और भी शानदार बनाया जाता है। इस प्रकिया में डबिंग आर्टिस्ट का उस समय सहारा लिया जाता है, जब या तो कलाकार अस्वस्थ हो अथवा उसकी मृत्यु हो गई हो या उसे लेंग्वेज की जानकारी न हो। वैसे तो डबिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कोई विशेष मापदंड तय नहीं है, फिर भी यदि 12वीं के बाद विद्यार्थी इस फील्ड में कदम रखते हैं तो कई तकनीकी चीजें उसकी सहायता करती है। डबिंग को कोर्स करने के उपरांत व्यवहारिक ज्ञान प्रोडक्शन हाउस या स्टूडियों से ही सीखा जाता है। कई विश्वविद्यालय तथा कॉलेज डबिंग का कोर्स संचालित करते है। डबिंग में सबसे ज्यादा जरुरी प्रोफेशनल स्किल्स है, जिसके दम पर सटीम डबिंग की जाती है। आवाज पर परफेक्ट कमांड, उत्साही प्रवृति, कंप्यूटर पर घंटों कार्य करने की क्षमता, विजुअलाइजेशन संबंधी शब्दों का सही उच्चारण, समय सीमा, आंख तथा कानों को हमेषा खुला रखने की आदत एवं तकनीकी अभिरुचि इस क्षेत्र में बहुत आगे तक ले जाती है। किसी अच्छे संस्थान से डबिंग का कोर्स करने के उपरांत आप डबिंग असिस्टेंट के रुप में ऑडियों पोस्ट प्रोडक्शन हाउस में नौकरी करके अपने कैरियर की शुरुआत कर सकते हैं। जहां आवाज को तैयार करने, बदलने तथा उसमें कई आवाजों का मिश्रण करने संबंधी कार्य किए जाते हैं।
डबिंग को पार्ट टाइम कैरियर के रुप में भी अपनाया जा सकता है। डबिंग आर्टिस्ट द्वारा बोले गए डायलॉग, म्यूजिक एवं अन्य सामग्री को इकट्ठा करने, उनका चयन एवं मिक्सिंग करने, ऑडियों शूट में आई दिक्कतों को दूर करने, स्पेशल इफेक्ट्स डालने, मेंटेनेंस संबंधी कार्य देखने का जिम्मा मुख्य रुप से डबिंग आर्टिस्ट पर ही होता है। इसमें कई तरह के ऑडियो सॉफ्टवेयर जैसे प्रो. टूल्स, न्यू इंटो आदि का प्रयोग किया जाता है। एनिमेशन, कार्टून, बहुत से टीवी प्रोग्राम आदि पूरी तरह से डबिंग के सहारे ही तैयार किए जाते हैं। साउंड मिक्सर, रिकॉर्डर, माइक आदि इंस्टूमेंट डबिंग के काम में प्रयोग किए जाते हैं। इसकी कार्य प्रणाली की जानकारी होना भी आवश्यक है।
यदि हम देश के आए बदलावों पर गैर करें तो पाएंगें कि देश में वॉयस ओवर अथवा डबिंग आर्टिस्टों की भारी मांग है। देश के कुछ बड़े फिल्म तथा टेलीविजन प्रोडक्शन हाउस इन दिनों डबिंग डिपार्टमेंट का इसलिए तेजी से विस्तार कर रहे हैं ताकि उनके द्वारा तैयार किसी कार्यक्रम को कई भाशाओं में डब करके पूरी देष अथवा विदेशों में वितरित किया जा सके। उल्लेखनीय है कि टीवी सीरियलों में डबिंग आर्टिस्ट को 2000 से 3000 रुपये पति एपिसोड दिए जाते हैं, परंतु उनकी काबिलियत को देखते हुए यह राशि 10000 रुपये प्रति एपिसोड तक भी पहुंच जाती है। फिल्मों में किसी अकेले कलाकार की आवाज डब करके प्रोफेशनल्स एक लाख रुपये तक कमा सकते हैं। इस क्षेत्र में जितना अधिक काम मिलेगा, उतना अधिक पैसा मिलेगा। इसलिए हमेशा प्रोडक्शन हाउस अथवा स्टूडियों के संपर्क में रहना लाभपद रहता है।

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