पैकेजिंग इंडस्ट्री में हैं रोजगार के बेशुमार अवसर
-डॉ. रूपक वशिष्ठ
(सीईओ, अपेरल मेड-अप व होम फर्निशिंग सेक्टर स्किल काउंसिल)
बजार से जब भी कोई उत्पाद खरीदते है तो सबसे पहले उसकी पैकिंग हमें आकर्षित करती है। फिर चाहे वह टूथब्रश हो या फिर टीवी। पैकिंग देखकर ही कई बार हम न चाहते हुए भी इस प्रोड्क्ट को खरीद ही लेते हैं। अपेरल मेड-अप व होम फर्निशिंग सेक्टर स्किल काउंसिल के सीईओ डाॅ. रुपक वशिष्ठ ने बताया कि अच्छी पैकिंग के लिए कंपनियों द्वारा पैकेजिंग टेक्नोलाॅजी का यूज किया जाता है। इस लिहाज से पैकेजिंग के करियर को उभरता हुआ फील्ड माना जा रहा है। इसलिए अगर किसी नए करियर या इमरजिंग करियर के बारे में आप सोच रहे हैं तो यह एक बढ़िया आॅप्शन हो सकता है। सबसे खास बात यह है कि इस क्षेत्र में किसी भी स्ट्रीम के छात्र अपना करियर बना सकते हैं। इसके लिए कोर्स और पढ़ाई भी बहुत मंहगी नहीं है।
करियर के लिहाज से फुल स्विंग :- देश में अभी करीब 2500 सेक्टर आॅगे्रनाइज्ड हैं, जिनके द्वारा बनाए जा रहे हर उत्पाद के लिए अलग अलग पैकेजिंग यूनिट की जरुरत होती है। यानी हर एक छोटी से छोटी प्राॅडक्शन यूनिट में पैकेजिंग इंडस्ट्री के लोगों की जरुरत होती है जैसे जैसे आर्गेनाइज्ड सेक्टर में और कंपनियों की संख्या बढ़ेगी, इस सेक्टर में ज्यादा रोजगार के अवसर आएंगे। अभी देश में पैकिंग का बाजार करीब 47.3 मिलियन डाॅलर का है। भारत का यह बाजार दुनियां का चौथा सबसे बड़ा पैकेजिंग बाजार है। यह सारे संकेत है कि आने वाला समय पैंकेजिंग इंडस्ट्री में एम्प्लाॅयमेंट के लिहाज से आत्यधिक आषावादी है।
डिजाइनिंग साॅफ्टवेयर की हो समझ :- कैटिगरी में शामिल करते हैं। इसके आकर्शक डिजाइन, आकार-प्रकार, प्रिजर्वेशन तकनीक, उत्पाद की सुरक्षा, टारगेट आॅडियंस जैसे तमाम पहलुओं का ध्यान रखना होता है। इसके लिए साइंस और टेक्नोलाॅजी की समझ होना बहुत जरुरी है। ज्यादातर कैडिडेट इस सब्जेक्ट से सेलेक्ट किए जाते हैं। इसके इलावा डिजाइन की समझ होना फायदेमंद माना जाता है। खासकर डिजाइनिंग साॅफ्टवेयर की समझ। पैकिंग किस तरह की होनी चाहिए इसके लिए उत्पाद की जरुरतों को समझना जरुरी होता है। उत्पाद की जरुरतें यानी इसकी व्यवस्था, शेल्फलाइफ, ट्रांसपोर्ट का माध्यम, कितनी दूर पहुंचाना है जैसे कई फैक्टर्स जानना जरुरी होता है। इसके बाद तय होता है कि किस तरह की पैकिंग होनी चाहिए। इन सब के अलावा इसमें बाजार की डिमांड के हिसाब से बदलाव, प्रोडक्शन काॅस्ट और वातावरण संतुलन का भी ध्यान रखना होता है। कई ऐसी कानूनी बाधाएं है, जिनका काम के दौरान ध्यान रखना पड़ता है।
पैकेजिंग का चैलेंज :- कोई भी ग्राहक किसी सामान को देखकर उत्पाद नहीं खरीदता, अक्सर वह पैकिंग देखकर उत्पाद चुनता है। इस लिहाज से पैकिंग सिर्फ उत्पाद को सुरक्षित बनाए रखने के लिए ही नहीं, ग्राहकों का ध्यान खींचने का भी काम करती है। बाजार में मौजूद हर उत्पाद के लिए अलग अलग पैकिंग की जरुरत होती है। इसके लिए ऐसी तकनीक चाहिए होती है, जो प्रोड्क्ट को ग्राहक तक बढ़िया कंडीशन में पहुंचा सके। पैकिंग उत्पाद की ब्रांडिंग से लेकर उसकी शेल्फ लाइफ तक के सभी फीचर्स के लिए जरुरी होती है। एक्सपट्र्स का मानना है कि पैकिंग उस उत्पाद के बारे मंे सीधे, सरल और आकर्षक अंदाज में ग्राहकों के बात करती है। इसलिए उसका डिजाइन, रंग और आकार ऐसे होते है जो ग्राहकों को उत्पादो की भीड़ में उस उत्पाद को चुने के लिए आकर्शित करें इसके अलावा पैकिंग, उत्पाद के ट्रांसपोर्टेशन और उसकी सुरक्षा के लिए भी बहुत अहम होती है। ग्राहक को पैकिंग खोलते ही उत्पाद अच्छी क्वालिटी में मिले इसके लिए प्रोटेक्टिव मटीरियल और उन्नत तरीके से गई पैकिंग बहुत मायने रखती है।
सैलरी और स्टाइपेंड :- पैकेजिंग का कोर्स करने के बाद शुरुआती दौर में कंपनियां औसतन 3-4 लाख रुपये का सालाना पैकेज ऑफ़र करती है। इसके बाद दूसरे सेक्टर्स की तरह यहां भी काम और अनुभव के हिसाब से पैसा बढ़ता जाता है। ट्रेनिंग और इंटर्नशिप के दौरान मिलने वाला स्टाइपेंड भी करीब 25 हजार रुपये तक होता है।
रोजगार के अवसर :- पैकेजिंग का पीजी कोर्स करने के बाद कई अलग अलग पद पर काम कर सकते हैं। इसमें सबसे बेसिक जाइॅनिंग पैकिंग एक्जीक्यूटिव लेवल पर होती है। कंपनियों जरुरत के हिसाब से सुपरवाइर, मैनेजर और क्वालिटी कंट्रोल जैसे स्पेशलाइजेशन में रिक्रूटमेंट करती है।
कहां है रोजगार :- पैकेजिंग प्रोफेशलल्स को सबसे ज्यादा मौका प्रोडक्षन, मार्केटिंग, रिसर्च एवं डेवलमेंट आदि जगहों पर मिलता है। मैन्यूफैचरिंग यूनिट्स, मल्टीनेशनल कंपनियां, फार्मास्यूटिकल व एफएमसीजी कंपनियां प्रोफेषनल्स को अपने यहां अच्छे पैकेज पर नियुक्त करती है। वर्तमान समय में सभी छोटी व बड़ी कंपनियां अपने प्रोड्क्ट की वैल्यू बढ़ाने के लिए स्किल्ड प्रोफेशनल्स को तरजीह देती है। इसमें बीटेक को छोड़ दें तो ज्यादातर कोर्स डिप्लोमा या पीजी डिप्लोमा लेवल के हैं इसलिए इसमें कोर्स करने के लिए छात्र का स्नातक होना जरुरी है, जबकि बीटेक कोर्स मंे दाखिला 12वीं के बाद ही मिल पाता है। यदि कोर्स साइंस से ग्रेजुएट है तो उसे कई तरह की सहायता मिलती है। कुछ संस्थान छात्रों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं, जबकि कई मेरिट के आधार पर दाखिला दे देते हैं। विभिन्न संस्थान अपने अपने स्तर पर कोर्स चलाते हैं।
कोर्स :-
- पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन पैकेजिंग – दो वर्षीय
- बीटेक इन पैकेजिंग टेक्नोलाॅजी – चार वर्षीय
- डिप्लोमा इन पैकेजिंग – तीन महीने
- सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन पैकेजिंग – तीन महीने
- डिस्टेंस एजूकेशन प्रोग्राम इन पैकेजिंग – डेढ़ वर्षीय
- इंटेंसिव कोर्स इन पैकेजिंग – तीन महीेने
प्रमुख संस्थान :-
- अपेरल मेड-अप व होम फर्निषिंग सेक्टर स्किल काउंसिल
प्रथम तल, सेक्टर-6, आर.के पुरम, काम कोटी मार्ग, नई दिल्ली-110022
वेबसाइट : www.sscamh.com - इंडियन इंस्ट्टीयूट ऑफ़ पैकेजिंग, मंुबई
वेबसाइट : www.iip-in.com - एसआईईएस स्कूल ऑफ़ पैकेजिंग टेक्नोलाॅजी सेंटर, मुंबई
वेबसाइट : www.siessopptc.net