Wednesday, May 15, 2024
मूवी रिव्यु

सेटिंग के कारोबार पर आधारित है फिल्म सेटर्स

फिल्म का नाम : सेटर्स
फिल्म के कलाकार : श्रेयस तलपड़े, आफताब शिवदासानी, सोनाली सहगल, इशिता दत्ता, पवन मल्होत्रा, विजय राज, जमील खान और अनिल चरनजीत।
फिल्म के निर्देशक व लेखक : अश्विनी चौधरी

फिल्म के निर्माता : विकास मणि और नरेंद्र हीरावत
रेटिंग : 3.5/5

देश के हर राज्य में जब भी कोई बड़ी परीक्षाएं होती हैं तब अक्सर यह सुनने में आता है कि पेपर लीक हो गया है या नकल करने वाले पकड़े गए हैं। सेटर्स भी इसी पर आधारित है। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक अश्विनी चौधरी बड़े ही रिसर्च के बाद इस फिल्म का लेखन और निर्देशन किया है। फिल्म 3 मई को रिलीज़ होगी।

फिल्म की कहानी :
फिल्म की शुरूआत होती है वाराणसी से जहां अपूर्वा ‘‘श्रेयस तलपड़े’’ सेटिंग करके बैंकिंग के एग्ज़ाम में क्वेशचन पेपर चुराकर बच्चों को पास करवाता है। पेपर लीक करवाकर छात्रों से पैसा कमाने के धंधे के पीछे मास्टरमाइंड भैया जी ’’पवन मल्होत्रा’’ का हाथ होता है। भैया जी के कहने पर ही अपूर्वा अपनी टीम बनाकर इस काम को अंजाम देता है। पुलिस इस गिरोह को पकड़ने के लिए स्पेशल पुलिस आदित्य ‘‘आफताब शिवदासानी’’ को केस सौंपती है जो बहुत ही कड़क और ईमानदार आफिसर है। आदित्य ईमानदार आफिसर्स की एक टीम बनाता है और सेटिंग करवाने वाले गिरोह के पीछे पड़ जाता है। आदित्य अपने आफिसर्स के साथ मिलकर वाराणसी से लेकर दिल्ली, मुंबई और पटना तक फैले सेटिंग के इस कारोबार तार खंगालते हुए सेटर्स के गिरोह को पकड़ पाता है या नहीं यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

निर्देशक अश्विन चौधरी ने फिल्म को बनाने से पहले सेटिंग के कारोबार पर काफी रिसर्च किया है, तभी वो बड़ी ही खूबसूरती से इस कारोबार को फिल्म के ज़रिए दिखा पाए हैं। जब आप देखेंगे तो आपको यकीन ही नहीं होगा कि सेटर्स किस तरह से पेपर लीक करवाकर छात्रों को मैरिट लाने में मदद करते हैं और साथ ही साथ मोटा पैसा भी कमाते हैं। सेटिंग के कारोबार के पीछे होने वालीे प्लानिंग की बारीकियों को परदे पर दिखाने के लिए निर्देशक ने कहानी के प्लाॅट को काफी अच्छे से तैयार किया है। फिल्म के डायलाॅग अच्छे हैं। फिल्म की कहानी आपको आखिर तक बांधे रखती है। फिल्म अच्छी है लेकिन फिल्म के एंड पर थोड़ा और काम किया जाता तो यह एकदम बेहतरीन बनती। क्योंकि फिल्म का एंड देखने पर आपको लगता है कि शायद इस फिल्म का दूसरा भाग भी ज़रूर बनेगा।

बात करें कलाकारों की अदाकारी की तो एसआईटी आफिसर के किरदार में आफताब का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है, काफी लम्बे समय के बाद आफताब बड़े पर्दे पर नज़र आए हैं। ईमानदार और रोबीले आफिसर के किरदार में आफताब खूब जमे हैं। श्रेयस तलपड़े को अभी तक आप ने ज़्यादातर काॅमेडी करते देखा है लेकिन एक चालाक विलेन के किरदार को भी उन्होंने बखूबी निभाया है। विजय राज का अंदाज़ हमेशा से ही पसंद किया जाता है, जब भी वो किसी किरदार को करते हैं उनका किरदार लोगों के जहन पर छाप छोड़ती है। नीरज सूद की एक्टिंग अच्छी है। मेन विलेन भैया जी के किरदार में पवन मल्होत्रा का काम काबिले तारीफ है, अपनी अदाकारी से वो हमेशा ही किरदार में जान डाल देते हैं।

फिल्म क्यों देखें :
व्यावसायिक परीक्षाओं में होने वाले नकल और सेटिंग के कारोबार की जड़ें काफी गहरी हैं। जब आप फिल्म देखेंगे तो पता चलेगा कि सेटिंग के कारोबार को चलाने के पीछे किस तरह की प्लानिंग होती है।

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