स्वास्थ्य

बच्चों को बचाएं कमर दर्द से

वैसे तो हर व्यक्ति को जीवन में किसी न किसी समय कमर दर्द का सामना करना पड़ता है लेकिन अधिक उम्र में होने वाले कमर दर्द के विपरीत बच्चों में कमर दर्द गंभीर अंदरूनी गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। हालांकि वयस्कांे में कमर दर्द की शिकायत काफी आम है, लेकिन बच्चां को कमर की चोटों का शिकार होने का खतरा कम होता है। कमर दर्द के मामले बच्चों और किशोरों में कम ही देखने को मिलते हैं और कम उम्र के बच्चों में तो यह संख्या बहुत ही कम है। चूंकि बच्चों और किशोरों में कमर दर्द की शिकायत बहुत कम है इसलिए यदि कोई बच्चा या किशोर लगातार या तीव्र कमर दर्द होने की शिकायत करे तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
छोटे बच्चों में कमर दर्द
चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कमर दर्द होना किसी गंभीर अंदुरूनी गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। कम उम्र के कुछ बच्चों को कमर दर्द के साथ बुखार, वजन घटने, कमजोरी, सुन्नपन, चलने-फिरने में परेशानी, दर्द का एक या दोनों पैरों में नीचे उतरते जाना, आंत या ब्लाडर की गड़बड़ी, अनिद्रा और कमर के बीच या निचले हिस्से की मांसपेशियों में तनाव जैसी समस्यायें होती हैं। अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक विशेषज्ञ एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डाॅ. राजू वैश्य बताते हैं कि बच्चों को कमर के निचले हिस्से में होने वाला यह दर्द हेेमस्िट्रंग अर्थात जांघ के पीछे की मांसपेशियों के सख्त होने और पेट की मांसपेशियों के कमजोर होने से जुड़ा होता है। इन किशारों को हेमस्ट्रिंग को लचीला बनाने वाली और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाले व्यायामों से फायदा होता है। ज्यादा गंभीर कारणों से होने वाले कमर दर्द की तत्काल पहचान एवं समुचित उपचार की आवश्यकता होती है अन्यथा समस्या और गंभीर हो सकती है। फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ स्पाइन एवं न्यूरो सर्जन डाॅ. राहुल गुप्ता बताते हैं कि कम उम्र में यदि बच्चे को कमर दर्द की समस्या है तो यह गंभीर स्थितियों की ओर इशारा कर सकता है जैसे रीढ़ में ट्यूमर, वृद्धि, या रीढ़ में कोई संक्रमण। इसलिए बच्चों को दोबारा चोट न लगने के बाद भी यदि कमर दर्द बना रहता है, या किसी घातक प्रक्रिया (संक्रमण या ट्यूमर) के लक्षण नजर आते है तो बच्चे को असामान्य स्थिति में माना जाता है और आगे की चिकित्सीय जांच और परीक्षणों की सलाह दी जाती है।
बड़े बच्चों में कमर दर्द
छोटे बच्चों की तुलना में बड़े बच्चे खेल-कूद में अधिक हिस्सा लेते हैं और अधिक दौड़ – धूप करते हैं इसलिए उन्हें चोट का खतरा ज्यादा होता है। चोटंे उनकी हड्डियों, नसों, और रीढ़ की कोमल ऊतकों से जुड़ी हो सकती हैं। अक्सर किशोर अपने शरीर की सीमाओं की पहचानने की कोशिश करते हैं। ये चीजें वे टीवी पर व्यवसायिक विज्ञापनों में दिखाई गई चीजों के प्रभाव में आकर भी करते हंै। इस अवस्था में दबाव से होने वाले फ्रैक्चर बहुत आम हंै और कई बार डिस्क की चोटें भी देखने को मिल जाती हैं। ये बड़े बच्चे कशेरूकाओं के बीच की हड्डियों के जोड़ो में नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे अत्यधिक तकलीफदेह चोटंे आती हैं। बहुत कम मामले ऐसे भी होते हैं जहां नसों के रास्तों को नुकसान पहुंचता है।
छोटे बच्चों या बड़े बच्चों में कमर दर्द के कारण संक्रमण- बच्चों में चिकित्सक के सबसे ज्यादा ध्यान देने की बात बच्चे की रीढ़ में संक्रमण की पहचान करना है। रीढ़ में संक्रमण होने के गंभीर परिणाम हो सकते हंै इसलिए इसकी सावधानीपूर्वक जांच की जरूरत होती है।
संक्रमण की जांच अच्छे शारीरिक परीक्षण और प्रयोगशाला से प्राप्त आंकड़ों की मदद से की जाती है। जलन के अहसास की निशानियां और सूजन त्वचा पर भी दिख सकती है। रेडियोग्रफिक अध्ययन अक्सर सामान्य होते हैं। यदि संक्रमण बैक्टीरिया के कारण है तो उपचार में एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। यहां भी लंबा आराम करना ही पहला उपचार होता है।
कमर दर्द का बड़ा कारण ट्यूमर
बच्चों में कमर दर्द का एक कारण ब्रेन ट्यूमर भी होता है। सौभाग्यवश यह स्थिति बहुत ही कम होती है। रीढ़ के संक्रमण में जांच, अच्छी और विस्तृत चिकित्सीय इतिहास पता करने, शारीरिक परीक्षण और बच्चे के लक्षणों को समझने के दूसरे कारणों पर चिकित्सक की जांच-पड़ताल निर्भर करती है। उसी प्रकार उपचार भी अच्छी जांच और विभिन्न विशेषज्ञों की क्षमताओं पर निर्भर करता है। वरिष्ठ ब्रेन सर्जन डाॅ. राहुल गुप्ता कहते हैं कि बच्चों में कमर दर्द के लिए शल्य क्रिया का प्रयोग काफी कम और केवल अत्यधिक गंभीर मामलों में ही किया जाता है। यदि दर्द बहुत ज्यादा है और बच्चे को चलने-फिरने जैसी सामान्य गतिविधियों में भी परेशानी आ रही हो तब शल्य क्रिया के बारे में विचार किया जा सकता है। मुख्यतः किसी भी उपचार विधि में पहले कमर दर्द के चिकित्यीय कारणों (जैसे ट्यूमर, संक्रमण, फ्रैक्चर) का पता लगाना और उनका निवारण करना ज्यादा जरूरी है।
भारी बस्ता
बच्चों में कमर दर्द का एक प्रमुख कारण भारी बस्ता भी है। बच्चे की पीठ पर लदा भारी बस्ता उनकी पीठ पर अत्यधिक दबाव डाल कर कमर दर्द पैदा कर सकता है। अगर बस्ता अधिक समय तक कंधे पर रहे तो इसका खामियाजा कमर को भुगतना होगा। बस्ते कंधे, पीठ, कमर के निचले हिस्से और छाती पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं। इससे रीढ़ एवं पसलियों में दर्द उत्पन्न होता है।
डा. के अनुसार बस्तों को एक कंधे पर ढोने से इस असामान्य वजन की भरपाई के लिए मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव और खिंचाव आता है। यह रीढ़ को विपरीत दिशा में झुका देता है जिससे कमर के मध्य भाग पर तनाव, पसलियों और कमर के निचले भाग का एक तरफ से ज्यादा दूसरी तरफ झुकाव होता है। मांसपेशियों का यह असंतुलन मांसपेशियों में क्षति, मांसपेशियों की जकड़न तथा थोड़े समय में कमर दर्द, और यदि ठीक उपचार न किया गया तो जिंदगी में आगे कमर की समस्याओं में तेजी से बढ़ोत्तरी लाएगा। यह वजन गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा करता है जिससे गर्दन, सिर और बाहों में दर्द पैदा होता है।

– विनोद कुमार

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