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पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल दवा को आयुष मंत्रालय ने दिखाई हरी झंडी, 158 देशों में कोरोना के उपचार में मिलेगी मदद

नई दिल्ली, शबनम। पतंजलि आयुर्वेद ने आज दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में कोविड-19 के उपचार में सहायक पहली साक्ष्य-आधारित दवा कोरोनिल कि घोषणा की। पंतजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रमाणन योजना के तहत आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाण पत्र मिल गया है। पतंजलि ने जो नई दवाएं लॉन्च की हैं, उनमें कोरोनिल और श्वासारी के अलावा पीड़ानिल, आर्थोग्रिट, मधुनाशिनी व मधुग्रिट, मुक्तावटी, थायरोग्रिट, प्रोस्टोग्रिट, इम्यूनोग्रिट, सिस्टोग्रिट आदि प्रमुख हैं।
पतंजलि ने एक बयान में कहा है कि कोरोनिल को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के आयुष खंड से फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट (सीओपीपी) का प्रमाण पत्र मिला है। इसके अंतर्गत कोरोनिल को अब 158 देशों में निर्यात किया जा सकता है। इस बारे में स्वामी रामदेव ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोनिल प्राकृतिक चिकित्सा के आधार पर सस्ते इलाज के रूप में मानवता की रक्षा के लिए उद्देश्य से बनाई गई है। आयुष मंत्रालय ने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर कोरोनिल टैबलेट को ‘‘कोविड-19 में सहायक उपाय’’ के रूप में मान्यता प्रदान की है।

इस मौके पर बाबा रामदेव ने बताया कि आज बहुत गौरव और हर्ष की बात है कि सीओपीपी-डब्लूएचओ जीएमपी के प्रोटोकाल और प्रमाण पत्र योजना के अनुसार कोरोनिल को कोरोना के लिए सहायक उपाय घोषित किया गया है। बाबा ने कहा कि- पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट और पुरुषार्थ से विश्व को करोना जैसी महामारी से मुक्ति दिलाने की यह सफल अनुसंधान संभव हो पाया है। यह औषधि आपके शरीर में प्रवेश कोरोना की कार्यप्रणाली को बाधित करने की चेष्टा रखती है। बाबा रामदेव ने कहा कि ‘कुछ लोग दवाएं बनाते हैं व्यापार के लिए, लेकिन हमने दवा बनाई उपचार और उपकार के लिए।’
हमने कोरोनिल में मौजूद हर्बल अर्क के साथ-साथ स्वसारी रस और अनु तेल के साथ यादृच्छिक प्लेसबो नियंत्रित नैदानिक परीक्षण किया है। इस अध्ययन को क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री आफ इंडिया (CTRI NO.-CTRI/2020/05/025273) के साथ पंजीकृत किया गया था और इसे वर्ल्ड क्लिनिकल आॅर्गनाइजेशन के अंतर्राष्ट्रीय क्लिनिकल परीक्षण रजिस्ट्री प्लेटफार्म (ICTRP) में भी सूचीबद्ध किया गया है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दुनिया के कई देशों ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड , कोलंबिया, मॉरिशस, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन ने भारत के आयुर्वेद को अपने रेगुलर मेडिसिन सिस्टम में लागू किया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का डिग्री लिया हुआ डॉक्टर इन देशों में जाकर प्रैक्टिस कर सकता है। आयुर्वेद के बारे में वेदों से लेकर सभी स्थानों पर जानकारियां उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब मुझे थोड़े समय के लिए स्वास्थ्य मंत्री बनने का मौका मिला था तब पीएम मोदी ने 2014 में आयुष मंत्रालय की स्थापना की थी

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