शिक्षा

12वीं के बाद मिलेगा मनचाहा कोर्स पूरे होंगे सपने

– डॉ रूपक वशिष्ठ
(सीईओ, अपेरल मेड-अप व होम फर्निषिंग सेक्टर स्किल काउंसिल)
12वीं के बाद विद्यार्थियों के सामने किसी अच्छे संस्थान में दाखिला पाने की उधेडबुन रहती है। विकल्प बढ़ने के साथ-साथ उनके सामने किसी एक को चुने का दबाव भी बढ़ता जाता है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यानी रखना जरुरी है, ताकि मनचाहा कोर्स बेहतर भविष्य का आधार बन सके……….
रमेष ने इस साल बायोलॉजी ग्रुप के विषयों के साथ 12वीं बोर्ड की परीक्षा दी है। उसकी परीक्षाएं खत्म हो चुकी है तथा उसको अब स्नातक में अपने लिए पसंदीदा कोर्स चुनना है। अब उसके सामने परंपरागत से लेकर प्रोफेशनल और ऑफबीट पाठ्यक्रमों की भरमार है। उसकी इच्छा है कि कोई उसे कम अवधि के किसी ऐसे कोर्स के बारे में बताएं, जिसे करके तत्काल नौकरी मिल जाए और परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। अधिकांष विद्यार्थियों की स्थिति रमेश जैसी ही होती है, जो अपने लिए पंसदीदा कोर्स और कैरियर विकल्प चुने की कवायत के बीच उलझे नजर आते हैं। सच तो यह है कि 12वीं के बाद विकल्पों की भरमार है और ऐसे में काफी सोच समझ कर दी दाखिलें के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
सुलाह मषविरा के बाद ही ले एडमिशन – डॉ रूपक वशिष्ठ के अनुसार वैसे तो 12वीं लेवल के बाद ही कैरियर से संबंधित अधिकांश राहे खुल जाती है, पर कई बार विद्यार्थी इतने जागरुक नहीं होते हैं कि उन्हें विभिन्न पाठ्यक्रमों अथवा संस्थानों के बारे में सब कुछ पता ही हो। ऐसे में दाखिलें से पहले उचित जांच पड़ताल और विषेशज्ञों से सलाह बेहद जरुरी हैं।

अभिभावकों की भूमिका :- अभिभावक भी इसी कोषिश में लगे रहते है कि उनके बच्चे किसी अच्छे संस्थान अथवा मनचाहे कोर्स में दाखिला लेकर उनका तथा उनके परिवार को नाम रोशन करें इसके लिए वे अपना सबकुछ दांव पर लगा देते हैं। कई बार तो यह विद्यार्थियों के हित में होती है। उन्हें लगता है कि चलो अच्छा है, पैरेंट्स उनकी परेषानी दूर करने में भागीदार बन रहे हैं, जबकि कई बार विद्यार्थी इस दबाव के रुप में लेते हैं। उनको लगता है कि अभिभावक जबरन अपनी पसंद उन पर थोप रहे हैं। इससे विद्यार्थियों के सामने भटकाव की स्थिति आ जाती है है। वे ना चाहते हुए ऐसे कोर्स में दाखिला ले लेते हैं, जो उनकी पसंद के अनुरुप नहीं होता है। यह ठीक नहीं है।

जिसमें रुचि हो, वही चुनें :- कोई काम यदि रुचि के साथ न किया जाए तो उसका परिणाम उतना अच्छा नहीं आ पाता। कोर्स के चयन में भी यह बात लागू होती है। यदि कोर्स पसंद का नहीं है तो उसमें विद्यार्थी अपना सर्वश्रेश्ठ प्रदर्षन कभी भी नहीं दे सकता है। ऐसे में यदि विद्यार्थी किसी परंपरागत अथवा गैर परंपरागत कोर्स में एडमिशन चाहता है, तो उसे सबसे पहले अपने कॅरियर का लक्ष्य तय करना होगा। इस लक्ष्य के निर्धारण मे उसे अपनी रुचि का ध्यान रखना होगा, क्योंकि इसी फैसले से भविश्य की रुपरेखा तय होती है। इसलिए प्रोफेषन चुनते समय अपने आप को परखें, फिर किसी नतीजे पर पहुंचे।

काउंसलर की मदद लें :- कोई भी प्रोफेषन चुने से पहले विद्यार्थियों को काउंसलर से अवष्य बात कर लेनी चाहिए। काउंसलर उनको करियर विकल्पों के फायदे व नुकसान के बारे में बताते है। इससे विद्यार्थियों को कोर्स के बारे में गहरी जानकारी मिलती है। कई बार काउंसलर विद्यार्थियों को उनकी पसंद का ही कोई ऐसा विकल्प तलाश देते है, जिन पर विद्यार्थी की कभी दृश्टि नहीं गई, लेकिन यह संभव हो पाएगा, जब विद्यार्थी काउंसलर से फेस टू फेस बात करें।

परंपरागत कोर्स का क्रेज :- परंपरागत पाठ्यक्रमों में समय के अनुसार बदलाव लाकर उसके प्रति भी विद्यार्थियों की दिलचस्पी को बनाए रखने की भरपूर कोषिश की गई है। संरचना में भी बदलाव के चलते परंपरागत पाठ्यक्रमों में बदलाव आया तथा ये विशय की संपूर्ण जानकारी देने के अलावा विद्याथियों को तकनीकी जानकारी मुहैया कराने लगे। यही कारण है कि इनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है। आज भी इन पाठ्यक्रमों की धूम है तथा इनसे संबंधित ग्रेजुएशन के विभिन्न वर्गो में प्रवेष पाने के लिए भीड़ लगी रहती है। इन्हें तीन श्रेणियों में बांटकर देखा जा सकता है।

कला वर्ग :- तमाम तकनीकी कोर्सो एवं अविष्कारों के बावजूद आर्ट विशयों के प्रति लोगों की दिवानगी कम नहीं हुई है। कला क्षेत्र के अंतर्गत कई विशयों का समावेष है। यह विद्यार्थी पर निर्भर करता है कि वे अपने रुचि के अनुसार कौन सा विशय चयन करते हैं। इतिहास, भूगोल, समाज शास्त्र के अलावा मनोविज्ञान तथ राजनीति षास्त्र में विद्यार्थियों की भीड साल दर साल बढती जा रही है। इसे करने वाले विद्यार्थियों को विशय की आधारभूत जानकारी प्राप्त होती है, जो टीचिंग के अलावा अन्य सरकारी और निजी जॉब के लिए वे उपयुक्त होते हैं।

विज्ञान वर्ग :- 12वीं में पीसीएम का विद्यार्थी इंजीनियर बनने का सोचता है। पीसीएम के साथ साथ-साथ व थोड़ा क्रिएटिव है तो उसकी पसंद आर्किटेक्चर, फैषन टेक्नोलॉजी जैसे विकल्प हैं। एडवेंचरस विद्यार्थियों के लिए मर्चेट नेवी, हवा से बात करने के शौक़ीन है तो पायलट और यदि सेवा भाव एवं जज्बा है तो डिफेंस एवं नेवी में किस्मत आजमा सकते हैं। मैथ की अच्छी जानकारी है तो बीएससी पहली पसंद साबित हो सकती है। इसी तरह से बायो ग्रुप के विद्यार्थी एमबीबीएस, बीडीएस, फार्मेसी आदि में जा सकते हैं।

कॉमर्स वर्ग :- कॉमर्स ग्रुप के ज्यादातर विद्यार्थी बीकॉम, इको, सीए, सीएस सहित सांख्यिकी की पढ़ाई कर सकते हैं। इसके अलावा भी कई क्षेत्रों में कॉमर्स के विद्यार्थियों की डिमांड की जाती है।

वोकेषनल कोर्स देंगे रोजगार :- वोकेषनल कोर्स जैसे ऑफिस मैनेजमेंट, मैटेरियल मैनेजमेंट, एडवरटाईजिंग, पब्लिक रिलेषन, एचआर मैनेजमेंट, फूड प्रोसेसिंग, टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट आदि आज ज्यादातर विवि अथवा महाविद्यालय द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। दिल्ली विष्वविद्यालय इन पाठ्यक्रमों के लिए एक जाना पहचाना नाम है। यहां हर साल वोकेषनल पाठ्यक्रमों के लिए विद्यार्थियों की भीड लगती है। इन पाठ्यक्रमों की खासियत यही है कि ये अल्प अवधि के होते हैं तथा इनकी फीस भी बहुत कम होती है। इसलिए विद्यार्थी आसानी से इसे कर सकते हैं। बड़े षहरों में तो लोग प्रमोषन अथवा अतिरिक्त डिग्री के लिए इन वोकेषनल कोर्स को प्राथमिकता दे रहे हैं।

ऑफबीट कोर्स का ट्रेंड :- ऑफबीट कोर्स जैसे बारटेडिंग, रेडियों जॉकी, मसाज एवं स्पॉ थेरेपी, टैटू मेकिंग, गेमिंग, टूरिस्ट गाइड, षेफ आदि के तहत ज्यादातर उन पाठ्यक्रमों का जिक्र किया जाता है, जो थोड़ा अलग हटकर हो और षॉर्ट टर्म कोर्स के रुप में जॉब प्रदान करने की क्षमता रखते हों। आमतौर पर ऑफबीट को शहरी क्षेत्रों का कोर्स माना जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि ये ग्रामीण पृश्ठभूमि के विद्यार्थियों को भी तेजी से आकर्शित कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों से इन पाठ्यक्रमों की व्यापक उपयोगिता साबित हुई है और ये जॉब प्रदाता के रुप में अपनी खास पहचान बनाते जा रहे हैं।

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