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सीईएएमए के 43वें वार्षिक समारोह का आयोजन

दिल्ली। अप्लायंसेज एंड कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स (एसीई) इंडस्ट्री के शीर्ष निकाय कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लायंसेज मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) ने हाल ही अपने 43वें वार्षिक समारोह का आयोजन किया। इस बार सीईएएमए के वार्षिक समारोह की थीम रही- ‘इंडियन एसीई इंडस्ट्री सेलिब्रेटिंग आजादी का अमृत महोत्सव’। इस समारोह के दौरान राष्ट्र के निर्माण में एसीई इंडस्ट्री की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया।
माननीय केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में शिरकत की। इस वार्षिक आयोजन में 200 से अधिक डिसीजन मेकर्स और प्रभावशाली लोगों ने भाग लिया। सीईएएमए के अध्यक्ष श्री एरिक ब्रगेंजा ने समारोह की अध्यक्षता की।
माननीय केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भारत में ई-कचरा प्रबंधन में सुधार लाने के उद्देश्य से ड्यूश गेसेलशाफ्टफुर इंटरनेशनल जुसम्मेनारबीट (जीआईजेड) जीएमबीएच के सहयोग से तैयार सीईएएमए की एक रिपोर्ट को भी जारी किया, जिसका शीर्षक था ‘टुवार्ड्स ए सस्टेनेबल सीईईवी वैल्यू चेन – मैपिंग एंड प्लगिंग लीकेज‘। इस स्टडी का उद्देश्य बेहतर सर्कुलर इकोनॉमी के निर्माण में योगदान देने वाली पुनर्नवीनीकरण सामग्री की रिकवरी में सुधार करने में मदद करने के लिए ई-कचरे के रिसाव को रोकने के लिए सिफारिशों की पहचान करना और सुझाव देना है। एक व्यापक घरेलू सर्वेक्षण की प्रमुख टिप्पणियों से पता चला है कि औसतन 65 प्रतिशत उत्तरदाता ई-कचरे के बारे में जानते हैं, लेकिन केवल 34 फीसदी लोग ही जानते हैं कि इसे वैज्ञानिक तरीके से कैसे निपटाना है। ऐसी सूरत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच एक सहायक भागीदारी आवश्यक है। उद्योग के विकास और प्रतिस्पर्धी बनने के लिए एक आत्मनिर्भर मैन्यूफैक्चरिंग इको-सिस्टम स्थापित करना महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम में भारत के उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स (एसीई) उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों और भारतीय एसीई उद्योग में उछाल को सपोर्ट करने वाले अनेक अवसरों पर प्रकाश डाला गया। आज, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते एसीई बाजारों में से एक है। अधिकांश उत्पाद श्रेणियों की पैठ दर बहुत निम्न स्तर पर है, ऐसे में बड़े और छोटे उपकरणों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स से युक्त उद्योगों के अगले 3 वर्षों में अपने मूल्य को दोगुना करके 2025 तक 1.48 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
इवेंट के दौरान एसीई उद्योग में पीएलआई योजना जैसी पहलों पर भी चर्चा की गई। इस योजना के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि को सपोर्ट मिला है, और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में एफडीआई जो 2021 में 198 मिलियन अमरीकी डालर था, उस स्तर से लगभग दोगुना होकर 22 जून तक 481 मिलियन अमरीकी डालर हो गया है।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए माननीय केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘1.4 अरब लोगों की आबादी के साथ भारत आज दुनिया में कहीं भी उपलब्ध सबसे बड़े बाजार अवसर प्रदान करता है। दुनिया के विकसित देश अब भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते या व्यापक आर्थिक साझेदारी करने के इच्छुक हैं। यूके, कनाडा, ईयू, इज़राइल के साथ एफटीए वार्ता चल रही है और एक और महत्वपूर्ण एफटीए अगले सप्ताह (जीसीसी के साथ) लॉन्च किया जाएगा। मैं विकसित देशों के साथ व्यवहार करते हुए समान आधार पर बातचीत करने में उनके साहसिक नेतृत्व के लिए उद्योग जगत की सराहना करता हूं। यह सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा करने की उनकी क्षमता के साथ-साथ उद्योग की मजबूती और इससे जुड़े लोगों के साहस को दर्शाता है।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं और व्यापार करने में आसानी के लिए भी अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन प्रयासों के बाद ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग में सुधार हुआ है और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम जैसी योजनाओं की सफलता भी हमारे सामने है। मोबाइल उद्योग में हमने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है और दो निर्माताओं से शुरू करते हुए आज हम लगभग 200 निर्माताओं तक पहुंच गए हैं, जो हमारी सफलता का एक जीवंत उदाहरण है।’’
भारत एक ‘स्मार्ट’ देश है। इसमें शामिल ‘एस’ सस्टेनेबिलिटी को दर्शाता है। सस्टेनेबिलिटी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की पहचान होनी चाहिए। ‘एम’ का अर्थ भारत की विनिर्माण क्षमताओं से है, ‘ए’ का अर्थ आत्मानिर्भर भारत से है। हमें भारत में एक आत्मनिर्भर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण आधार बनने के लिए कम्पोनेंट इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसी क्रम में ‘आर’ रेटिंग के लिए है। उद्योग को स्व-विनियमन सिद्धांतों के आधार पर मेड इन इंडिया लेबल के साथ गुणवत्ता रेटिंग पर विचार करना चाहिए। ‘टी’ तकनीक को दर्शाता है। यह हमारे उद्योग की सफलता का निर्धारण करेगा। उद्योग सही मायने में नए समृद्ध भारत के ध्वजवाहक बनेंगे, जो भारत में पैदा होने वाले हर एक बच्चे को रोजगार के अवसर प्रदान करेगा और भारत में विश्व स्तर के उत्पादों का उत्पादन करेगा।
सीईएएमए के प्रेसीडेंट श्री एरिक ब्रगेंज़ा ने कहा, ‘‘सीईएएमए हमेशा सरकार की पहल का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और ई-वेस्ट उनमें से एक है। आज ई-वेस्ट एक वैश्विक चुनौती बन गया है और सामूहिक रूप से इस मुद्दे से निपटना हमारे लिए महत्वपूर्ण है। जहां तक एसीई उद्योग की बात है, तो हम मानते हैं कि इसमें जबरदस्त वृद्धि की संभावनाएं हैं। हम हाल ही में एक वैश्विक महामारी से गुज़रे हैं और भारतीय एसीई उद्योग ने सभी बाधाओं के बावजूद महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है। इस क्षेत्र में आर्थिक विकास का नेतृत्व करने और पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता है। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, हम अन्य उत्पाद श्रेणियों में और अधिक पीएलआई योजनाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए भारत में कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग बेस को मजबूत करेगा, जिससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान को बढ़ावा मिलेगा।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम एक उद्योग के रूप में परिवर्तनकारी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं और हमारा मानना है कि इससे संबंधित बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। आज का यह वार्षिक कार्यक्रम का इवेंट उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के विकास को कैसे तेज किया जा सकता है और निरंतर विकास से इस क्षेत्र और वास्तव में देश को कैसे लाभ मिल सकता है, इस पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म साबित हुआ है। आइए हम अपने देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने और अपने उद्योग को एक वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र और दुनिया के लिए एक प्रमुख एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन बनाने के अपने पीएम के दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में मिलकर काम करें।’’
एसीई उद्योग के 43 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सीईएएमए ने अपने उद्योग सदस्यों को भारतीय एसीई उद्योग में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। इस दौरान बजाज इलेक्ट्रिकल्स के एमडी और सीईओ श्री अनुज पोद्दार को ‘मैन ऑफ स्मॉल अप्लायंसेज अवार्ड’ और डिक्सन टेक्नोलॉजीज के वाइस चेयरमैन और एमडी श्री अतुल बी लाल को ‘मैन ऑफ कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स ओईएम अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
सीईएएमए के महासचिव श्री रविशंकर चौधरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘भारतीय उपभोक्ता धीरे-धीरे ई-वेस्ट के बारे में अधिक जागरूक हो रहे हैं, लेकिन इस बारे में अलग-अलग विचार हैं कि इससे कैसे निपटना है। अनौपचारिक क्षेत्र जहां वे हैं, वर्तमान में अच्छा काम कर रहे हैं और औपचारिक क्षेत्र के साथ इसे एकीकृत करने के लिए समर्पित प्रयासों की आवश्यकता होगी। आज के वार्षिक समारोह जैसे इवेंट उद्योग को एक साथ लाने और महत्वपूर्ण मामलों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘एसीई उद्योग एक पूरी तरह से अलग प्रतिमान पर चला गया है और धीरे-धीरे भारत के निर्माण का केंद्र बनने और अंततः एक आर्थिक महाशक्ति बनने के सपने को पूरा करने की ओर बढ़ रहा है। हाल के घटनाक्रमों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर जोरदार प्रभाव डाला है, जिससे डिमांड और सप्लाई चेन में भारी अंतर पैदा हो गया है। हालांकि, एसीई उद्योग घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देते हुए परिवर्तन की दिशा में अपने व्यापार मॉडल को ठीक करने का प्रयास कर रहा है।’’ इस दौरान इंडिया, जीएफके के सेल्स हेड धीरज मुखर्जी ने ‘एसीई उद्योग के लिए वर्तमान और भविष्य के रुझान’ विषय पर नॉलेज सेशन प्रदान किया।
इस अवसर श्री मुखर्जी ने कहा, ‘‘हालांकि कंज्यूमर टेक और ड्यूरेबल्स का मार्केट पॉजिटिव रहने की संभावना है, लेकिन हम मुद्रास्फीति और जियो-पॉलिटिकल अशांति के कारण कड़े घरेलू बजट की उम्मीद कर सकते हैं। जीएफके मार्केट इंटेलिजेंस पीओएस रिटेल ट्रैकिंग के अनुसार, इस वर्ष के दौरान टोटल कंज्यूमर टेक और ड्यूरेबल्स कैटेगरी में प्रीमियम सेगमेंट की 10 प्रतिशत सीएजीआर वैल्यू ग्रोथ की संभावना है और साथ ही, प्रीमियमाइजेशन ट्रेंड के भी जारी रहने की उम्मीद है। महामारी के कारण लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लिया जा रहा है लेकिन चुनिंदा श्रेणियों के लिए डिजिटलीकरण और स्मार्ट होम एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में सामने है।’’

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