टैरे के साथ साझेदारी में एआईसीटीई ‘नेट जीरो नॉट जीरो’ का लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘कार्बन न्यूट्रैलिटी प्लेज’ के लिए पहल करेगा
नई दिल्ली। महत्वाकांक्षी पेरिस जलवायु समझौते की पांचवी वर्षगांठ 12 दिसंबर 2020 को है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में जलवायु परिवर्तन की मुहिम से जुड़े सभी नेताओं के लिए वर्चुअल “क्लाइमेंट एंबिशन समिट” का आह्वान किया है।
इसी दिन गैर लाभकारी संस्था “टैरे पॉलिसी सेंटर” और “अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा पारिषद्” (एआईसीटीई) के बीच साझेदारी होगी। इसके तहत एक अन्य क्लाइमेट एंबिशन इवेंट, “शैक्षिक संस्थाओं के लिए कार्बन तटस्थता” का प्रण लेने की शुरुआत की जाएगी। इस कार्यक्रम में शिक्षण संस्थाओं की ओर से 2040-2075 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने की शपथ ली जाएगी।
इस पहल की शुरुआत में भारत के सभी कोनों में नामांकित विश्वविद्यालय शपथ लेंगे। बाद में यह शपथ सभी शैक्षिक संस्थानों के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध होगी, जिसे वे नेट पर ही साइन कर सकेंगे। इसे “नॉट जीरो, नेट जीरो” के रूप में स्थापित किया गया है। इस इवेंट के लिए एनर्जी एफिशियंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) इंडिया, गल्फ ऑर्गनाइजेशन फॉर रिसर्च एंड डिवेलपमेंट (जीओआरडी) और ग्लोबल कार्बन काउंसिल (जीसीसी) कतर के साथ साझेदारी की गई है। आज के दौर में शिक्षाविद, प्रोफेशेनल्स और वर्ल्ड लीडर्स आश्वस्त हैं कि यूनिवर्सिटीज और कॉलेज जलवायु अनुकूलन के लिए प्रारंभिक केंद्र बन सकते हैं। यहीं से ही जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए महत्वाकांक्षी कार्रवाई की शुरुआत की जानी चाहिए।
जलवायु परिवर्तन अब एक युद्ध बन चुका है, जहां वर्षों की निष्क्रियता से न केवल प्रकृति के कार्बन चक्र में करीब-करीब न बदलने वाला असंतुलन पैदा हो गया है। लेकिन कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के संक्रेंद्रण में 1992 के मुकाबले करीब 62 फीसदी की बढ़ोतरी शुरू हुई है।1992 में ही पहली बार जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में विश्व नेताओं के बीच सहमति बनी थी।
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे, जो इस इवेंट का उद्घाटन करेंगे, ने कहा, “यूनिवर्टीज और शैक्षिक संस्थानों में पढ़ने वाले नौजवानों को इस स्थिति में बदलाव लाने की शिक्षा देना और उन्हें क्लाइमेट चेंज पर एक्शन लेने के लिए नेताओं में तब्दील करना शिक्षाविदों, इंडस्ट्री और नागरिक समाज की यह सामूहिक जिम्मेदारी है। यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में पढ़ने वाले नौजवान छात्रों के मन में बदलाव लाने के लिए नए-नए आइडियाज की भरमार है। छात्र महात्मा गांधी की इस सलाह का अनुसरण करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, “आप वह परिवर्तन लाने के माध्यम बनिए, जो आप समाज में देखना चाहते हैं।“ हमारी शैक्षिक संस्थाएं दुनिया दूसरे देशों के लिए रोल मॉडल बन सकती हैं। इस प्रण के माध्यम से हम कार्बन तटस्थता को हासिल करने के लिए कार्रवाई की शपथ लेने का सामूहिक प्रतिबद्धता दुनिया को दिखा सकते हैं।“
यह प्रतिज्ञा आईपीसीसी-इंटर गवर्नमेंट पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज से जुड़े हजारों वैज्ञानिकों की ओर से जलवायु परिवर्तन को लेकर दी गई चेतावनी की दिशा में क्लाइमेट चेंज के माहौल से निपटने की खुले तौर पर अभिव्यक्ति है। औद्योगीकरण से पहले के माहौल की तरह अपने ग्रह के तापमान में 2 डिग्री से अधिक की बढ़ोतरी न करने का प्रण दिलाया जाएगा। कार्बन का उत्सर्जन 21वीं सदी के मध्य (2040-2075) तक नेट जीरो होना ही चाहिए। इस प्रतिज्ञा से हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती, जलवायु संकट से निपटने के लिए युवाओं की क्षमता का पूर्ण रूप से उपयोग होने की संभावना है। इसे एक तरह से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कौशल निर्माण की कवायद कहा जा सकता है।
इस दिशा में जल्द ही जरूरी कदम उठाने की जरूरत महसूस करते हुए टैरे पॉलिसी सेंटर अपने स्मार्ट कैंपस क्लाउड नेटवर्क एससीसीएन के तहत तुरंत कार्रवाई के लिए उत्प्रेरित कर रहा है, जिससे शिक्षण संस्थाओं में पढ़ रहे नौजवानों की असीमित ऊर्जा और ताकत का पूर्ण रूप से उपयोग किया जा सके। टैरे पॉलिसी सेंटर के चेयरमैन डॉ, राजेंद्र शिंदे और यूएनईपी के पूर्व निदेशक डॉ, राजेंद्र शिंदे ने कहा, “12 दिसंबर को “नॉट जीरो नेट जीरो” की शपथ लेना यूनिवर्सिटी कैंपस में कार्बन तटस्थता की परियोजना को शुरू करने की दिशा में छोटा सा कदम है। यह कार्बन की आदी हो चुकी अर्थव्सवस्था से “कार्बन नेट जीरो वर्ल्ड” की दिशा में एक रोमांचक यात्रा की शुरुआत होगी।“
प्रतिज्ञा से जुड़े हुए सिद्धांत में यह प्रतिपादित नहीं किया गया है कि हमें कार्बन उत्सर्जन को किसी भी हाल में आवश्यक रूप से शून्य करना ही होगा, बल्कि इसमें इसे अधिकाधिक सीमा तक घटाने की योजना बनाई गई है। शेष उत्सर्जन कम करने के लिए कार्बन सिंक या ऑफसेट का तरीका अपनाया जाएगा। इसके तहत “नेट जीरो” उत्सर्जन हासिल करवे के लिए पेड़ लगाने पड़ेंगे और वनों के क्षेत्र को बढ़ावा देना होगा। नवीनीकरण के योग्य नए उपकरणों की तैनाती और कुशल प्रौद्योगिकी से कार्बन न्यूट्रल फ्यूचर के प्रण को वास्तविकता में बदला जाएगा।
टैरे पॉलिसी सेंटर कार्बन न्यूट्रल कैंपस की गाइडलाइंस, विशेषज्ञों के बीच विचार-विमर्श, वर्कशॉप के आयोजन और “काम करते हुए सीखने और शेयरिंग” के माध्यम से कौशल हासिल करने की कवायद को प्रोत्साहित करेगा। टैरे भी प्रतिज्ञाओं को सूचीबद्ध करेगा और डैशबोर्ड पर प्रगति को देखेगा, और ऐप के माध्यम से इसकी निगरानी भी करेगा।
इस इवेंट को https://www.facebook.com/sccnhub पर 4 बजे से लाइव देखा जा सकेगा। 12 दिसंबर को इस इवेंट के बाद यह प्रतिज्ञा सभी शिक्षण संस्थाओं के लिए ऑनलाइन साइन और सबमिट करने के लिए ओपन होंगी। इस दिशा में और अधिक विस्तृत विवरण https://www.sccnhub.com पर भी उपलब्ध होगा।