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भारत के अध्यापक समुदाय को सशक्त बनाने हेतु नवनीत टॉपटेक ने टॉपसर्किल कॉन्क्लेव आयोजित किया

पुणे। भारत के स्कूलों और छात्रों को ई-लर्निंग समाधान प्रदान करने वाली और तेजी से बढ़ती डिजिटल शिक्षा कंपनी, नवनीत टॉपटेक ने सीबीएसई के शिक्षकों के लिए शहर में टॉपसर्किल कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस कॉन्क्लेव (कॉन्क्लेव) का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कई पहलुओं पर चर्चा के माध्यम से स्कूल शिक्षण समुदाय को सशक्त बनाना था। इसमें अध्ययन और अध्यापन को बेहतर बनाने हेतु शैक्षणिक नवाचार को बढ़ाने के तरीके पर भी प्रकाश डाला गया। कॉन्क्लेव में पुणे के प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूलों के शिक्षकों और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूलों के सम्मानित पैनलिस्टों ने ‘शैक्षणिक रूप से स्केलेबल स्कूलों का विकास’ विषय पर विचारोत्तेजक और मूल्यवान विचार साझा किए। वर्तमान बदलते परिदृश्य में जहां सीबीएसई स्कूल के प्रिंसिपल स्कूल के लिए शिक्षाशास्त्री की बहुआयामी भूमिका निभाते हैं, उनके लिए इस पैनल चर्चा के बाद मूल्यांकन साधनों को समझने पर एक कार्यशाला आयोजित की गई ताकि इन प्रधानाचार्यों और अध्यापकों को मूल्यांकन को समझने में सशक्त बनाने में सहायता प्रदान की जा सके। कार्यशाला से शिक्षकों को छात्रों की प्रगति को समझने और उनके संस्थानों के लिए उनके शिक्षण दृष्टिकोण को नए सिरे से परिभाषित करने में मदद मिली।
नवनीत टॉपटेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, हर्षिल गाला ने कहा, “टॉपसर्किल कॉन्क्लेव देश भर के शिक्षकों के साथ जुड़ने और समुदाय-निर्माण अभ्यासों के माध्यम से अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में उनकी सहायता करने का एक शानदार तरीका है। यह समुदाय पूरे देश में शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को सशक्त बनाता है। हमारे विशेष समुदाय में, हम शिक्षकों और शिक्षाविदों की सहायता करने और उनके अध्यापन प्रयास में बदलाव लाने के लिए सफलता की कहानियां, संसाधन, उपाख्यान, तस्वीरें, उपयोगी सुझाव और तथ्य साझा करते हैं। इस साल के अंत तक भारत के विभिन्न शहरों में 20 कार्यशालाएं आयोजित करने की हमारी योजना है।”
टॉपसर्किल कॉन्क्लेव शिक्षकों, स्कूल प्रबंधन, प्रधानाचार्यों और शिक्षकों का एक समूह है। पूरे भारत में आयोजित, यह कॉन्क्लेव एनईपी 2020 और विभिन्न अन्य शैक्षिक सुधारों के बारे में शिक्षकों को शिक्षित करने पर केंद्रित है। समुदाय-निर्माण अभ्यास देश भर के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को सशक्त बनाता है और उनके अध्यापन प्रयास में बदलाव लाता है।

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