वर्चुअल वर्कशॉप के जरिए ऑर्बिस ने 150 मरीजों की काउंसलिंग करने वाले काउंसलर्स और ऑप्टोमेट्रिस्ट को ट्रेनिंग प्रदान की
नई दिल्ली। बच्चों में अंधेपन को रोकने और आंखों की बीमारियों के इलाज के लिए काम करने वाली एक गैर-लाभकारी संस्था ऑर्बिस ने 2021 में मरीज काउंसलर्स और ऑप्टोमेट्रिस्ट के लिए छह वर्चुयल ट्रेनिंग वर्कशॉप को आयोजित किया। इसमें 19 राज्यों में 30 आई केयर हॉस्पिटल्स से काउंसलर्स की क्षमता का निर्माण किया गया। वर्कशॉप को आयोजित करने मे सहयोग और वर्कशॉप का नेतृत्व बायोकॉम लिमिटेड के सीईओ श्री केन यंगस्टीन, फाउंडेशन फॉर हेल्थ एंड माइंड डेवलपमेंट (एफएचएमडी) के संस्थापक और ऑर्बिस वालंटियर फैकल्टी ने किया। ये सभी वर्कशॉप चार दिन तक चली। इन सभी वर्कशॉप काउंसलर्स को विभिन्न नेत्र बीमारियों और उपचार योजनाओं के नैदानिक विवरणों को डिकोड करने, काउंसलिंग के प्रमुख पहलुओं को समझने और मरीजों तथा उनके परिवारों के साथ विश्वास और सम्मानजनक संबंध स्थापित करने में मदद करेगी। ट्रेनिंग सेशन ने मरीज की आंखों की बीमारी, चिंताओं और अपेक्षाओं के साथ-साथ उनके विश्वासों को समझने के महत्व पर भी जोर दिया क्योंकि अक्सर यही चीजें इलाज में बाधा डालती हैं। कुल मिलाकर वर्कशॉप ने लगभग 150 काउंसलर्स और ऑप्टोमेट्रिस्ट को ट्रेनिंग दी।
आर्बिस इंडिया के कंट्री डायरेक्टर डॉ ऋषि राज बोराह ने ट्रेनिंग प्रोग्राम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘बचपन के अंधेपन को रोकने के हमारे मिशन में कोविड ने कई बाधाएं डाली। लॉकडाउन के कारण अधिकांश लोग आंखों की जांच कराने या इलाज के लिए हॉस्पिटल जाने या अपनी नजर की रक्षा के लिए निवारक उपाय करने में असमर्थ थे। इसी वजह से ऑप्टोमेट्रिस्ट और मरीज काउंसलर्स के लिए नई वास्तविकताओं के अनुकूल होना और मरीजों को कुछ आंखों की बीमारी और अस्पतालों द्वारा कोविड प्रसार पर उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण था। ऑर्बिस ने इसे विभिन्न प्रकार के मुद्दों को संबोधित करने के लिए आवश्यक ट्रेनिंग प्रदान करने के अवसर के रूप में देखा। दर्शकों की भाषा, अनुभव या तैयारी के बावजूद टीम ने कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए काम किया और विभिन्न ट्रेनिंग चुनौतियों को समायोजित और संबोधित किया। हमने विभिन्न क्षेत्रों में मरीज काउंसलर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी सामग्री को संशोधित और फिर से तैयार किया।’
श्री केनेथ ने इस बारे में अपनी राय देते हुए कहा, ’पिछले 10 सालों से ऑर्बिस के साथ वोलंटियर शिक्षा और ट्रेनिंग कंसलटेंट के रूप में काम करना मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी की बात रही है। अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों में ऑर्बिस जैसे गैर सरकारी संगठन का मिलना दुर्लभ है। यह संस्था प्रोफेसनल्स, मरीजों और उनके परिवारों के बीच अच्छे संचार के महत्व को पूरी तरह से समझता है और उनकी समास्याओं को हल करता है। मैं इस बात से बहुत प्रभावित हूं कि पूरे भारत में हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर अपने कर्मचारियों को हमारी वर्कशॉप में हिस्सा लेने के लिए 10 से 16 घंटे का समय देते हैं और डॉक्टर, ऑप्टोमेट्रिस्ट, नेत्र रोग विशेषज्ञ, और काउंसलर्स अक्सर इन स्किल को सीखने के लिए शाम को और वीकेंड में अपना समय देते हैं। सभी प्रतिभागियों और हमारे एक्सपर्ट फैकल्टी के उत्साह ने मुझे बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। मेरा मानना है कि ऑर्बिस और उसके भागीदारों द्वारा मरीज कम्युनिकेशन (संचार) के प्रति यह प्रतिबद्धता हेल्थकेयर के सभी पहलुओं में आंखों की देखभाल में कीर्तिमान स्थापित करेगी और अन्य देशों के लिए एक मॉडल साबित होगी।’
हालांकि पहले इन ट्रेनिंग प्रोग्राम को व्यक्तिगत रूप से आयोजित किया जाना था, लेकिन कोविड-19 ने ट्रेनिंग को वर्चुअल मोड में शिफ्ट कर दिया, जिससे काउंसलर की संख्या में वृद्धि हुई। ये सभी काउंसलर्स वर्चुअल सेशन के माध्यम से ट्रेनिंग दे सकते हैं। ट्रेनिंग में देश भर से 18 काउंसलिंग और क्लीनिकल एक्सपर्ट शामिल थे। ये सभी आंखो की समस्या के नैदानिक और काउंसलिंग पहलू पर बात करने के लिए मोतियाबिंद (आंख के सामान्य रूप से स्पष्ट लेंस की क्लाउडिंग), ग्लूकोमा (आंख की नसों को नुकसान), बाल चिकित्सा नेत्र विज्ञान, ओकुलोप्लास्टी और रेटिना से संबंधित थे। काउंसलर्स को एक सचित्र सूचना ध् शिक्षा उपकरण, ष्द आई बुकष् का उपयोग करने के लिए भी ट्रेनिंग दी गई। इस उपकरण का उपयोग काउंसलर्स द्वारा मरीजों और परिवारों के साथ नेत्र बीमारियों और इलाज योजनाओं के बारे में चर्चा में किया जा सकता है। एफएचएमडी और ऑर्बिस द्वारा विकसित आई बुक को आठ भारतीय भाषाओं में पूरे भारत में 30 ऑर्बिस पार्टनर हॉस्पिटल के साथ शेयर किया जा रहा है।