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प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स व प्रोसेसर्स ने पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में मुनाफाखोरी पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री से लगाई गुहार

नई दिल्ली। देशभर के 10 अग्रणी एसोसिएशनों का प्रतिनिधित्व करनेवाले प्लास्टिक निर्माताओं और प्रोसेसर्स द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे खत में पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री द्वारा कंसोर्टियम बनाये जाने और गलत तरीके से मुनाफाखोरी किये जाने की रोकथाम की मांग की है, उनका कहना है कि इस गलत चलन से प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग व प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पर काफी बुरा असर पड़ रहा है और यह इंडस्ट्री बर्बादी के कगार पर आ खड़ी हुई है। इंडस्ट्री के एसोसिएशनों ने एंटी इम्पिंग ड्यूटी लगाने पर रोक, BIS की अनिवार्यता खत्म करने, कच्चे माल पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने और देश से कच्चे माल के निर्यात पर नियमित करने अथवा बैन लगाने की भी मांग की है ताकि प्लास्टिक उद्योग का अस्तित्व बचा रहे और वह चीन जैसे प्रतिस्पर्धी मार्केट से टक्कर लेने में सक्षम साबित हो।
प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग और प्रोसेसिंग उद्योग का प्रतिनिधित्व करनेवाले देश के 10 एसोसिएशन्स ने मिलकर इस तरह का एक खत 26 नवंबर, 2020 को लिखा था। इस पर द ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री चंद्रकांत तुराखिया, ऑर्गनाइजेशन ऑफ प्लास्टिक प्रोसेसर्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्री महेंद्र संघवी, इंडियन प्लास्टिक्स फेडरेशन (कोलकाता) के अध्यक्ष श्री रमेश केआर रटेरिया, गुजरात स्टेट प्लास्टिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री शैलेश पटेल, कर्नाटक स्टेट प्लास्टिक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री विजय कुमार, महाराष्ट्र प्लास्टिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री रवि जश्नानी, केरल प्लास्टिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बालाकृष्णा भटकाकुंजे, तेलंगाना ऐंड आंध्र प्लास्टिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री विमलेश गुप्ता, कैनरा प्लास्टिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऐंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री बी. ए. नजीर ने अपने-अपने हस्ताक्षर किये हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत के प्लास्टिक उद्योग में 50,000 से अधिक प्रोसेसिंग यूनिट्स का समावेश है जिनमें 90 फीसदी MSME’s. हैं। यह सेक्टर प्रत्यक्ष तौर पर 50 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराता है और देश की जीडीपी में इसका योगदान 3 लाख करोड़ रुपये है। द ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री चंद्रकांत तुराखिया ने 26 नवंबर, 2020 को लिखे अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से देश के रॉ मटीरियल मैन्युफैक्चरर्स द्वारा नाटकीय ढंग से कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी करने के चलते बर्बादी की कगार पर आ खड़े हुए प्लास्टिक प्रोसेसिंग यूनिट्स को बचाने की अपील की है। अपनी मुश्किलों को आगे बयां करते हुए इस खत में लिखा गया है कि PVC, ABS, पोलीप्रॉपीलीन, PC, PET जैसे कच्चे माल की कीमतों में 20 से 140ः की भारी वृद्धि दर्ज की गयी है। खत में लिखा है – ‘पेट्रोकेमिकल कंपनियां घरेलू प्रोसेसिंग यूनिट्स को कच्चे माल की होने वाली आपूर्ति रोककर और नियमित तौर पर कीमतों में होनेवाली बढ़ोत्तरी के बाद आपूर्ति कर पोलिमेयर की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी का गैर-वाजिब फायदा उठा रही हैं। दुर्भाग्यवश PSUs ने भी निजी कंपनियों से हाथ मिला लिया है और प्रोसेसिंग यूनिट्स को न्यायोचित तरीके से उनका हक ना देकर वे भी उन्हीं के इशारे पर नाच रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय कीमतों की तुलना में घरेलू उद्योगों द्वारा कीमतों की बढ़ोत्तरी के लिए दिये गये तर्कों में कोई दम नहीं है।’
खत में यह भी कहा गया है कि चूंकि घरेलू पेट्रोकेमिकल निर्माता विदेशी निर्माताओं की तरह फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट से बंधे नहीं होते हैं, ऐसे में घरेलू कंपनियों के लिए कीमतों में बढ़ोत्तरी करना और बाजार को प्रभावित करना बेहद आसान हो जाता है। घरेलू निर्माता पोलीमेयर के चुनिंदा ग्रेड पर एंटी डम्पिंग की मांग करते हैं। उल्लेखनीय है कि कम उपलब्धता के चलते वे इसे पहले से अधिक कीमतों पर बेचते हैं। कच्चे माल के उत्पादक बड़े पैमाने पर कच्चे माल का निर्यात करते हैं और इस तरह से वे पोलीमेयर रॉ मटीरियल की बाजार में कृत्रिम कमी पैदा करते हैं। इसके चलते पिछले 5 महीनों में पेट्रोकेमिकल कंपनियों द्वारा कच्चे माल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि की गयी है, उनकी इस हरकत से भारत में हजारों प्लास्टिक प्रोसेसिंग यूनिट्स के अस्तित्व पर संकट आ खड़ा हुआ है।

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